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Nandini yadav Jun 2020
बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम,अभी न ऐसे जाना था

अभी तो ज़िन्दगी शुरू हुई थी,जिसे अभी और सजाना था

अपने किरदारों से तुमने,कभी हँसाया तो कभी रुला दिया

बॉलीवुड के चंद हकदारों ने तुम्हें मौत की नींद सुला दिया

भेदभाव की इस नगरी में तुमने,कितना दर्द सहा होगा

सिर्फ टैलेंट के बूते पहचान बनाना,मुश्किल बड़ा रहा होगा

बस,उस पल से और लड़ जाते तुम,जिस पल में तुम टूट गए

हताश हुए,निराश हुए और हयात से यूँ रूठ गए

ज़िंदादिल इंसान थे तुम,तुम्हे चाँद पर घर बसाना था

बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम,अभी न ऐसे जाना था

कुछ वक्त पहले कंगना ने खुद ये राज़ खोला था

भाई भतीजावाद के ख़िलाफ़, सिर्फ उसी ने बोला था

उसकी तीखी बातों पर न कभी किसी ने ग़ौर किया

नेपोटिस्म के सौदागरों ने फिर एक नया शिकार किया

इन तुच्छ लोगों की साजिश में,न खुद को यूँ मिटाना था

बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम, अभी न ऐसे जाना था

आत्महत्या नहीं ये हत्या है,तुम्हे इंसाफ मिलना चाहिए

फिर से कोई सुशांत, अब न शांत होना चाहिए

चला गया वो खामोशी से,अब तो थोड़ी शर्म करो

बॉलीवुड में नेपोटिस्म का ये काला धंधा बन्द करो।

        www.youtube.com/miniPOETRY

            Did not want to go now ..

Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
Life had just started, which still had to be decorated
You laughed at your characters and sometimes made you cry
Bollywood's few entitles put you to death
In this city of discrimination, you must have suffered so much pain
It would have been difficult to identify only on the basis of talent
Just, from that moment you would fight, the moment you broke
Desperate, disappointed and disgusted with the Hyatt
You were a lively person, you had to settle on the moon
Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
Kangana opened this secret herself some time ago
Only he spoke against brother nepotism
Nobody noticed his sharp words
Nepotism dealers again hunt a new one
In the conspiracy of these frivolous people, not to erase themselves
Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
It's not ******, it's suicide, you should get justice
No Sushant again, no more calm
He has gone silently, now be a little ashamed
Stop this dark business of nepotism in Bollywood.
This is a tribute to sushant singh rajput who made his mark in bollywood only on the basis of his talent. actually this is not ****** but suicide sushant get justice now nepotism hast to be completely eliminated from bollywood and lets boycott all those **** people who promote nepotism
Nandini yadav Jun 2020
जग-जीवन खुशहाल बनाएं
चारों ओर हरियाली लाएं
आओ पर्यावरण बचाकर
अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
            जलता सूरज तपती धरती
            पेड़ के नीचे राहत मिलती
            पेड़ों से जीवन है सारा
            लेकिन अपने स्वार्थ के ख़ातिर
            मनुष्य ने अनावश्यक पेड़ है काटा
            पेड़ के बदले पेड़ लगाएं
            यह संदेश सब तक पहुचाएं
            आओ पर्यावरण बचाकर
            अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
जल से ही हम ज़िंदा रहते
फिर भी जल को दूषित करते
नदियों को पूजा है जाता
सारा कचरा उसी में जाता
जल है एक अनमोल रत्न
बूँद-बूँद को स्वछ बनाएं
आओ पर्यावरण बचाकर
अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
             करें आदतों में सुधार आज हम
             बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाएं
             न करें प्रकृति का नाश और हम
             हर मन में ये अलख जगाएं
             धरती है ये माँ हमारी
             उसको अब न और रुलाएं
             आओ पर्यावरण बचाकर
             अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।।

                                 www.youtube.com/miniPOETRY
      
        Let's save the environment

Make life happy
Bring greenery around
Come save the environment
Make your land heaven.
       Burning sun rises earth
       Relieved under the tree
       Life is all from the trees
       But for the sake of our selfishness
       Man has cut unnecessary trees
       Plant trees instead of trees
       Reach this message to everyone
       Come save the environment
       Make your land heaven.
We live by water
Still polluting the water
Rivers are worshiped
All the waste goes to
Water is a precious gem
Make the blob clean
Come save the environment
Make your land heaven.
       Improve our habits today
       Curb rising pollution
       Do not destroy nature and we
       Awaken these feelings in your
        mind
       This mother is our earth
        Don't make him cry anymore
        Come save the environment
        Make your house heaven.
दोस्तों, यह कविता विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर लिखी है।यह कविता हमें बताती है कि क्यों हमें अपने पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए,क्यों हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। जल कुदरत से मिला बहुत कीमती उपहार है जिसे हमें सुरक्षित व स्वछ रखना चाहिए।
Nandini yadav May 2020
भारत माँ से आज उसके 

कई वीर सपूत बिछड़ गए

नमन है ऐसे वीरों का

जो कुर्बान वतन पर हो गए

न झुकने दिया सर देश का अपने

वो अपना सर कटा गए

                     भारत माँ की लाज बचा 

                     ख़ुद मौत को गले लगा गए ,,।

न रुके कभी न झुके कभी

वो तान के सीना चलते हैं

ख़ुद जान की परवाह किये बिना

वतन की रक्षा करते हैं

जिस मिट्टी में जन्म लिया

उस मिट्टी का कर्ज़ चुका गए

                    भारत माँ की लाज बचा

                    ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।

घर परिवार को छोड़ कर वो

सीमा पर पहरा देते हैं

देश की रक्षा की ख़ातिर

अपनों से दूर वो रहते हैं

जिस माँ की गोद में पले-बड़े

उस माँ को रोता छोड़ गए

                  भारत माँ की लाज बचा

                  ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।

धन्य हैं वो वीर जवां

जो देश पर मिट जाते हैं

कदम बढ़ें दुश्मन के अग़र तो

वो चीर लहु पी जाते हैं

न भूल सकें कुर्बानी उनकी

वो ऐसी छाप लगा गए

                भारत माँ की लाज बचा 

                ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।।

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A salute to the martyrs

Today many of her brave sons
got separated from Mother India
Salutations to such heroes
Who sacrificed their lives
Do not let your head bow down
They chopped off their heads
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Never stop never bow
They walk the stool
Regardless of my own life
Protect the country
Born in the soil
Pay off that debt
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Leaving the family
Guard the border
For the defense of the country
Away from loved ones
The mother who grew up in the lap
Left that mother crying
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Blessed are those brave men
Which disappear on the country
Step forward after the enemy
They drink rip blood
Do not forget their sacrifice
They were printed
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
दोस्तों यह कविता एक श्रद्धांजलि है हमारे भारतीय सपूतों के लिए जो देश की किसी भी परिस्थिति में अपने घर अपने परिवार को छोड़ कर सिर्फ देश की सेवा में तत्पर रहते हैं और हमारी व देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते हैं।
Nandini yadav Jun 2020
ऐ दिल,न बैठ यूँ हार कर

उठ,संभाल ख़ुद को और

फ़िर किसी से मुलाक़ात कर

ऐ दिल तू फ़िर से प्यार कर।

        माना कि तुझे ग़म है उसके जाने का

        मग़र उसका तो इरादा ही था तुझे रुलाने का

       उसके दिए दर्द से न ख़ुद को यूँ परेशां कर

       ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।

बिखर चुका है तू इस बात का एहसास है मुझे

उसकी यादों में तड़पता देखा है तुझे

उसकी यादों से अब तू ख़ुद को आज़ाद कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फिर से प्यार कर।

       उदास न हो,तू अकेला नहीं है

       हज़ारों दिल हर रोज़,टूटते हैं यंहा

       टूटे दिल के टुकड़ों को समेट और

       फ़िर एक नयी शुरुआत कर

       ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।
  
हक़ न दे किसी को,जो तुझे रुला सके अब

अपनी खुशियों की शुरुआत तू ख़ुद से कर

तू ख़ुद पर रख यकीं और न अब किसी पर ऐतबार कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।।
Hi friends....This poem is about moving forward or giving yourself a second chance in love.
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Nandini yadav Apr 2020
पूँछ बैठा आज मेरा साया मुझसे
साथ हूँ मैं तेरे जबसे
देखा नहीं कभी तुझे मुस्कुराते हुए
क्या राज़ है आज बता दे मुझे,,
मैनें अपनी झुकी हुई नज़रें उठाते हुए कहा,,
सुन,मैं भी मुस्कुराना चाहती हूँ
फूलों की तरह खिलखिलाना चाहती हूँ
चाहत है खुले आसमां में उड़ने की
अपनी बेरंग ज़िन्दगी में रंग भरने की
अरमां हैं मेरे भी कुछ अपने
खुली आँखों से देखे मैनें न जाने कितने सपने
वो नन्हे-नन्हे बच्चे जब बस्ता लेकर निकलते हैं
उन्हें देख कर मेरे क़दम भी आगे बढ़ते हैं
थाम लूँ इन नन्हे हाथों से कलम आज मैं भी
लिख दूँ एक नई दास्तां आज मैं भी
किन्तु रोक लेती हूँ फिर खुद को
ज़रा जोर से झकझोर लेती हूँ खुद को
फिर याद आता है कलम नहीं झाडू है हाथ में
और मुझे तो जीना है बस इसी के साथ मैं
जन्म लेते ही भुला दिया था मुस्कुराना मैंने
एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने
एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने,,

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Price ... to have a daughter

..Tail sat today my shadow from me
I am with you since
Never seen you smiling
Tell me what is the secret today
I raised my bowed eyes and said,
Hey, i want to smile too
Wanna blossom like flowers
Want to fly in open air
To color in your colorless life
Armaan is mine too few
I don't know how many dreams
I can see with open eyes
When those little ones get out of the bag
Seeing them, my steps also move forward
Take hold of these small hands with pen today
May I write a new story today as well
But I stop myself then
Just shake myself hard
Remember again the pen is not in the hand
And i want to live with it
I forgot to smile at birth
I paid the same price for having a daughter
I have paid the same price to have a daughter,
Hi friends..I want to dedicate my new poem to all the daughters ...
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Nandini yadav Apr 2020
विदेश से एक अजीब सा मेहमान आया है
नाम उसने अपना कोरोना बताया है
देश में परेशानियों का पहाड़ बनकर
हज़ारों मुसीबत अपने साथ लाया है
हाथ मिलाकर वो लोगों को फ़साता है
दूरी बनाने से वो दूर भाग जाता है
मास्क ना पहनो तो वो खुश हो जाता है
और बार-बार हाथ धोने से वो हार जाता है
बीमारी का भय दिखाकर सबको डराता है
पीछे पड़ जाए एक बार तो बहुत सताता है
लापरवाही करे इंसान अगर तो
मौत के द्वार तक भी ले जाता है
डरना नहीं है इससे बस अब ये करना है
अपने हाथ और शरीर को साफ और स्वछ रखना है
उचित दूरी बनाएं सबसे घर से बाहर न निकलना है
लड़ रहे जो हमारे लिए उनका साथ निभाना है
नहीं करना अनदेखा इसको इसको सबक सिखाना है
बिन बुलाई इस आफ़त को
देश से बाहर भागना है,,

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Corona leave us now


A strange guest has come from abroad
The name he called his corona
By becoming a mountain of problems in the country
Have brought thousands of trouble with you
By shaking hands he lures people
Distance makes him run away
He does not wear a mask
And he loses by repeated hand washing
Fear of disease scares everyone
Once again it hurts a lot
If humans careless then
Even leads to death
Don't be afraid just do it now
Keep your hands and body clean and clean
Make the right distance most don't get out of the house
Fighting for what we have to do with them
Do not ignore it, teach it a lesson
Un convened this crisis
Have to run out of the country
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Nandini yadav Apr 2020
चारों ओर कोहराम मचा
सारी दुनिया घबराई है
स्वर्ग सी अपनी धरती पर
ये कैसी आफत आयी है
जबसे हमने जन्म लिया
न देखा ऐसा मंज़र है
पृथ्वी के सीने में घुसता
कोरोना रूपी खंज़र है,,
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Nandini yadav Apr 2020
चारों ओर कोहराम मचा

सारी दुनिया घबराई है

स्वर्ग सी अपनी धरती पर

ये कैसी आफ़त आयी है,,

जबसे मैंने जन्म लिया

न देखा ऐसा मंज़र है

धरती के सीने में घुसता

कोरोना रूपी खंज़र है,,

सूने हो गए गली मोहल्ले

बन्द हो गए रास्ते

घर में रुकना है अब तुमको

बस जीने के वास्ते,,

अभी समय है रोक लो खुद को

घर में ही सुरक्षित रह पाओगे

अभी नहीं संभले तो सुन लो

आगे बहुत पछताओगे

प्रकृति की गोद में पलकर

उसी को छलनी करते हैं

ज़ुर्म करते बेज़ुबानों पर

और ख़ुद की प्रसंशा करते हैं

कोरोना नहीं ये कर्मा है

तेरी हसरत गुम हो जाएगी

जब-जब बढ़ेगा ज़ुर्म तेरा

कुदरत कहर बरसाएगी

बात पते की बता रही है

सबक सिखा रही कोरोना

घायल करदे जो धरती को

तुम ऐसा काम करोना,,

तुम ऐसा काम करोना,,

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Corona or Karma!

There was chaos all around

The whole world is terrified

Heaven on earth

What a tragedy this is,

Since i was born

Neither seen it

Enters the chest of the earth

There is a dagger like corona,

Gone neighborhoods are listened

Closed roads

You have to stay home now

Just to live,

It's time to stop yourself

Will you be safe at home

Listen now if you don't

You will regret so much

In the lap of nature

Sieve the same

At foul play

And treat themselves

This is not corona

Your beauty will be lost

Whenever you will increase crime

Nature will wreak havoc

Talking of address

Corona is teaching a lesson

Hurt the earth

You do such a thing,

You do such a thing ,,
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Nandini yadav May 2020
चलो खुद की तलाश करते हैं दुनिया के मसलों से दूर
कुछ पल,कुछ पल अपने साथ बिताते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
बिखर गए कुछ पन्ने ज़िन्दगी के इधर-उधर
समेट के आज सबको
एक खुशनुमा लम्हा लिखते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
माफ़ करना ऐ दिल तुझे सबसे ज्यादा दुखी
हमने ही किया है
खुशियां तो बांट दी ज़माने भर में और
दुनिया भर का ग़म तुझे दिया है
तुझपे किये इस ज़ुर्म की सज़ा अपने आप को देते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
थक चुके हैं ये कान सबकी बातें सुनते-सुनते
कभी किसी की फटकार तो किसी के ताने सुनते-सुनते
आज सबको चुप कर इन्हें सिर्फ़ अपनी बातें सुनाते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
खो दिया है खुद को दुनिया की भीड़ में कंही
आगे निकल गए सारे और हम खड़े रह गए वंही
ज़िन्दगी बीत गयी सबको खुश रखते-रखते
आज सबको भुला सिर्फ़ और सिर्फ़
अपनी खुशियों के तराने बुनते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,।।
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यह कविता है खुद को तलाशने के,,दुनिया की भीड़ में खुद को ढूंढने की,,अपने आप से मिलने की।
Nandini yadav Apr 2020
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं
अपने प्यार की शुरुआत फिर से करते हैं
कहानी के कुछ पन्ने जो रह गए थे अधूरे
साथ मिलकर उन्हें फ़िर से लिखते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
हर बात को पूरा न करना जैसे आदत थी तुम्हारी
यही वज़ह थी जो रह गयी अधूरी कहानी हमारी
तुम जो बिना बोले समझाने की कोशिश करते थे
ख़ुद भी उलझ जाते और मुझे भी परेशान करते थे
तुम्हारी इस आदत में थोड़ा सुधार करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
तुम लिखना उन बातों को जो कभी कह न सके
मेरे होकर भी कभी मेरे हो न सके
मेरे साथ तो थे तुम लेकिन पास नहीं
तुम्हारी कमी को बयां कर सकें
मेरे पास वो अल्फ़ाज़ नहीं
इस अधूरेपन को आज दूर करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,

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Let's go through the past


...Let's go through the past
Let's start our love again
Some pages of the story
that were left incomplete
Write them together again
Let's go through the past,
Do not complete everything as it was your habit
This was the reason that left our incomplete story
You who tried to explain without speaking
They used to get entangled and harass me too
Improve your habit a little bit
Let's go through the past,
You write things that you could never say
I can never be mine
You were with me but not close
Tell me your lack
I don't have that alpha
Remove this incompleteness today
Let's go through the past,
Doston..Aaj miniPOETRY ko 1 month complete ** gya hai..thanx for your support....Meri or bhi poems aap sun sakte hain mere youtube channel miniPOETRY par

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Nandini yadav Apr 2020
लॉकडाउन हो गया देश में
संकट बड़ा ही भारी है
जब बन्द हो गए सभी घरों में
तब कुछ सेवाएं ज़ारी हैं
बन्द हो गए मंदिर सारे
लोगों के मन मुरझाये हैं
अस्पतालों में देखा हमने
भगवान निकल कर आये हैं,
खुद की परवाह किये बिना
दिन रात जो सेवा करते हैं
देकर नई जिंदगी हमको
खुद रोज़ मौत से लड़ते हैं
मुश्किल भारी इस घड़ी में
कोरोना जैसे रावण है
कोरोना की कमर तोड़ने
आया पुलिस प्रसाशन है
घर परिवार को छोड़ कर अपने
गली सड़कों पर खड़े हुए
न घुसने देंगे कोरोना को
इस बात पर सब डटे हुए
दोस्तों ये समय है ऐसा
हम सबको साथ आना है
बेवज़ह घर से न निकलकर
कोरोना को सफल बनाना है।

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Protector of the country


..Lockdown in the country
The crisis is too heavy
When all the houses were closed
Then some services are released
Temple closed
People's minds are withering
We saw in hospitals
God has come out,
Regardless of myself
Those who serve day and night
Giving us new life
Fight yourself to the death every day
Hard heavy in this hour
Corona is like Ravana
Corona's back break
Aaya is a police officer
Leaving home family
Street standing
Will not allow corona
All set to the point
This is the time friends
We all have to come together
Not needlessly leaving the house
Corona has to succeed.
दोस्तों अब आप मुझसे जुड़े रह सकते हैं मेरे custom url के साथ
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Nandini yadav Apr 2020
रूठ जाऊं मैं तो वो मुझे मनाते थे

खुश अगर हूँ मैं तो साथ मुस्कुराते थे

मेरे लिए वो हर मुसीबत से लड़ जाते थे

वो मेरे दोस्त ही थे जो मेरा हर पल साथ निभाते थे,,

राहों में हों कांटे तो फूल बन बिछ जाते थे

लड़खड़ाने लगे कदम तो सहारा बन जाते थे

माना थोड़े कमीने थे शरारतें कर जाते थे

वो मेरे दोस्त ही हैं जो हर पल मेरा साथ निभाते थे,,

ज़िन्दगी की राह में सब अलग अलग हो गए

ज़िमेदारियों के बोझ में इधर उधर खो गए

मिलने जुलने का सिलसिला अब कम हो गया है

देर रात तक गप्पें मारना अब बन्द हो गया है

दुनिया कि इस भीड़ में अकेलापन महसूस होता है

आसां हो जाता है सफर अग़र दोस्त साथ होता है,,

चलो आज फिर से एक शरारत करते हैं

कुछ पल ज़िन्दगी के चुपके से चुरा लेते हैं

खुशियों की पतंगें जो अटक गई थी झाड़ियों में

निकाल के आज उसको एक नई उड़ान भरते हैं,,

छोड़ के सारे मसले जीवन के

चलो आज फिर से मिलते हैं

बैठ के साथ फिर से एक दूसरे के किस्से सुनते हैं

हंसते हैं,मुस्कुराते हैं और फिर एक बार कहते हैं

हाँ.. यही मेरे दोस्त हैं जो हर पल मेरा

साथ निभाते हैं,,।।


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friendship

I used to celebrate my anger
Happy if i smiled together
He used to fight every trouble for me
He was my friend who used to play with me every moment,
If there were thorns in the path, they would become flowers
Stumbling steps became a support
Believed that there were some **s who used to do mischief
But he is my friend who used to play with me every moment,
Everyone got separated in the way of life
Lost in the burden of responsibility
The process of meeting has reduced now
Gossiping off late at night
The world feels lonely in this crowd
Travel is easy, friend is with you
Let's do a prank again today
Steal a few moments of life secretly
Kites of happiness that were stuck in the bushes
Today he takes a new flight
Leave all the issues of life
Let's meet again today
Sit back and listen to each other's stories
Laughs, smiles and then says once
Yes .. this is my friend who is my every moment
Play with,,.
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Nandini yadav Apr 2020
आज मन में ये सवाल उठता है

क्यों किसी से बात करने का मन करता है

जब खोए हुए हैं सब अपनी ही दुनिया में

तो क्यों उन्हें तलाशने को जी करता है आज मन में ये सवाल उठता है,,,

कहते तो सब हैं कि हम साथ हैं

दूर हैं लेकिन तुम्हारे पास हैं

फिर ये साथ अधूरा क्यों लगता है

आज मन में ये सवाल उठता है,,,

मीठा बोल के लोग पीछे छुरी चलाते हैं

करते थे अब तक जो नफ़रत हमसे

अब वो साथ मुस्कुराते हैं

अपनी कही बातों से हर दिन मुकर जाते हैं

कभी करते हैं हाँ तो कभी ना कर जाते हैं

रोज़ बदलते रिश्तों पर विश्वास कैसे हो सकता है

आज मन में ये सवाल उठता है,,

          

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Changing relationships


...Today a question arises in the mind
Why would you like to talk to someone
When all are lost in their own world
So why does he live to find them today, this question arises in the mind ,,,
Everyone says that we are together
Away but you have
Why does it feel incomplete then
Today, this question arises in the mind ,,,
People speak sweetly behind a knife
Who used to hate us till now
Now they smile together
Go back on his words every day
Sometimes they do, sometimes they do
How to trust daily changing relationships
Today, this question arises in the mind,
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Nandini yadav Aug 2020
सुनो,ज़रा ग़ौर से आज मेरी बात सुनना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

मेरे जाने की रब से न तुम शिकायत करना
फ़िर पा सको मुझे बस यही दुआ करना
अपने लबों पर सदा मेरा नाम रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

मुझसे जुदा होने का ग़म खुदसे दूर कर देना
अपने ज़ख्मों को मेरी यादों से भरना,और
मैं वँहा खुश रह सकूं इसलिए तुम यँहा खुश रहना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

धूप की पहली किरण जब तुम्हें स्पर्श करें
तो मेरे होने का एहसास करना
गुस्सा आए मुझ पर कभी
तो इन बहती हवाओं के साथ झगड़ना
और मन करे मिलने का तो बस,
बस अपनी आंखें बंद करना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

एक आख़री बार कुछ मांग लूँ तुमसे, दोगे न
तो मुझसे बिछड़ने के बाद न रो कर मुझे याद करना
मुझे देख के जैसे अभी हंसते हो
जाने के बाद भी वैसे ही हंसना
तुम्हे मालूम है न तुम्हे मुस्कुराते देखना पसंद है मुझे
तो अपनी मुस्कुराहट को यूँ ही बरक़रार रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।।
Hello friends..This poem is about sacred bond or relationship.it signifies pure love.
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Nandini yadav May 2020
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
कोरोना का अंधकार मिटाकर
एक नया सवेरा साथ लाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
लॉकडाउन हुआ है जबसे
कैद हो गए घर में तबसे
बिछड़ गए अपनों से सारे
कोरोना के कहर से हारे
ये हार का सिलसिला जल्द खत्म हो जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
बन्द हो गए धन्धे सारे
छूट गयी मज़दूरी
चाह कर भी न कमा पा रहे
हाय! कैसी मजबूरी
इस मजबूरी की दीवार गिरा
हर वर्ग काम पर जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
खुल जाएंगे रास्ते सारे
सब बंधन मुक्त हो जाएंगे
हरा के फिर कोरोना को
आज़ादी का दीप जलाएंगे
बिखर गई है अर्थव्यवस्था हमारी
उसको मजबूत बनाएंगे
बिगड़े हुए इन हालातों में
सारा देश एकजुट हो जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
करें प्रकृति को नमन आज हम
और करें ये वादा
न छेड़-छाड़ करें धरती से
न हो ऐसा इरादा
प्रकृति का साथ पाकर
हर आंगन खिल जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
सारा देश मुस्कुराएगा..

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This country will smile again


When the whole country smiles
Erasing the darkness of corona
Will bring a new dawn
The day will come again
When the whole country smiles
Lockdown since
Imprisoned at home ever since
All the people who were separated
Lost from the havoc of corona
This necklace will end soon
The day will come again
When the whole country smiles
All closed down
Missed wages
Can't earn even after wanting
Oh! What helplessness
The wall of this helplessness fell
Every class will go to work
The day will come again
When the whole country smiles
Will open all the way
All ******* will be free
Beat the corona again
Light a lamp of freedom
Our economy is shattered
Make him stronger
In these circumstances
The whole country will be united
The day will come again
When the whole country smiles
Bow to nature, today we
And make this promise
Do not disturb the earth
No such intention
With the nature
Every courtyard will bloom
The day will come again
When the whole country smiles
The whole country will smile ..
Please...Stay home and stay safe
अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें।इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद करें।lockdow को पूरी तरह से फॉलो करें।
ये कविता एक उम्मीद है एक आशा का प्रतीक है इस निराश की घड़ी में,मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही भारत और पूरा विश्व इस समस्या का समाधान खोज निकाले गा और सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाएगा।
जय हिंद जय भारत
Nandini yadav May 2020
वो कहते हैं हम छुपाते बहुत हैं
पूँछते हैं वो कुछ हम बताते कुछ और हैं
माना कि हर दिल में कुछ राज़ छुपे होते हैं
मग़र कभी तो कोई राज़ खोलो जब हम साथ होते हैं,,

        मैनें मुस्कुराते हुए फिर उनसे कुछ यूँ कहा..
खोल देती हूँ तेरे सामने सारे राज़ अपने
देखे हैं तेरे साथ मैनें कुछ हसीं सपने
तेरे बिन लगे जैसे अधूरी हूँ मैं
तू मिल जाये तो हो जाऊं पूरी मैं
मेरी हर दुआ में शामिल तेरा नाम हो
मैं तेरी राधा और तू मेरा घनश्याम हो
दिल से जुड़ा ये रिश्ता तेरी रूह से जुड़ जाए
जिस राह पर रखूँ क़दम वो तेरी ओर मुड़ जाए
तेरी खुशियों से ही नहीं तेरे ग़म से भी मेरा रिश्ता हो
मैं बन जाऊं वो लम्हा जिस लम्हे में तू हंसता हो
तेरा मिलना जैसे टूटते तारे से मांगी कोई दुआ है
तू मेरा वो ख्वाब है जो सच में पूरा हुआ है
तूने मुझे खुदसे प्यार करना सिखाया है
प्यार कोई बंधन नहीं आज़ादी है ये बताया है
हर दिन तुम्हे इशारों में यही तो जताने की कोशिश करती हूँ
कहती नहीं हूँ लेकिन तुमसे बहुत प्यार करती हूँ
फ़िर भी तुम्हारी धड़कनें मेरे लफ़्ज़ों को सुनने का इंतज़ार करती हैं
इज़हार-ए-मोहब्बत का मज़ा तो तब है
जब मेरी निगाहें तेरी निगाहों से बात करती हैं
है हुनर तुझमे तो इन निगाहों को पढ़
जो हर रोज़ तुझसे राज़-ए-इश्क़ बयां करती हैं
जो हर रोज़ तुझसे राज़-ए-इश्क़ बयां करती हैं..।।

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Raaz-e-Ishq

Ask something we tell something else
Let there be some secret hidden in every heart
If you ever open a secret, when we are together,

I smiled and then said something like this to him ..
I open all the secrets in front of you
I have seen some dreams with you
I am incomplete without you
If you meet then I should be complete
Your name is included in my every prayer
I am your Radha and you are my Ghanshyam
May this heart-related relationship connect with your spirit
Step on which path i turn to you
I have a relationship not only with your happiness
but also with your sorrow
I shall become the moment in which you laugh
Tera milna is like a blessing from a falling star
You are my dream that is truly fulfilled
You have taught me to love myself
Love is not a bond it is freedom
Every day I try to convey this to you in gestures
I do not say but love you very much
However your beats wait to hear my words
Ezhar-e-mohabbat is fun then
When my eyes talk to you
Have your skills, read these eyes
Who says Raaz-e-Ishq to you everyday
Who tells you Raaz-e-Ishq every day….
Friends ..Ab aap meri poems ANCHOR par bhi sun sakte hain
https://anchor.fm/mini-poetry/episodes/--ee1vip
Nandini yadav Apr 2020
दिल से जुड़ी थी जो बातें दिल की

अब दिल ही दिल में दबाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

बेझिझक करते थे जो कभी बातें हमसे

अब हर राज़ छुपाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

कहते थे जो कभी न छूटेगा साथ हमारा

अब वही अपना हाथ छुड़ाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

मिलकर देखे थे जो कभी ख्वाब हमने

अब एक-एक कर हर ख्वाब दफ़नाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

हसरत थी जिनके साथ ज़िन्दगी बिताने की

चाहत थी उम्र भर साथ निभाने की

दिलाया था जिसने भरोसा अपने क़रीब होने का

आज वही तन्हाइयों का एहसास कराने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं       

 वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे

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They are slowly moving away from us...


The words of the heart that were related to the heart
Now the heart is pressing in the heart
They are slowly moving away from us,
Feel free to talk to us once
Now every secret has been hidden
They are slowly moving away from us,
They used to say that they will never leave our company
Now he is freed
They are slowly moving away from us,
Together we saw what ever dream
Now every dream is being buried
They are slowly moving away from us,
Hasrat was with whom to spend his life
Wanted to live together throughout my life
Who had given me the confidence to be close
Today those same loners are starting to realize
They are slowly moving away from us
They are slowly moving away from us
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Nandini yadav Jun 2020
औरों को दे महल बनाकर
ख़ुद झोपड़ में रहता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
      
      भर के आँखों में सपने
       वो गाँव छोड़कर आता है
       शहर की चकाचौंध भरी दुनिया में
       ख़ुद को अनजाना पाता है
       सारे दर्द समेट के अंदर
       बाहर से मुस्कुराता है
       बात करें हम आज श्रमिक की
       जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

जेठ की जलती गर्मी हो
या हो जाड़े की मार
मुश्किल भरे हालातों में भी
न माने कभी वो हार
चंद मज़दूरी की ख़ातिर
दिन रात वो मेहनत करता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
      
       परिश्रम करता सबसे ज्यादा
       फिर भी दुत्कारा जाता है
       करोड़ों कमाने वाले मालिक से
       ख़ुद समय पर पगार न पाता है
       फिर भी करता न उफ़ कभी
       चुप-चाप सब सहता जाता है
       बात करें हम आज श्रमिक की
       जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

मजबूर हो गए आज श्रमिक
जब कोई मदद न करता है
वापस अपनों से मिलने
वो मीलों पैदल चलता है
पैर में पड़ गए मोटे छाले
फिर भी उसके कदम न हारे
देख के ऐसी हिम्मत उसकी
ख़ुद कहर भी दंग रह जाता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

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                 Labor agony

Make others a palace
He lives in a hut
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Dreams in all eyes
He leaves the village
In the dazzling world of the city
Finds himself a little unknown
Inside all the pain
Smiles from outside
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Hot summer
Or be winter
Even in difficult conditions
Never believe that every
For the sake of a few wages
Day and night he works hard
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Works hard the most
Is still rebuked
From a boss who earns crores
Do not pay on time
Never does oops ever
All is silent
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Today the workers were forced
When no one helps
To go back to the village
He walks for miles
Thick ulcers in the leg
Still don't lose his steps
Seeing this courage
Amber also bends down
Talk about labor today
No one understands the agony of ...
दोस्तों इस कविता में हमने बात की है समाज के उस वर्ग की जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता अर्थात श्रमिक और मज़दूर वर्ग। ये ऐसा वर्ग है जो बहुत ही कठिन परिश्रम करके अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते हैं।
यह कविता  श्रमिक के जीवन और उसकी मन की व्यथा को को समझने का एक छोटा सा प्रयास है।

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— The End —