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Nandini yadav Aug 2020
सुनो,ज़रा ग़ौर से आज मेरी बात सुनना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

मेरे जाने की रब से न तुम शिकायत करना
फ़िर पा सको मुझे बस यही दुआ करना
अपने लबों पर सदा मेरा नाम रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

मुझसे जुदा होने का ग़म खुदसे दूर कर देना
अपने ज़ख्मों को मेरी यादों से भरना,और
मैं वँहा खुश रह सकूं इसलिए तुम यँहा खुश रहना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

धूप की पहली किरण जब तुम्हें स्पर्श करें
तो मेरे होने का एहसास करना
गुस्सा आए मुझ पर कभी
तो इन बहती हवाओं के साथ झगड़ना
और मन करे मिलने का तो बस,
बस अपनी आंखें बंद करना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।

एक आख़री बार कुछ मांग लूँ तुमसे, दोगे न
तो मुझसे बिछड़ने के बाद न रो कर मुझे याद करना
मुझे देख के जैसे अभी हंसते हो
जाने के बाद भी वैसे ही हंसना
तुम्हे मालूम है न तुम्हे मुस्कुराते देखना पसंद है मुझे
तो अपनी मुस्कुराहट को यूँ ही बरक़रार रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना
मेरे जाने के बाद भी मुझे याद रखना।।
Hello friends..This poem is about sacred bond or relationship.it signifies pure love.
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Nandini yadav Jun 2020
बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम,अभी न ऐसे जाना था

अभी तो ज़िन्दगी शुरू हुई थी,जिसे अभी और सजाना था

अपने किरदारों से तुमने,कभी हँसाया तो कभी रुला दिया

बॉलीवुड के चंद हकदारों ने तुम्हें मौत की नींद सुला दिया

भेदभाव की इस नगरी में तुमने,कितना दर्द सहा होगा

सिर्फ टैलेंट के बूते पहचान बनाना,मुश्किल बड़ा रहा होगा

बस,उस पल से और लड़ जाते तुम,जिस पल में तुम टूट गए

हताश हुए,निराश हुए और हयात से यूँ रूठ गए

ज़िंदादिल इंसान थे तुम,तुम्हे चाँद पर घर बसाना था

बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम,अभी न ऐसे जाना था

कुछ वक्त पहले कंगना ने खुद ये राज़ खोला था

भाई भतीजावाद के ख़िलाफ़, सिर्फ उसी ने बोला था

उसकी तीखी बातों पर न कभी किसी ने ग़ौर किया

नेपोटिस्म के सौदागरों ने फिर एक नया शिकार किया

इन तुच्छ लोगों की साजिश में,न खुद को यूँ मिटाना था

बिन कुछ कहे क्यों चले गए तुम, अभी न ऐसे जाना था

आत्महत्या नहीं ये हत्या है,तुम्हे इंसाफ मिलना चाहिए

फिर से कोई सुशांत, अब न शांत होना चाहिए

चला गया वो खामोशी से,अब तो थोड़ी शर्म करो

बॉलीवुड में नेपोटिस्म का ये काला धंधा बन्द करो।

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            Did not want to go now ..

Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
Life had just started, which still had to be decorated
You laughed at your characters and sometimes made you cry
Bollywood's few entitles put you to death
In this city of discrimination, you must have suffered so much pain
It would have been difficult to identify only on the basis of talent
Just, from that moment you would fight, the moment you broke
Desperate, disappointed and disgusted with the Hyatt
You were a lively person, you had to settle on the moon
Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
Kangana opened this secret herself some time ago
Only he spoke against brother nepotism
Nobody noticed his sharp words
Nepotism dealers again hunt a new one
In the conspiracy of these frivolous people, not to erase themselves
Why did you go without saying anything, you did not have to leave now
It's not ******, it's suicide, you should get justice
No Sushant again, no more calm
He has gone silently, now be a little ashamed
Stop this dark business of nepotism in Bollywood.
This is a tribute to sushant singh rajput who made his mark in bollywood only on the basis of his talent. actually this is not ****** but suicide sushant get justice now nepotism hast to be completely eliminated from bollywood and lets boycott all those **** people who promote nepotism
Nandini yadav Jun 2020
औरों को दे महल बनाकर
ख़ुद झोपड़ में रहता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
      
      भर के आँखों में सपने
       वो गाँव छोड़कर आता है
       शहर की चकाचौंध भरी दुनिया में
       ख़ुद को अनजाना पाता है
       सारे दर्द समेट के अंदर
       बाहर से मुस्कुराता है
       बात करें हम आज श्रमिक की
       जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

जेठ की जलती गर्मी हो
या हो जाड़े की मार
मुश्किल भरे हालातों में भी
न माने कभी वो हार
चंद मज़दूरी की ख़ातिर
दिन रात वो मेहनत करता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
      
       परिश्रम करता सबसे ज्यादा
       फिर भी दुत्कारा जाता है
       करोड़ों कमाने वाले मालिक से
       ख़ुद समय पर पगार न पाता है
       फिर भी करता न उफ़ कभी
       चुप-चाप सब सहता जाता है
       बात करें हम आज श्रमिक की
       जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

मजबूर हो गए आज श्रमिक
जब कोई मदद न करता है
वापस अपनों से मिलने
वो मीलों पैदल चलता है
पैर में पड़ गए मोटे छाले
फिर भी उसके कदम न हारे
देख के ऐसी हिम्मत उसकी
ख़ुद कहर भी दंग रह जाता है
बात करें हम आज श्रमिक की
जिसकी व्यथा न कोई समझता है।

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                 Labor agony

Make others a palace
He lives in a hut
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Dreams in all eyes
He leaves the village
In the dazzling world of the city
Finds himself a little unknown
Inside all the pain
Smiles from outside
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Hot summer
Or be winter
Even in difficult conditions
Never believe that every
For the sake of a few wages
Day and night he works hard
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Works hard the most
Is still rebuked
From a boss who earns crores
Do not pay on time
Never does oops ever
All is silent
Talk about labor today
No one understands the agony ..
Today the workers were forced
When no one helps
To go back to the village
He walks for miles
Thick ulcers in the leg
Still don't lose his steps
Seeing this courage
Amber also bends down
Talk about labor today
No one understands the agony of ...
दोस्तों इस कविता में हमने बात की है समाज के उस वर्ग की जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता अर्थात श्रमिक और मज़दूर वर्ग। ये ऐसा वर्ग है जो बहुत ही कठिन परिश्रम करके अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते हैं।
यह कविता  श्रमिक के जीवन और उसकी मन की व्यथा को को समझने का एक छोटा सा प्रयास है।

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Nandini yadav Jun 2020
ऐ दिल,न बैठ यूँ हार कर

उठ,संभाल ख़ुद को और

फ़िर किसी से मुलाक़ात कर

ऐ दिल तू फ़िर से प्यार कर।

        माना कि तुझे ग़म है उसके जाने का

        मग़र उसका तो इरादा ही था तुझे रुलाने का

       उसके दिए दर्द से न ख़ुद को यूँ परेशां कर

       ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।

बिखर चुका है तू इस बात का एहसास है मुझे

उसकी यादों में तड़पता देखा है तुझे

उसकी यादों से अब तू ख़ुद को आज़ाद कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फिर से प्यार कर।

       उदास न हो,तू अकेला नहीं है

       हज़ारों दिल हर रोज़,टूटते हैं यंहा

       टूटे दिल के टुकड़ों को समेट और

       फ़िर एक नयी शुरुआत कर

       ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।
  
हक़ न दे किसी को,जो तुझे रुला सके अब

अपनी खुशियों की शुरुआत तू ख़ुद से कर

तू ख़ुद पर रख यकीं और न अब किसी पर ऐतबार कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर

ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।।
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Nandini yadav Jun 2020
जग-जीवन खुशहाल बनाएं
चारों ओर हरियाली लाएं
आओ पर्यावरण बचाकर
अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
            जलता सूरज तपती धरती
            पेड़ के नीचे राहत मिलती
            पेड़ों से जीवन है सारा
            लेकिन अपने स्वार्थ के ख़ातिर
            मनुष्य ने अनावश्यक पेड़ है काटा
            पेड़ के बदले पेड़ लगाएं
            यह संदेश सब तक पहुचाएं
            आओ पर्यावरण बचाकर
            अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
जल से ही हम ज़िंदा रहते
फिर भी जल को दूषित करते
नदियों को पूजा है जाता
सारा कचरा उसी में जाता
जल है एक अनमोल रत्न
बूँद-बूँद को स्वछ बनाएं
आओ पर्यावरण बचाकर
अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।
             करें आदतों में सुधार आज हम
             बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाएं
             न करें प्रकृति का नाश और हम
             हर मन में ये अलख जगाएं
             धरती है ये माँ हमारी
             उसको अब न और रुलाएं
             आओ पर्यावरण बचाकर
             अपनी धरा को स्वर्ग बनाएं।।

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        Let's save the environment

Make life happy
Bring greenery around
Come save the environment
Make your land heaven.
       Burning sun rises earth
       Relieved under the tree
       Life is all from the trees
       But for the sake of our selfishness
       Man has cut unnecessary trees
       Plant trees instead of trees
       Reach this message to everyone
       Come save the environment
       Make your land heaven.
We live by water
Still polluting the water
Rivers are worshiped
All the waste goes to
Water is a precious gem
Make the blob clean
Come save the environment
Make your land heaven.
       Improve our habits today
       Curb rising pollution
       Do not destroy nature and we
       Awaken these feelings in your
        mind
       This mother is our earth
        Don't make him cry anymore
        Come save the environment
        Make your house heaven.
दोस्तों, यह कविता विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर लिखी है।यह कविता हमें बताती है कि क्यों हमें अपने पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए,क्यों हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। जल कुदरत से मिला बहुत कीमती उपहार है जिसे हमें सुरक्षित व स्वछ रखना चाहिए।
Nandini yadav May 2020
चलो खुद की तलाश करते हैं दुनिया के मसलों से दूर
कुछ पल,कुछ पल अपने साथ बिताते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
बिखर गए कुछ पन्ने ज़िन्दगी के इधर-उधर
समेट के आज सबको
एक खुशनुमा लम्हा लिखते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
माफ़ करना ऐ दिल तुझे सबसे ज्यादा दुखी
हमने ही किया है
खुशियां तो बांट दी ज़माने भर में और
दुनिया भर का ग़म तुझे दिया है
तुझपे किये इस ज़ुर्म की सज़ा अपने आप को देते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
थक चुके हैं ये कान सबकी बातें सुनते-सुनते
कभी किसी की फटकार तो किसी के ताने सुनते-सुनते
आज सबको चुप कर इन्हें सिर्फ़ अपनी बातें सुनाते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
खो दिया है खुद को दुनिया की भीड़ में कंही
आगे निकल गए सारे और हम खड़े रह गए वंही
ज़िन्दगी बीत गयी सबको खुश रखते-रखते
आज सबको भुला सिर्फ़ और सिर्फ़
अपनी खुशियों के तराने बुनते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,।।
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यह कविता है खुद को तलाशने के,,दुनिया की भीड़ में खुद को ढूंढने की,,अपने आप से मिलने की।
Nandini yadav May 2020
वो कहते हैं हम छुपाते बहुत हैं
पूँछते हैं वो कुछ हम बताते कुछ और हैं
माना कि हर दिल में कुछ राज़ छुपे होते हैं
मग़र कभी तो कोई राज़ खोलो जब हम साथ होते हैं,,

        मैनें मुस्कुराते हुए फिर उनसे कुछ यूँ कहा..
खोल देती हूँ तेरे सामने सारे राज़ अपने
देखे हैं तेरे साथ मैनें कुछ हसीं सपने
तेरे बिन लगे जैसे अधूरी हूँ मैं
तू मिल जाये तो हो जाऊं पूरी मैं
मेरी हर दुआ में शामिल तेरा नाम हो
मैं तेरी राधा और तू मेरा घनश्याम हो
दिल से जुड़ा ये रिश्ता तेरी रूह से जुड़ जाए
जिस राह पर रखूँ क़दम वो तेरी ओर मुड़ जाए
तेरी खुशियों से ही नहीं तेरे ग़म से भी मेरा रिश्ता हो
मैं बन जाऊं वो लम्हा जिस लम्हे में तू हंसता हो
तेरा मिलना जैसे टूटते तारे से मांगी कोई दुआ है
तू मेरा वो ख्वाब है जो सच में पूरा हुआ है
तूने मुझे खुदसे प्यार करना सिखाया है
प्यार कोई बंधन नहीं आज़ादी है ये बताया है
हर दिन तुम्हे इशारों में यही तो जताने की कोशिश करती हूँ
कहती नहीं हूँ लेकिन तुमसे बहुत प्यार करती हूँ
फ़िर भी तुम्हारी धड़कनें मेरे लफ़्ज़ों को सुनने का इंतज़ार करती हैं
इज़हार-ए-मोहब्बत का मज़ा तो तब है
जब मेरी निगाहें तेरी निगाहों से बात करती हैं
है हुनर तुझमे तो इन निगाहों को पढ़
जो हर रोज़ तुझसे राज़-ए-इश्क़ बयां करती हैं
जो हर रोज़ तुझसे राज़-ए-इश्क़ बयां करती हैं..।।

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Raaz-e-Ishq

Ask something we tell something else
Let there be some secret hidden in every heart
If you ever open a secret, when we are together,

I smiled and then said something like this to him ..
I open all the secrets in front of you
I have seen some dreams with you
I am incomplete without you
If you meet then I should be complete
Your name is included in my every prayer
I am your Radha and you are my Ghanshyam
May this heart-related relationship connect with your spirit
Step on which path i turn to you
I have a relationship not only with your happiness
but also with your sorrow
I shall become the moment in which you laugh
Tera milna is like a blessing from a falling star
You are my dream that is truly fulfilled
You have taught me to love myself
Love is not a bond it is freedom
Every day I try to convey this to you in gestures
I do not say but love you very much
However your beats wait to hear my words
Ezhar-e-mohabbat is fun then
When my eyes talk to you
Have your skills, read these eyes
Who says Raaz-e-Ishq to you everyday
Who tells you Raaz-e-Ishq every day….
Friends ..Ab aap meri poems ANCHOR par bhi sun sakte hain
https://anchor.fm/mini-poetry/episodes/--ee1vip
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