"तलाश है मंज़िल की, खोज रहा हूँ मैं सदियों से,
फिर रहा दर बदर, उम्मीद लिए सीने में।
बीत रहा सफर, इस दौड़-भाग की जिंदगी में,
दूर रह गए अपने, इस कामयाबी की कोशिश में।
अब आस यही है, लौट आऊं घर वापस,
गुज़ारूं लम्हे अपनों के साथ, छोड़ दूं फिजूल सपने।
The conflict between chasing success and nurturing relationships, ending with the desire for connection over ambition.