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Daivik May 2021
थक गया हूँ
कुछ ना कर करके
Daivik May 2021
Eid Mubarak
ईद मुबारक
عید مبارک ہو
Prabhu Iyer May 2021
When the apocalypse came
it was not raining fire from the skies
no schism in the ***** of the earth,
the seas are not swirling over, nor
the rivers welling up in grief;
Quiet as tears of the early sky
we mourn - how many more
do we count lost and begone?
Shovels and pick axes say ‘no more’-
a touch and hug and a word of cheer,
who knew death comes in garbs
so dear ? there burn the pyres
endless in their dirge, painting
distant the Sun in hues of the dark
and we hope and we pray,
let this be it, Lord, if we must suffer
let this your coming be then -
for we can’t take this anymore
How many more do we lose ?
How many the logs that weary
feed the fires of the infernal?
Daivik May 2021
ये सब छोरो ,ये सब तो चलता रहेगा
वो लड़ाते रहेंगे, हम लड़ते रहेंगे
ये सत्ता की नदी हैं
इसका न शुरवात हैं न अंत
बस डूब मत जाना।
Daivik May 2021
ये दिन भी यू ही ढल जाएगा
ये रात भी यू ही बीत जाएगी
ये वक्त भी यू ही कट जाएगा

तुम्हारे बिना
क्या खुशी,क्या दुख

तुम्हारे बिना
क्या गम,क्या सुख
uv May 2021
Once again we find our selves in a spot.
Where eveything outside looks rosy
And all dark within.
We find ourselves locked and caged
And the moving world moving with all its gait


Once again we hear the sounds of despair
When everything was just on the brink of being glorious and fair.
We find we have more to bear and be aware
And the part where we learn still has a humongous share


Thankfullness and humbleness
Emphathy and hope
These are few friends to make
They will pull you along just like a strong, unbreakable rope.


Hold on, just hold on
              -uv
Daivik Apr 2021
तू राम हैं,रहीम भी
तू सर्वेंद्र हैं,जग-जुगान्तर का साक्षी।

विधिवत विविधता के वन का तू ही वनरक्षक हैं
लक्ष लक्ष्यों की पूर्ति में तू ही तो सहायक हैं।
अंधकार से प्रकाश तक पहुचने में तू ही सार्थी
दुष्बिचारों के दलदल का विनाशक भी तू ही।

भोला बाबा तू
बिन दोष हैं।

सर्वरक्षक तू
तू सर्वोबड़ी
तू ही तो अपार सुंदरी।

तेरी नीति चमत्कार हैं
तेरे सीख निराकार हैं
तेरी लीला अपरम्पार हैं
सत्य ही तू महान है ।

सरोवर एकांत का तू हैं
वृक्ष दान का तू
गंगा ज्ञान की तू हैं
पर्वत साधना की तू
राजा कुदरत का तू हैं।

न भूखा तू प्रेम का
न भोग का,न योग का
न श्रध्दा का,न भक्ति का
न रस का,न यश का।

तेरे नाम हज़ार
उनपर लिखे गीत लाख
परंतु एक तू
परे वाद के।

तू कौन हैं?
इस प्रश्न के कारण मरे कई
तेरा कोनसा रूप पाक हैं
इस पर लड़े गए युद्ध कई।

तू हैं परे संबंध के,परे आकार के
परे मोह के,परे धर्म के
परे रीति,परे इस विचित्र संस्कृति के
परे समय के,परे सृष्टि।

अनादि तू,अनंत हैं
तू रहा हैं सदैव के लिए
परिवर्तन के परे परे।

तू मन की रचना हैं,तू स्वयंभू
अस्तित्व मैं तू कुच्छ नही,आस्था में सब कुच्छ हैं तू।

तेरा अर्थ क्या
किसे पता
जानना असंभव है ।

तू आशा हैं,
विश्वास हैं।
My first hindi poem I wrote 5 years ago.I am an atheist lol.
Daivik Apr 2021
पंख तेरे हैं अग्नि के
ताकत है चट्टान की
अंग तेरे हैं शक्ति के
सपने तेरे अंगार से
क्षीरसागर से बड़ी जिज्ञासा तेरी
इंसान―तू महान हैं।

तू रचना हैं किसीकी
किसीका तू रचयता
समुद्र को हैं थमा सकता
बन तू विजेता ।

तू रुक मत, तू झुक मत
बनाया तूने सब कुछ,
शून्य से अनन्त तक
तू कर्ताधर्ता हैं संसार का,
तू ही तो महामहिम
कर वही जो हैं सही।

तू विराट हैं,तू विशाल हैं
रचता तू इतिहास हैं
मन का मालिक तू,परंतु गुलाम भी
बदलदे वसुंधरा।

तेरे प्रश्नों का हैं अंत नही
उत्तरों से तू संतुष्ट नही
तेरा मोक्ष तुझे खुद पता नही
इंसान―तू महान हैं,
दैत्य से तू बचा रहे।

अपने रचनाओं पे नाज़ कर
हर जीव का तू सम्मान कर
तेरी बनाई इंसानियत का तू मान रख
तू खुद खुदका भगवान बन।

तू खुद खुदका भगवान बन
तू रुक मत, तू झुक मत
कर वही जो हैं सही
क्योंकि
पंख तेरे हैं अग्नि के
ताकत है चट्टान की
अंग तेरे हैं शक्ति के
सपने तेरे अंगार से
क्षीरसागर से बड़ी जिज्ञासा तेरी

इंसान―तू महान हैं
तू बन खुदका विजेता।
Daivik Apr 2021
আনন্দময়
আমার হৃদয়
নব বর্ষের প্রথম সূর্যোদয়

ঠাকুরের গানে নাচে পাখি
এই দিনকে এত ভালো বাসী
সাদা লাল অম্বরের নীচে
খেলে বাংলার সবাই বাসী

নুতুন বছর আনে উন্নতি
এতই আমার প্রার্থনা
শুভ নববর্ষ
পয়লা বৈশাখের শুভকামনা
Shubho noboborsho
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