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Nandini yadav May 2020
भारत माँ से आज उसके 

कई वीर सपूत बिछड़ गए

नमन है ऐसे वीरों का

जो कुर्बान वतन पर हो गए

न झुकने दिया सर देश का अपने

वो अपना सर कटा गए

                     भारत माँ की लाज बचा 

                     ख़ुद मौत को गले लगा गए ,,।

न रुके कभी न झुके कभी

वो तान के सीना चलते हैं

ख़ुद जान की परवाह किये बिना

वतन की रक्षा करते हैं

जिस मिट्टी में जन्म लिया

उस मिट्टी का कर्ज़ चुका गए

                    भारत माँ की लाज बचा

                    ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।

घर परिवार को छोड़ कर वो

सीमा पर पहरा देते हैं

देश की रक्षा की ख़ातिर

अपनों से दूर वो रहते हैं

जिस माँ की गोद में पले-बड़े

उस माँ को रोता छोड़ गए

                  भारत माँ की लाज बचा

                  ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।

धन्य हैं वो वीर जवां

जो देश पर मिट जाते हैं

कदम बढ़ें दुश्मन के अग़र तो

वो चीर लहु पी जाते हैं

न भूल सकें कुर्बानी उनकी

वो ऐसी छाप लगा गए

                भारत माँ की लाज बचा 

                ख़ुद मौत को गले लगा गए,,।।

www.youtube.com/miniPOETRY

A salute to the martyrs

Today many of her brave sons
got separated from Mother India
Salutations to such heroes
Who sacrificed their lives
Do not let your head bow down
They chopped off their heads
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Never stop never bow
They walk the stool
Regardless of my own life
Protect the country
Born in the soil
Pay off that debt
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Leaving the family
Guard the border
For the defense of the country
Away from loved ones
The mother who grew up in the lap
Left that mother crying
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
Blessed are those brave men
Which disappear on the country
Step forward after the enemy
They drink rip blood
Do not forget their sacrifice
They were printed
Mother India left unhappy
He embraced death itself.
दोस्तों यह कविता एक श्रद्धांजलि है हमारे भारतीय सपूतों के लिए जो देश की किसी भी परिस्थिति में अपने घर अपने परिवार को छोड़ कर सिर्फ देश की सेवा में तत्पर रहते हैं और हमारी व देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते हैं।
Nandini yadav May 2020
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
कोरोना का अंधकार मिटाकर
एक नया सवेरा साथ लाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
लॉकडाउन हुआ है जबसे
कैद हो गए घर में तबसे
बिछड़ गए अपनों से सारे
कोरोना के कहर से हारे
ये हार का सिलसिला जल्द खत्म हो जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
बन्द हो गए धन्धे सारे
छूट गयी मज़दूरी
चाह कर भी न कमा पा रहे
हाय! कैसी मजबूरी
इस मजबूरी की दीवार गिरा
हर वर्ग काम पर जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
खुल जाएंगे रास्ते सारे
सब बंधन मुक्त हो जाएंगे
हरा के फिर कोरोना को
आज़ादी का दीप जलाएंगे
बिखर गई है अर्थव्यवस्था हमारी
उसको मजबूत बनाएंगे
बिगड़े हुए इन हालातों में
सारा देश एकजुट हो जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
करें प्रकृति को नमन आज हम
और करें ये वादा
न छेड़-छाड़ करें धरती से
न हो ऐसा इरादा
प्रकृति का साथ पाकर
हर आंगन खिल जाएगा
फ़िर से वो दिन आएगा
जब सारा देश मुस्कुराएगा
सारा देश मुस्कुराएगा..

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This country will smile again


When the whole country smiles
Erasing the darkness of corona
Will bring a new dawn
The day will come again
When the whole country smiles
Lockdown since
Imprisoned at home ever since
All the people who were separated
Lost from the havoc of corona
This necklace will end soon
The day will come again
When the whole country smiles
All closed down
Missed wages
Can't earn even after wanting
Oh! What helplessness
The wall of this helplessness fell
Every class will go to work
The day will come again
When the whole country smiles
Will open all the way
All ******* will be free
Beat the corona again
Light a lamp of freedom
Our economy is shattered
Make him stronger
In these circumstances
The whole country will be united
The day will come again
When the whole country smiles
Bow to nature, today we
And make this promise
Do not disturb the earth
No such intention
With the nature
Every courtyard will bloom
The day will come again
When the whole country smiles
The whole country will smile ..
Please...Stay home and stay safe
अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें।इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद करें।lockdow को पूरी तरह से फॉलो करें।
ये कविता एक उम्मीद है एक आशा का प्रतीक है इस निराश की घड़ी में,मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही भारत और पूरा विश्व इस समस्या का समाधान खोज निकाले गा और सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाएगा।
जय हिंद जय भारत
Nandini yadav Apr 2020
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं
अपने प्यार की शुरुआत फिर से करते हैं
कहानी के कुछ पन्ने जो रह गए थे अधूरे
साथ मिलकर उन्हें फ़िर से लिखते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
हर बात को पूरा न करना जैसे आदत थी तुम्हारी
यही वज़ह थी जो रह गयी अधूरी कहानी हमारी
तुम जो बिना बोले समझाने की कोशिश करते थे
ख़ुद भी उलझ जाते और मुझे भी परेशान करते थे
तुम्हारी इस आदत में थोड़ा सुधार करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,
तुम लिखना उन बातों को जो कभी कह न सके
मेरे होकर भी कभी मेरे हो न सके
मेरे साथ तो थे तुम लेकिन पास नहीं
तुम्हारी कमी को बयां कर सकें
मेरे पास वो अल्फ़ाज़ नहीं
इस अधूरेपन को आज दूर करते हैं
चलो गुज़रे हुए वक़्त में चलते हैं,,

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Let's go through the past


...Let's go through the past
Let's start our love again
Some pages of the story
that were left incomplete
Write them together again
Let's go through the past,
Do not complete everything as it was your habit
This was the reason that left our incomplete story
You who tried to explain without speaking
They used to get entangled and harass me too
Improve your habit a little bit
Let's go through the past,
You write things that you could never say
I can never be mine
You were with me but not close
Tell me your lack
I don't have that alpha
Remove this incompleteness today
Let's go through the past,
Doston..Aaj miniPOETRY ko 1 month complete ** gya hai..thanx for your support....Meri or bhi poems aap sun sakte hain mere youtube channel miniPOETRY par

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Nandini yadav Apr 2020
चारों ओर कोहराम मचा

सारी दुनिया घबराई है

स्वर्ग सी अपनी धरती पर

ये कैसी आफ़त आयी है,,

जबसे मैंने जन्म लिया

न देखा ऐसा मंज़र है

धरती के सीने में घुसता

कोरोना रूपी खंज़र है,,

सूने हो गए गली मोहल्ले

बन्द हो गए रास्ते

घर में रुकना है अब तुमको

बस जीने के वास्ते,,

अभी समय है रोक लो खुद को

घर में ही सुरक्षित रह पाओगे

अभी नहीं संभले तो सुन लो

आगे बहुत पछताओगे

प्रकृति की गोद में पलकर

उसी को छलनी करते हैं

ज़ुर्म करते बेज़ुबानों पर

और ख़ुद की प्रसंशा करते हैं

कोरोना नहीं ये कर्मा है

तेरी हसरत गुम हो जाएगी

जब-जब बढ़ेगा ज़ुर्म तेरा

कुदरत कहर बरसाएगी

बात पते की बता रही है

सबक सिखा रही कोरोना

घायल करदे जो धरती को

तुम ऐसा काम करोना,,

तुम ऐसा काम करोना,,

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Corona or Karma!

There was chaos all around

The whole world is terrified

Heaven on earth

What a tragedy this is,

Since i was born

Neither seen it

Enters the chest of the earth

There is a dagger like corona,

Gone neighborhoods are listened

Closed roads

You have to stay home now

Just to live,

It's time to stop yourself

Will you be safe at home

Listen now if you don't

You will regret so much

In the lap of nature

Sieve the same

At foul play

And treat themselves

This is not corona

Your beauty will be lost

Whenever you will increase crime

Nature will wreak havoc

Talking of address

Corona is teaching a lesson

Hurt the earth

You do such a thing,

You do such a thing ,,
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Nandini yadav Apr 2020
पूँछ बैठा आज मेरा साया मुझसे
साथ हूँ मैं तेरे जबसे
देखा नहीं कभी तुझे मुस्कुराते हुए
क्या राज़ है आज बता दे मुझे,,
मैनें अपनी झुकी हुई नज़रें उठाते हुए कहा,,
सुन,मैं भी मुस्कुराना चाहती हूँ
फूलों की तरह खिलखिलाना चाहती हूँ
चाहत है खुले आसमां में उड़ने की
अपनी बेरंग ज़िन्दगी में रंग भरने की
अरमां हैं मेरे भी कुछ अपने
खुली आँखों से देखे मैनें न जाने कितने सपने
वो नन्हे-नन्हे बच्चे जब बस्ता लेकर निकलते हैं
उन्हें देख कर मेरे क़दम भी आगे बढ़ते हैं
थाम लूँ इन नन्हे हाथों से कलम आज मैं भी
लिख दूँ एक नई दास्तां आज मैं भी
किन्तु रोक लेती हूँ फिर खुद को
ज़रा जोर से झकझोर लेती हूँ खुद को
फिर याद आता है कलम नहीं झाडू है हाथ में
और मुझे तो जीना है बस इसी के साथ मैं
जन्म लेते ही भुला दिया था मुस्कुराना मैंने
एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने
एक बेटी होने की यही कीमत अदा की है मैंने,,

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Price ... to have a daughter

..Tail sat today my shadow from me
I am with you since
Never seen you smiling
Tell me what is the secret today
I raised my bowed eyes and said,
Hey, i want to smile too
Wanna blossom like flowers
Want to fly in open air
To color in your colorless life
Armaan is mine too few
I don't know how many dreams
I can see with open eyes
When those little ones get out of the bag
Seeing them, my steps also move forward
Take hold of these small hands with pen today
May I write a new story today as well
But I stop myself then
Just shake myself hard
Remember again the pen is not in the hand
And i want to live with it
I forgot to smile at birth
I paid the same price for having a daughter
I have paid the same price to have a daughter,
Hi friends..I want to dedicate my new poem to all the daughters ...
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Nandini yadav Apr 2020
दिल से जुड़ी थी जो बातें दिल की

अब दिल ही दिल में दबाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

बेझिझक करते थे जो कभी बातें हमसे

अब हर राज़ छुपाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

कहते थे जो कभी न छूटेगा साथ हमारा

अब वही अपना हाथ छुड़ाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

मिलकर देखे थे जो कभी ख्वाब हमने

अब एक-एक कर हर ख्वाब दफ़नाने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं,,

हसरत थी जिनके साथ ज़िन्दगी बिताने की

चाहत थी उम्र भर साथ निभाने की

दिलाया था जिसने भरोसा अपने क़रीब होने का

आज वही तन्हाइयों का एहसास कराने लगे हैं

वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं       

 वो धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे

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They are slowly moving away from us...


The words of the heart that were related to the heart
Now the heart is pressing in the heart
They are slowly moving away from us,
Feel free to talk to us once
Now every secret has been hidden
They are slowly moving away from us,
They used to say that they will never leave our company
Now he is freed
They are slowly moving away from us,
Together we saw what ever dream
Now every dream is being buried
They are slowly moving away from us,
Hasrat was with whom to spend his life
Wanted to live together throughout my life
Who had given me the confidence to be close
Today those same loners are starting to realize
They are slowly moving away from us
They are slowly moving away from us
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Nandini yadav Apr 2020
विदेश से एक अजीब सा मेहमान आया है
नाम उसने अपना कोरोना बताया है
देश में परेशानियों का पहाड़ बनकर
हज़ारों मुसीबत अपने साथ लाया है
हाथ मिलाकर वो लोगों को फ़साता है
दूरी बनाने से वो दूर भाग जाता है
मास्क ना पहनो तो वो खुश हो जाता है
और बार-बार हाथ धोने से वो हार जाता है
बीमारी का भय दिखाकर सबको डराता है
पीछे पड़ जाए एक बार तो बहुत सताता है
लापरवाही करे इंसान अगर तो
मौत के द्वार तक भी ले जाता है
डरना नहीं है इससे बस अब ये करना है
अपने हाथ और शरीर को साफ और स्वछ रखना है
उचित दूरी बनाएं सबसे घर से बाहर न निकलना है
लड़ रहे जो हमारे लिए उनका साथ निभाना है
नहीं करना अनदेखा इसको इसको सबक सिखाना है
बिन बुलाई इस आफ़त को
देश से बाहर भागना है,,

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Corona leave us now


A strange guest has come from abroad
The name he called his corona
By becoming a mountain of problems in the country
Have brought thousands of trouble with you
By shaking hands he lures people
Distance makes him run away
He does not wear a mask
And he loses by repeated hand washing
Fear of disease scares everyone
Once again it hurts a lot
If humans careless then
Even leads to death
Don't be afraid just do it now
Keep your hands and body clean and clean
Make the right distance most don't get out of the house
Fighting for what we have to do with them
Do not ignore it, teach it a lesson
Un convened this crisis
Have to run out of the country
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