चलो खुद की तलाश करते हैं दुनिया के मसलों से दूर
कुछ पल,कुछ पल अपने साथ बिताते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
बिखर गए कुछ पन्ने ज़िन्दगी के इधर-उधर
समेट के आज सबको
एक खुशनुमा लम्हा लिखते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
माफ़ करना ऐ दिल तुझे सबसे ज्यादा दुखी
हमने ही किया है
खुशियां तो बांट दी ज़माने भर में और
दुनिया भर का ग़म तुझे दिया है
तुझपे किये इस ज़ुर्म की सज़ा अपने आप को देते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
थक चुके हैं ये कान सबकी बातें सुनते-सुनते
कभी किसी की फटकार तो किसी के ताने सुनते-सुनते
आज सबको चुप कर इन्हें सिर्फ़ अपनी बातें सुनाते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,
खो दिया है खुद को दुनिया की भीड़ में कंही
आगे निकल गए सारे और हम खड़े रह गए वंही
ज़िन्दगी बीत गयी सबको खुश रखते-रखते
आज सबको भुला सिर्फ़ और सिर्फ़
अपनी खुशियों के तराने बुनते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं
चलो आज खुद की तलाश करते हैं,,।।
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यह कविता है खुद को तलाशने के,,दुनिया की भीड़ में खुद को ढूंढने की,,अपने आप से मिलने की।