दिनभर के थकान को एक झटके में खोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो
आंखे हुई बंद तो अलग सा एहसास हुआ
बिस्तर होता आम है, पर उस समय वह खास हुआ
सपनों के ठेले को मुझे खुद ढोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो
हैं पैसे हराम के, तो यह आपके साथ नहीं
आती है यह सबको, ऐसी यह बात नहीं
मैं इसे चाहता हूं, मुझे ईमान बोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो
कोई जाता नौ को, कोई बारह को जाता है
किसी को आए पल में, तो किसी को वक़्त लगाता है
अगर जागता हुआ नहीं, तो मुझे नींद में तो रोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो