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नहीं बन रही कविता, पता न चले मांजरा
लगाई चाबियां सारी, पर खुले न दिमाग का पिंजरा

जिसमें रहतीं रचनाएं सारी, वह होने लगा था वीरान
सूना लगने लगा अभी मेरे काव्यों का यह मकान

पहले सूझते थे पलकों में, वैसे न सूझे आज
समझने लगा हूं खुदको अभी, लफ्ज़ - लफ्ज़ का मोहताज

तारीफें बटोरे कई मैंने, तब दिखाया था अपने कमाल
"क्या अब भी वह बात है मुझमें?", मन में गूंजने लगा यह सवाल

पर वापिस आऊंगा मैं ज़रूर, मैं नहीं मानूंगा हार
पिछली कोशिश बेकार गई, तो एक कोशिश एक और बार

और तैयार रहो कागज़ - कलम, मेरे मन में भर गई जोश
मैं ऐसी कविता लाऊंगा, कि उड़ेंगे सबके होश
अर्जित करेंगे धन-दौलत, अर्जित करेंगे ज्ञान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

लेने वाला है आम आदमी, लेने वाला है फरिश्ता
लेने वाला दे तुझे पहचान और प्रतिष्ठा
इसका भोगी है सभी, जानवर या इनसान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

कोई कहकर आता है, कोई आता है अनकहा
कोई दाले फर्क न खास, कोई पहुंचाए कहां-कहां
यह जांचे योग्यता आपकी, यह जांचे ईमान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

कभी लगे यह सीधी चाल, कभी लगे यह दांव
साथ में लाए उत्साह नई, साथ में लाए तनाव
"मुझसे ज़रूर होगा", इससे भर लो अपने कान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान
बर्दाश्त करने की अब आयी यह सीमा है
क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है

यह १.५ जी बी भी अब खत्म होता नहीं
रात हो गई है, लेकिन कोई सोता नहीं

गति हूई धीमी, जब छाई घोर घटा
मिलना हुआ यह बंद, जब बादल ज़ोर से फटा

मक्सद है तेज़ी, पर आ गई मंदी
भैया तेरी यह चाल, लगी है बहुत गंदी

बिजली जाए तो यारा, एक तेरा सहारा है
जब चाहे तेरी जीत, तू तब भी हारा है

तेरा भरोसा नहीं, तेरा करना बीमा है
और क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है
भाव का मैंने फल एक लाया
उसका मैंने रस है निकाला
रस से मैंने स्याही बनाई
उसी से एक कविता लिख डाला

तुकबंदी का मिर्च मसाला
अच्छी तरह से इसे कुटा मेरे भाया
महक जो उसका कमाल पाया
अंदर तक मैंने उसको है मिलाया

कल्पना में जो रंग भरा है
उसी रंग से रंग दे पन्नों को
स्वाद है डाला इसने ऐसा
जलन हो जाए मीठे गन्नों को

ये सब लेकर तुम भी एक दिन
लिखो रचनाएं बहुत सारे
कविता कैसे बनती है यह
समझाया मैंने तुम्हे प्यारे
कभी ऐसा भी वक्त आता है जब रुकता है सब काम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

जो अब बंद है, वह चल पड़ेगा
अंदर जो भी है, वह निकल पड़ेगा
बढ़ती हुई रफ्तार को मिल गया आराम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

अटकते हैं कम ताकि सांस ले पाए
पीछे छूटे वक्त को हम पास ले पाए
देर होगी हमको छूने के लिए मुकाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

वापिस काम शुरू हो तो शायद बदल सकता है रास्ता
वक्त और अवसर है, तो करे प्रभु की आस्था
तगड़े समय में न चले डॉलर, न दिर्हाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम
हम लाए नए जीवन को और कराए स्तनपान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम किसी आदमी से अब डरना नहीं चाहते
हम अपनी मां के गर्भ में अब मरना नहीं चाहते
हम भी करना चाहेंगे अपने खर्चों का भुगतान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम भी आगे बढ़ेंगे तो काम आगे बढ़ेगा
हम आपके साथ मिल जाए तो देश का नाम आगे बढ़ेगा
हम थाम सकते हैं और थामते हैं घर - बार की कमान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम हैं अंदर से सख़्त, और बाहर से नरम
हमको कलेशकर्णी समझना है आपका सबसे बड़ा भरम
हम उड़ना चाहते हैं, हम चाहे आधा आसमान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

सरस्वती लक्ष्मी न मानो, न मानो हमको काली
आपकी घर में रहकर न डरे, आपकी अपनी घरवाली
न हमको हीन समझो, न हमको समझो महान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान
कभी मत रहो आश्रित किस्मत पर केवल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

पहले तुम्हारे काम अटकते हुए दिखेंगे
पहले तुम्हारे मार्ग भटकते हुए दिखेंगे
कुछ समझ में न आए तभी जब तुम्हें
मन से ताकत खिसकते हुए दिखेंगे
धीरे - धीरे बाद में तुम जाओगे संभल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

छांव धूप से तुम्हे डराती हुई आयेगी
सुस्ती तुम्हे आलस्य सिखाती हुई आयेगी
जब इन सभी से काम नहीं बने तो
किसी और की गिरावट दिखाती हुई आयेगी
इन सब को पीछे छोड़कर तुम आओगे अव्वल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

जब काम बाजू रखकर तुम सोने वाले हो
तब काम रुक जाएगा, तुम रोने वाले हो
वक़्त पर तुम अगर नहीं जागे तो
अपने हाथों से सबकुछ खोने वाले हो
तन - मन से निकलो बदबूदार यह तरल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल
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