शाम हो गई, अब चाँद भी ढला
वक़्त पर सोए ज़माना हो गया
कई दिनों बाद आज मालकौंस सुना
रोते रोते हँसकर ज़माना हो गया
आज एक बार फिर ख़ुद की याद आई
पर आईना देख कर ज़माना हो गया
ग़ज़लें, नज़्में, शायरियाँ लिखीं
तुमको भुलाकर ज़माना हो गया
ज़माने की क्या बात है, वो तो कहता रहेगा
मगर उसकी बात सुनकर ज़माना हो गया
Malkauns is a Hindustani Classical raag sung at midnight, and has 3 komal (low) notes, making it contemplative or even poignant, at least for me.