Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Meraki Aug 2020
मेरे जग की सुन्दरता तोह तेरी अखां विच बसी है,
गरजने पे में सहमुन, तेरे बरसने पे मैं तेरे साथ झुमलूँ,
ओर खिलखिलाने पे एकदम सूरजमुखी की तरह खिल उठूँ,
मेरे जग की सुन्दरता तोह तेरी अखां विच बसी है ।।
Meraki Jul 2020
घर वो जहाँ रूह को सुकून मिलें ,
वो सुकून मुझे तेरी बाहों में मिलता है ।।
Meraki Jul 2020
गणीत में बड़ा कच्चा है तू,
मेरी प्यार की गहराई को कभी नाप ही ना पाया।
Megha Thakur Jul 2020
कौन क़ुबूल करता है,
की कोन कितना सच्चा है।
चाहे पतझड़ कितना भी लम्बा हो,
फूल तों फिर भी खिलता है।
क्या तुमने कभी किसीको मानते देखा है,
की वो मन से आज भी एक बच्चा है।
जितना जिसकी किस्मत में हो,
उतना उसको जरूर मिलता है।
-मेघा ठाकुर
Charu Singh Jul 2020
परिवार ( family)

परिवार किसी के कहने से नहीं होता,
उसे बनाने के किए दिल चाहिए,
दिल में संतुष्टि,
और संतुष्टि में प्रेम चाहिए।

परिवार को परिवार का नाम देने की जरूरत नहीं,
कोई खून के रिश्ते की जरूरत नहीं।
जरूरत है तो बस,
जताने और निभाने की।

आदर दो, खुशी दो,
दिल में उनके लिए कपट और जलन ना हो,
यही निभाना है,
और यही कहने से नहीं कार्यों से जताना है।

आप उनकी खुशी में खुश हो जाओ,
उनके दुख में दुखी,
हर वक्त साथ निभाओ,
दिखावटी नहीं, दिल से सम्मान करो।
Megha Thakur Jul 2020
क्या कहें क्या दिल को चाहिए,
क्या इसको मिलता हैं।
कहाँ सुबह होती हैं,
कहाँ दिन ढलता हैं।
बिना उसकी मर्जी के,
क्या एक भी पत्ता हिलता हैं।
किस्मत पर कहाँ जनाब,
किसका ज़ोर चलता हैं।
- मेघा ठाकुर
Megha Thakur Jul 2020
ऐ जिन्दगी मुझे इतना ना आजमा,
की मैं तुझसे हार जाउँ।
मैं मिट जाउँ तेरी असहमत में,
और तुझसे दूर हो जाउँ।
- मेघा ठाकुर
Megha Thakur Jul 2020
थोड़ी अलग सी हैं मेरी कहानी,
कुछ सुनाई हैं तुम्हें,
कुछ बाकी हैं सुनानी।
माना इसका कोई अन्त नहीं फिर भी मुकम्मल हैं मेरी कहानी,
जो जी रहीं हूँ वो मेरी हैं,
और जो भूला दी वो थीं अंजानी।
ना कोई मकसद हैं इसका ना कोई सीख हैं मेरी कहानी,
बस इतना जानती हूँ के कभी बेपरवाह,
तों कभी हैं ये रूहानी।
- मेघा ठाकुर
Megha Thakur Jul 2020
ऐ आने वाले पल
कोई तो अच्छी खबर लेकर आ।
बहुत देख लिए दुख सबने,
अब तो थोड़ी खुशी देकर जा।
कब तक मैं आँसु बहाऊंगा,
कब तक इस दर्द को छुपाऊंगा।
एक बार तों मुझ पर रहम तू खा,
या छोड़ तनहा या जिन्दगी से मिलवा।
-Megha Thakur
Megha Thakur Jun 2020
गुज़र जातें हैं
लम्हे ये सोचने में की काश,
कभी तुम भी हमारी ओर आने वाला रास्ता चुनते।
और सोचने सोचने में अक्सर,
सारे रिश्ते, नाते, बातें, वादे,
सभी यादें बनकर रह जातें हैं।
- मेघा ठाकुर
Next page