परिवार ( family)
परिवार किसी के कहने से नहीं होता,
उसे बनाने के किए दिल चाहिए,
दिल में संतुष्टि,
और संतुष्टि में प्रेम चाहिए।
परिवार को परिवार का नाम देने की जरूरत नहीं,
कोई खून के रिश्ते की जरूरत नहीं।
जरूरत है तो बस,
जताने और निभाने की।
आदर दो, खुशी दो,
दिल में उनके लिए कपट और जलन ना हो,
यही निभाना है,
और यही कहने से नहीं कार्यों से जताना है।
आप उनकी खुशी में खुश हो जाओ,
उनके दुख में दुखी,
हर वक्त साथ निभाओ,
दिखावटी नहीं, दिल से सम्मान करो।