आज का आदमी
अपने साथ
डर का पिटारा
लेकर चलता है।
गफलतों ने
असंख्य डर
आदमी के मन की
उर्वर जमीन पर बो दिए हैं ,
जिनकी फसल
वह समय समय पर
लेता रहा है।
सवाल है कि
आज आदमी का
सबसे बड़ा डर क्या है ?
यह डर
असमय
किसी के द्वारा
वजूद पर
एक सवालिया निशान
लगाना है ,
बाकी डर .....
मौत , मुफलिसी ,तंगी तुरशी ,
मान सम्मान का अभाव तो
महज़ बहाने हैं,,,
जिनके साथ जीना
आजकल ज़रूरी है ,
यह बन गई मज़बूरी है,
जिसने निर्मित कर दी
हम सब के बीच दूरी है।
यही सबसे बड़ा डर होना चाहिए।
इस बाबत सभी को कुछ करना चाहिए।
१४/०४/२०२५.