भक्ति
वृद्धावस्ता में हो जाती है जब क्षीण मानव की सारी शारीरिक शक्ति;
तब पल पल काम आती है उसे, उसकी सालों से की हुई भक्ति
हम कितने भी हो व्यस्त भगवंत, देना हमें भक्ति के लिए, थोड़ीसी शक्ति
और देना श्रद्धा और सबुरी, ता की कर सकें हम तनमन से भक्ति
आयुष्य हो जितना भी, तह दिलसे कर सके भक्ति, इतनी देना दाता हमे शक्ति
शरीर को अब लगने लगी है अशक्ति, पर देखना, इस लिए कम न हो जाये हमारी भक्ति
Armin Dutia Motashaw