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Riddhi N Hirawat Nov 2019
अविनाश, बारिश हो रही है!
मन कर रहा है इसी बरिश के साथ पिघल जाऊं
न गर्म लगे, न जम जाऊं
न तृष्णा उठे न बहक जाऊं
तुम्हे भी तो कितना चाहती हूँ मैं
पर सच कहती हूँ
लगता है सँवर जाऊं।
बचपन से मुझे आसमान के
उस पार जाने का शौक था
पता नही क्या है उनके पीछे?
'पीटर पैन' देखी है?
एक मूवी है जिसमे एक बच्चा कभी बड़ा नही होता
इसलिए वो उड़ सकता है।
कुछ और बच्चों को धरती से
अपने संग उड़ा ले जाता है।
मैं भी उड़ पाऊं-
अपने संग अपनों को उड़ा ले जाऊं
इन पापों की गंदगी से,
इस बेमतलब की बन्दगी से
दूर जहाँ
सिर्फ दुनिया चैन से रहती है
जीती और जीने देती है।
यहाँ कद और उम्र में बड़े कई
सिर्फ मान अपमान कर पाते हैं।
दूसरों की खिल्ली उड़ा,
अपने ग़म को छिपाते हैं।
मन के बचपन को रौंद, वे
तन को बाहर सहलाते हैं।
गर मिल जाता है उनको कोई
बड़ी आँखोँ में सपने बड़े लिए,
जो बीते हुए उस बचपन की
प्रतिभा को याद करता है-
'क्या हुआ?', 'कहाँ वो खो गया?'
इस जथोजथ में उलझता है,
नित अपने इस अस्तित्व की
गहराईओं में उतरता है,
उसको वे छोटा पाते हैं।
गैर ज़िम्मेदार है - कह जाते हैं।
वो मन सरल इसलिये सरल नहीं
कि उसने स्वर्ग में जीवन बिताया है।
बाहर शांत दिखते उस बत्तख ने
अंदर खूब पाँव चलाया है।
धोखाधड़ी और साजिशों से
उसने कई बार खुद को बचाया है।
अपने दिल के सबसे क़रीब प्यारों के
दिल को रोता पाया है।
उन्हें फिर से उठता देख वह,
उनके ज्ञान को ले वह,
फिर से सरल बन जाता है।
मन की लड़ाईयों को जीत,
वही तो सबसे बड़ा कहलाता है।
अपनी आत्मा की खोज कर
वही तो बादलों के पार उड़ जाता है!
वही तो बादलों के पार उड़ जाता है!
Àŧùl Oct 2017
I am not angry or sad,
But I am only a bit tired.
I am not bored of loving you,
My love is there even in the blue.
I am selfish as I seek Mukti,
But I don't seek fidelity,
Nor do I threaten infidelity.

Loving you is my passion,
My flame for you will never dampen.
Such will be my eternal fashion,
That your blues I'll only ever lighten.
I will never fail in my Bhakti,
But not because I am perfect,
As I want you to be mine finally.
Mukti: Emancipation
Bhakti: Devotion
My HP Poem #1672
©Atul Kaushal
Àŧùl Apr 2014
As I have made you smile for few moments,
Few moments of yours that I protected from sadness,
I feel that I have liberated myself from the cycle of life & death.
Short & sweet attempt
My HP Poem #606
©Atul Kaushal

— The End —