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Arvind Bhardwaj Apr 2019
न जाने कैसे, कब, कुछ रोज़ हमने जिए,
आए, बैठे, मुस्कुराये और चल दिए,

वो कहानी जो सदियों से बाकी थी ज़हन में,
सफ़े स्याही से रँगे, और सब बिखर गए,

मरासिम आँखों के अधूरे बेबाक रह गए,
बस पलकें झपकी, की सब दिए बुझ गए,

हमसायगी की नुमाइश करते तो कैसे,
दिन चार थे ज़िन्दगी के, पर नसीब कम ही हुए,

घटते ही रहे वक़्त-बेवक़्त खुशनसीबी के पल,
बज़्म-ए-ज़िन्दगी खुश थी, नाराज़ हम ही हुए.

http://tehreer.in/
Arvind Bhardwaj Mar 2016
हे कृष्ण कन्हैया, हे श्याम सुरेशम,
तुम बंसी बजइया, तुम सबके प्रियतम,

तुम निर्गुण, अनंत, अपराजित हो,
तुम चर और अचर विराजित हो,

तुम कमलनयन, कमलापति भी,
तुम रविलोचन, स्वर्गापति भी,

तुम नटखट, तुम नवनीतचोर,
तुम बड़े भोले, ऐ नन्द किशोर

हे पद्मनाभ, हे केशवम्,
हे कृष्ण कन्हैया, हे श्याम सुरेशम,
तुम बंसी बजइया, तुम सबके प्रियतम,

तुम सांतह, साक्षी, निरंजन हो,
सब कष्ट और क्लेश विभंजन हो,
तुम अव्युक्त, और अनिरुद्ध भी,
तुम गंगामृत, और विशुद्ध भी,

तुम पार्थसारथि, तुम सुमेधा,
तुम सर्वेश्वर, तुम अविजेता,

हे मोहनिष, माधव, त्रिविक्रम,
हे कृष्ण कन्हैया, हे श्याम सुरेशम,
तुम बंसी बजइया, तुम सबके प्रियतम।

तुम द्रविण, देवेश, दयालु हो,
दीन भक्तन पर कृपालु हो,
तुम सबके सारे पाप हरो,
तुम सबपर अपनी कृपा करो,

तुम पुरुषोत्तम, और उपेन्द्र हो,
तुम निर्मल पुण्य यादवेन्द्र हो,

तेरो अद्भुत नाम  पाप-नाशम,
हे कृष्ण कन्हैया, हे श्याम सुरेशम,
तुम बंसी बजइया, तुम सबके प्रियतम।
Arvind Bhardwaj Mar 2016
यही गोविन्द यही गोपाला है,
मेरा कृष्ण बड़ा मतवाला है।

गोकुल से करे माखन चोरी,
रास रसे संग ब्रिज की चोरी -२

मोर पंख माथे पर सोहे, गल मोतियां की माला है,
मेरा कृष्ण बड़ा मतवाला है,
नटखट पर भोला-भाला है -२

करे कनखी, कभी मटकी तोड़े,
घर आवे मां कान मरोड़े,

नेत्रों से अश्रुधार बहे, कह निर्दोष तेरा ये लाला है,
मेरा कृष्ण बड़ा मतवाला है,
नटखट पर भोला-भाला है -२

ले लकुटी ये गाए चरावे,
अधर बांसुरी तान बजावे -२

रूप कृष्ण मोहे अति सुहावे, करे अमृत ये हाला है,
मेरा कृष्ण बड़ा मतवाला है,
नटखट पर भोला-भाला है -२
Arvind Bhardwaj Mar 2016
मेरे देवकीनंदन घर आवो ,
भक्तन की सुन विनती जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो ,

माखन, मिश्री और चरणामृत,
मेवे, फल, चंदन, दुग्ध, घृत,

इन सबका भोग लगा जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो

पुष्प सुगंध, कर्पूर अंजलि,
अक्षत, धूप और दीपावली,

सबका मान बढ़ा जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो ।

दानवेन्द्र मेरे तुम जगदीश्वर
परमपिता मेरे तुम परमेश्वर
मेरा तन मन मधुबन कर जावो,

मेरे देवकीनंदन घर आवो ,
भक्तन की सुन विनती जावो,
Arvind Bhardwaj Mar 2016
मैं हिंदी..

कभी सीने से मुझको लगाने वाले,
हर गीत में मुझे गुनगुनाने वाले,
बनी जब मैं माँ की लोरी,
मेरी गोद में वह सो जाने वाले,
मुझसे अब रिश्ता तोड़ चुके हैं।

जिनकी हर वेदना की मैं आवाज़ बनी,
खुशी से गुनगुनाये तो मैं साज़ बनी,
कभी सोने के पन्नों में खेला करती थी,
आज चंद हर्फ़ों की मोहताज़ बनी।

कभी तरन्नुम में तो कभी तरानों में थी,
प्यार में लिखे अफ़सानों में थी,
यौवन के मधुर संगीतों में थी,
इश्क़ में तड़पे तो मैं उनकी ज़ुबानों पे थी।

क्रांति के इंक़लाब में निहित,
हर दो तूक जवाब में थी,
अख़बारों के पन्ने बनकर,
जमघट बेहिसाब में थी,
विजय उद्घोष किया जब तुमने,
मैं बन इतिहास किताब में थी।

हर रूप में जिनको ममता दी,
जिनका था मैंने वरण किया,
उन्हीं बेटों में भरी सभा में था,
मेरा चीर हरण किया,
इतने वर्षों से जो मेरी,
गोदी में फल फूल रहे थे,
तड़प उठी मैं, देखा जब,
वह मुझको ही अब भूल रहे थे।

अंतर्वेदना के गहन दर्द से रोती मैं चित्कार रही थी,
हर कोई अनजान था मुझसे,
और मैं बेबस निहार रही थी, और मैं बेबस निहार रही थी।
Arvind Bhardwaj Mar 2016
One day after working for long I was taking a nap,
A pure white dove in the form of love, came & sitted in my lap.

I was shocked and also amaze,
I never thought about and never craze.

I was thinking what to do, keep with me or let her flew

Suddenly, my attention went on dove,
So sweet & So cute, I gone silent my feelings gone mute.
Heart was beating but mind was quite,
Is this a trap or everything alright?

Leave it and let it be, I thought..

With the passage of nights and days,
I was changing in many ways,
sometime I was dark, sometime I was grey,
I was behaving like an actor in Life's Play.

I was learning new things from dove,
How to Hate and How to Love.
How to accept and How to refuse.
How to have fun  and How to amuse.

I was so happy and so amused.
One day dove came and refused,
Dove said Its the time when I have to fly,
You learnt everything from me, Now learn How to CRY

That was the day when dove left my lap,
I remain silent for a long time gap.

Then I realized, sometime Life teach a lesson in the form of dove,
finally..
I learnt what I need, I will win yes indeed.
Arvind Bhardwaj Mar 2016
अबस-ए-ज़िंदगी मेरी, तेरी मोहताज हो गई,
जो हालत आज तक न थी, वो हालत आज हो गई।

चादर की सिलवटों में भी तेरा एहसास होता है,
बदलूं करवटें तो तेरा चेहरा पास होता है,

तेरी मौजूदगी भी पूरे शब भर राज हो गई,
अबस-ए-ज़िंदगी मेरी, तेरी मोहताज हो गई,
जो हालत आज तक न थी वो हालत आज हो गई।
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