एक खुली किताब थी वो,
ना उसे मैं कभी पढ़ सका।
ना उसे कभी समझ सका।
एक अधूरी कहानी थी वो,
ना उसे कोई लिख सका।
ना उसे कोई पढ़ सका।
एक दर्द भरा घाव था वो,
ना कभी भर सका।
ना कभी मिट सका।
एक मीठी सी धुन थी वो,
ना उसे कोई सुन सकाा।
ना उसे कभी गा सका।
एक अजीब शख़्सियत थी वो,
ना उसे कोई पहचान सका।
ना उसे कोई भूला सका।
एक उम्मीद की किरण थी वो,
एक आशा की किरण थी वो,
ना उसे कोई जगा सका।
ना उसे कई छु सका।
एक प्यार सी बात थी वो
ना कभी उसे सून सका।
ना कभी बोल सका।
और नहीं कभी महसूस कर सका।
©sameeromles
One of my #hindi #poem
Love it and #share it
English translation please correct if wrong
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There was an open book,
No one could never read it
Neither one could ever understand it
There was an incomplete story,
No one could write it
No one could read it.
There was a painful wound,
Could never be filled
Could never have erased
There was a sweet tune,
No one can hear it.
Nor could ever sing it.
there was a strange personality,
No one could recognize him.
No one could ever forget him.
There was a rays of hope ,
No one could wake it
Nor could touch it.
It was a Talk of Love
No one Could speak it
And could never have felt it.