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  Dec 2018 Mohan Jaipuri
aphroditez
Have I already told you?
that I always miss you
on a day to day basis

Have I already told you?
that I want to hold you
in this cold, lonely night

Have I already told you?
that you're all I see
in this myriad crowd

Have I already told you?
how you look so cute
when you wear that smile

Have I already told you?
that I'm slowly falling
out of love; it's driving me crazy

Have I already told you?
how lucky I am that I've found you
my one and only comfort zone

Have I already told you?
that I'm hurt with words you've said
I thought it was me all along.

But, I was wrong.
that's why I didn't tell you
what I feel about you.

Have I already told you?
how lucky that person is
to be loved by you...
Mohan Jaipuri Dec 2018
Cold n cough,cold n cough,
very tough, very tough.
caught on 16th december
Amid  cold and thick fog cover.
first made sore throat,
Then made nose tight.
In the night  robbed rest,
That led to lose sleep the best.
Tried  haldi-milk of grandma
But  sleep was still away .
Tried tulsi kwath of mama
that led pass  the night anyway.
In the morning nose started
  Used the  wife's formula of
Warm salty water gurggles
As sun started setting down
Cold n cough again  grown.
Amid this   called to daughter
She advised to go to a doctor.
Doc  gave antibiotics n advised rest,
O my god what a bad  taste.
You made recall  four generations ,
You're  great for those nice reasons.
Lack of sleep led introspection
That led scanning thought congestion
That is why thanks  for coming, 
For the  reasons of my inner cleaning.
Forced to wear coat n jackets
Paving  the way for hot snack- packets
Reminded me to  stop sour & curd
Start milk ,cheese and bread.
One week surrendered to you,
But still I owe a lot of you.
Dress well and eat warm .
You would be whole year in form.
Mohan Jaipuri Dec 2018
श्यामला देवी के नाम से
वायस-रीगल -लौज के वैभव से
पर्वत चोटियों की चिकनी ढलान से
स्कीयरों के उत्साह से
जो आमंत्रित करता है उल्लास से
उस शहर से हमारी शान है।
जाखू मंदिर के इतिहास से
ब्रिटिश- गोरखाओं के संग्राम से
जो भरा है अद्भुत अतीत गाथाओं से
जो निहारता है ढाई हजार मीटर की हिमशिखा से
उस शहर से हमारी शान है।।
जो जुड़ा है मीटर गेज से
वह लाइन करती अठखेलियां सुरंगों से
जो अछूता है वैश्वीकरण और वाणिज्यकरण से
जिसमें आकर्षण बरकरार है पुरानी दुनिया का
उसी शहर से हमारी शान है।
जहां की हिमाचली टोपी पहचान है
खच्चर यात्रा जहां मशहूर है
लोगों के चेहरे जहां गुलाबी हैं
व्यवहार में सरलता और निश्छलता है
निराश्रित को आश्रय देना जिस की शान है
हिम के फाहे जिसे सजाते हैं
इस शहर को स्वच्छ, स्वस्थ, शिक्षित बनाना हमारा काम है
क्योंकि इस शहर से हमारी शान है।।
Mohan Jaipuri Dec 2018
दूर तक चलने वाली एक रवायत है तुझ में,
टूटी हुई बेसहारा लोगों की आशाएं हैं तुझ में।
वादियों में गुंजायमान बुलंद आवाज है तुझ में,
सर्दी-गर्मी-वर्षा में न रुकने का संदेश है तुझ में।
कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।।
नए फन और कर्तब के जज्बे हैं तुझ में,
लुप्त होती परोपकारिता का अक्ष है तुझ में।
गरीब-अमीर सबके लिए समानता है तुझ में,
कई बस्ती ,कई कस्बे ,कई बाजार हैं तुझ में।
कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।।
प्रकृति से अद्भुत जुड़ाव है तुझ में,
कई काफिले कई संसार है तुझ में।
एक ख्वाहिश अभी भी ज्वलंत है तुझ में,
वरना तन्हाई का भाव ना आता मन में।
कई चाहे और अनचाहे किरदार है तुझ में।।
Mohan Jaipuri Dec 2018
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
जब जी करे चुटकुले सुनने का
झट से उसे याद करना।
शहादत का जब जिक्र आए
तुरंत उससे इतिहास जान लेना।
खाने पीने की बात आए
या नया हो कुछ करना
तुरंत उस से सलाह लेना
और उसका साथ हाजिर पाना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
दिमागी कसरत करनी हो
तुरंत उसे संदेश देना
सारे जहां की पहेलियां हाजिर पाना।
कभी गणित की, कभी मेंटल एबिलिटी की,
कभी विज्ञान की चुस्ती दिमाग में लाना।
मन करे समाचार और समीक्षा का
कभी भी उसको कॉल करना
कर देगा सराबोर अपने रंग में
बस उसे एक बार झेल तो लेना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
मन हो शायरी सुनने का
एक बार उसको पिंच कर देना
फिर देखो पटियालवी शायरी
बस तुम्हें ही पड़े संभालना।
जब धैर्य हो उसका आजमाना
कुछ ऐसा पांसा फेंकना
ज्ञान की परतें बस उसे पड़े खोलना
तुम्हें मिसाल दर मिसाल पड़े समेटना
कभी ना धैर्य खोने वाले दोस्त से होगा सामना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।।
पंजाबी भाषा समझना हो
या फिर गुरमुखी हो जानना
लिखित संदेश भेज दो
विशुद्ध ट्रांसलेशन जान लो
फिर हिंदी हो या जुबां हो ब्रितानियां
उसकी पकड़ तीनों पर है काबिले बखानियां
हमारी सबसे गुजारिश है
ऐसे दोस्त सभी अपनी मित्र मंडली में रखना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।।

— The End —