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आज उसने चांद पर
फूलों की माला डाली
और तस्वीर मुझे भेज दी
अब बताओ जलाया
या सपना दिखाया।।
कोटरों में कबूतर रहते
जिनकी नहीं कोई बोली
अब कोटरों में मानव रहते
हालत उनकी भी वैसी हो ली
पहले सेक्टर वाली कोठियां
फिर आये ऊंचे-ऊंचे फ्लैट
बेरोज़गारी ने धीरे-धीरे
सब कुछ दिया समेट।।
दूज का हुआ तो क्या हुआ
है तो तू चांद
रख धैर्य और बढ़ आगे
पूर्णिमा को मान।।
People write about
eat, drink & dress
Then come to
wish and manners
Some about
Loss and wins
Rarely kith & kins
But more
important is
love,kiss & cuddles
These are supportive
to win over life hurdles
सावन आया रे सखी
पैरों  चिपकी गार
बेलें लिपटी हैं वृक्षों
साजन लिपटी नार।
सावन की झड़ी लगे
चुभे ठंडी बयार
सखी लिख संदेश कोई
अब घर आये भरतार।
जब मोर देखूं नाचते
मन में माचे शौर
झूले पड़े हैं पेड़ों पर
अब तो आ चितचोर।
तीज त्यौंहार आ रहा
सही न जाये दूरी
मेरे हिरदेश तू यों बसे
जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।।

गार- गिली मिट्टी
भरतार -पति
तेरी नाइट लैम्प की लाली
और ये लाल सूर्ख तेरे फूल
मिलकर सपने में ही कभी
होगा आंखों से सलाम कूबूल।।
मैं सितारा तो नहीं,
शायरों के तारामंडल का
बस छोटा सा हिस्सा हूं।
जो कुछ पाता इस जीवन में
बयां करता उसका किस्सा हूं।
धूप, छांव के जीवन टकसाल में
बस ढाला हुआ एक सिक्का हूं।
जब भी फीका होता हूं
शायरी पर आ टिकता हूं।।
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