कोटरों में कबूतर रहते जिनकी नहीं कोई बोली अब कोटरों में मानव रहते हालत उनकी भी वैसी हो ली पहले सेक्टर वाली कोठियां फिर आये ऊंचे-ऊंचे फ्लैट बेरोज़गारी ने धीरे-धीरे सब कुछ दिया समेट।।
People write about eat, drink & dress Then come to wish and manners Some about Loss and wins Rarely kith & kins But more important is love,kiss & cuddles These are supportive to win over life hurdles
सावन आया रे सखी पैरों चिपकी गार बेलें लिपटी हैं वृक्षों साजन लिपटी नार। सावन की झड़ी लगे चुभे ठंडी बयार सखी लिख संदेश कोई अब घर आये भरतार। जब मोर देखूं नाचते मन में माचे शौर झूले पड़े हैं पेड़ों पर अब तो आ चितचोर। तीज त्यौंहार आ रहा सही न जाये दूरी मेरे हिरदेश तू यों बसे जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।।
मैं सितारा तो नहीं, शायरों के तारामंडल का बस छोटा सा हिस्सा हूं। जो कुछ पाता इस जीवन में बयां करता उसका किस्सा हूं। धूप, छांव के जीवन टकसाल में बस ढाला हुआ एक सिक्का हूं। जब भी फीका होता हूं शायरी पर आ टिकता हूं।।