Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 
Shrivastva MK Sep 2017
वादा किया तो निभाना सीखो,
गमो को बांटकर भुलाना सीखो,
कांटे न बोना किसी के भी राहों में,
खुद हंसो और दुसरो को भी हँसाना सीखो,

नफरत नही प्यार फैलाना सीखो,
झगड़े नही एकता बनाना सीखो,
अच्छाई अपने होठों पे नही दोस्तो,
अच्छाई अपने दिल मे जगाना सीखो,

दुसरो को हराना नही हौसला बढ़ाना सीखो,
माँ समान देवी को फिर से सम्मान दिलाना सीखो,
अरे क्या रखा है एक दूसरे से लड़ने में,
साथ मिलकर इस भारत को आगे बढ़ाना सीखो
Shrivastva MK Sep 2017
काश! इस प्यार के दो हिस्से होते,
कुछ मेरे साथ कुछ तेरे पास होते,
तेरा हर दर्द हम बांट लेते खुशी खुशी,
यदि तेरे दिल मे भी मेरे नाम होते,

वो बेवफा तू क्या जाने कितना दर्द होता है जब कोई अपना रूठता है,
जब किसी के सपने टूटते जब कोई अपना छूटता है,
हंसी आती हमे इस झूठे प्यार भरी वादों पर,
ऐसा क्यों होता इस दुनिया मे ये दिल हमसे बार बार पूछता है,
बार बार पूछता है,

तेरी उन झूठे वादों को हमने प्यार  समझ लिया,
खुशी तुमपर निछावर कर हमने गम से दोस्ती कर लिया,
आज भी ये मनीष दुआ करता है तेरे लिए,
जब भी आती तेरी याद मैंने रो-रो  के सब्र कर लिया,
रो-रो के सब्र कर लिया......
Tum hamesha khush raho es tute dil ki dua hai.......
I'm dithering now in your memory.......
Shrivastva MK Sep 2017
एक ऐसा रिस्ता जो सच्चे प्यार की तरह अटूट होता है,
इन नज़रों से दूर रहते हुए भी इस दिल के करीब होता है,
जिसे उस खुदा ने दोस्ती नाम दिया,
वो दोस्ती ही कितने लोगों की जीने की वजह होता है,

खुश होता है ये दिल जब वो खुश होते है,
छलकते है आंसू इन आँखों से जब वो रोते है,
बड़ा ही दर्द होता इस दिल को ,
जब कोई अपने इस दिल से दूर होते है,

दोस्ती जो एक खुशनुमा एहसास होता है,
दोस्त से होठों से नही दिलो से बात होता है,
ये आंखे उस वक़्त भी रोती है,
जब नींद में भी दोस्त हमे छोड़ जाता है,
हमे छोड़ जाता है।
Shrivastva MK Sep 2017
आपकी मुस्कान यू ही बनी रहे,
आप खुशी और प्यार की धनी रहे,
जो चाहें वो आपके पास चलकर आये,
आप पर दोस्त उस खुदा की दुआ हमेशा बनी रहे।
Shrivastva MK Sep 2017
माँ तूने जिस दुनिया को बनाया वो आज बदल गई है,
इंसान के अंदर की अच्छाई अब ओझल हो गई है,
फरेब,धोखा जिसकी पहचान है, माँ
माँ तेरी बनाई वो प्यारी मूरत कही खो गई है,
कहीं खो गई है,

माँ जिस इंसान को तूने इतने प्यार से सजाया था,
नव महीने उसे कोख में रखकर उसे बुरे पल से बचाया था,
माँ आज उस इंसान का मन जानवर सी हो गई है,
माँ तेरी बनाई वो प्यारी मूरत कही खो गई है,

माँ हमे इस दुनिया से नफरत सी हो गई है,
माँ हमे ये रंग रूप से नफरत सी हो गई है,
जिस इंसान के लबों पर होते थे कभी प्यार के गीत,
उस इंसान की नीयत आज हैवान सी हो गई है,
हैवान सी हो गई है।

तड़प अपने दिल का माँ मैने इस कलम से बयां किया है,
इस दुनिया को भूल हमने माँ इन पन्नो से प्यार किया है,
माँ आज ये प्यारी धरती भी रूखी हो गई है,
माँ तेरी बनाई वो प्यारी मूरत कही खो गई है,

रो रही आंखें मेरी माँ सांसे थोड़ा थम सी गई है,
अब इंसान का मन नर्क सी हो गई है,
कुछ बुरे लोगों के कारण माँ आज,
वो प्यारी सी मूरत कहीं खो गई है,
कहीं खो गई है।
इस कविता के सभी पात्र मेरे यानी मनीष के अपने विचार है ऐसे किसी भी इंसान से कोई लेना देना नही है।
मैन इस कविता के माध्यम से उस इंसान के बारे में लिखा है जो अक्सर अपनी मिट्टी अपने संस्कार भूल कर किसी सुंदर फूल की पंखुड़िया तोड़ देते है।
मैं वैसे लोगों की कड़ी निंदा करता हूँ।

मनीष कुमार श्रीवास्तव

I have written this poem for whom has lost their culture and go in wrong way,
It's really very sameful for me,
Please being human and for humanity sake don't hurt any person love to all and stay happy
Shrivastva MK Sep 2017
Ye lamhe aaj kyon Etna udàas hai,
In lamhon ko aaj bhi kisi saksh Ki aas hai,
Wo samjhte hain hum bhul gye unko,
Par aaj bhi en aankhon me sirf unka hi vas hai,

Jaise tuti daali ko pani aur mitti Ki hoti taalash hai,
Waise hi es tute dil ko tumhari jhalak aur pyar Ki aas hai,
Dekho na ek baar palat Ke humko,
Meri zindagi aaj kitni udaas hai,
Kitni udaas hai,

Kai varash bit gye hai sath sirf unka ehsaas hai,
Pyar rahega unse jabtak es saksh mein saans hai,
Jis din chhod hamesha Ke liye jayenge hum,
Kuchh aansoo aapke bhi aankhon se tapkenge ye es dil ko viswas hai,
Es tute dil ka viswas hai.......

I love u............(•_•)
Sad moments,,,,,,,,,,
मनीष कुमार श्रीवास्तव
Shrivastva MK Sep 2017
Aapko khuda ne badi fursat se banaya hai,
Etni pyari si muskan aapke hothon par sajaya hai,
Aapki ye sararati aankhon ne,
Har pal ko khushnuma aur khubsurat banaya hai,

Aapne Ghar ko mandir banaya hai,
Maat-Pita Ki sewa kar unhe bhagwan ka darja dilaya hai,
Aap najane kis mitti Ki bani **,
Khud aansoo bahake bhi sabhi ko hasaya hai,

Aap jaisa dost humne badi muskil se paya hai,
Aaj gum bhulakar phir se humne muskuraya hai,
Ruthi kalam ko manakar humne,
Aaj aapko apni kavita me sazaya hai,
Apni kavita me sajaya hai....
Next page