ऐ दिल,न बैठ यूँ हार कर
उठ,संभाल ख़ुद को और
फ़िर किसी से मुलाक़ात कर
ऐ दिल तू फ़िर से प्यार कर।
माना कि तुझे ग़म है उसके जाने का
मग़र उसका तो इरादा ही था तुझे रुलाने का
उसके दिए दर्द से न ख़ुद को यूँ परेशां कर
ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।
बिखर चुका है तू इस बात का एहसास है मुझे
उसकी यादों में तड़पता देखा है तुझे
उसकी यादों से अब तू ख़ुद को आज़ाद कर
ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फिर से प्यार कर।
उदास न हो,तू अकेला नहीं है
हज़ारों दिल हर रोज़,टूटते हैं यंहा
टूटे दिल के टुकड़ों को समेट और
फ़िर एक नयी शुरुआत कर
ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।
हक़ न दे किसी को,जो तुझे रुला सके अब
अपनी खुशियों की शुरुआत तू ख़ुद से कर
तू ख़ुद पर रख यकीं और न अब किसी पर ऐतबार कर
ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर
ऐ दिल न बैठ यूँ हार कर,तू फ़िर से प्यार कर।।
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