Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 2019
तेरा चेहरा खोया खोयासा देखा
सिर्पm एकवार मेरीे तरफ पाउ बढाकर देखो
दिलकी सपनोसे  भरेहँे रौनक तेरी आखोमे ——२
आइना नही अभी आखोमे मेरी देखो
जो कभी संझा नसकाथा तुझको मे माही
आज तुम पहेचान लोगी वही मन्जिल

तेरा खामोसी  अभी कमहे लोगोसेँ  मेरे माही
सिर्फ  एकवार  झुपडीमे नजर फिराकर देखो
दिलकी दर्दसे भरे हेँ आसु तेरी आखोमे
आइना नही अभी आखोमे मेरी देखो
जो कभी संझा नसकाथा तुझको मे माही
आज तुम पहेचान लोगी वही मन्जिल

तेरा चेहेरा उझला उझलासा देखा ——२
सिर्फ एकवार मेरी खातीर गीत गाकर देखो
छुपाइ खुबसुरती भरेहेँ रंग तेरी चेहेरोमे ——२
आइना नही अभी आखोमे मेरी देखो
जो कभी संझा नसकाथा तुझको मे माही
आज तुम पहेचानलोगी वही मन्जिल

तेरा शहेर आज सोया सोया देखा ——२
सिर्फ एकवार बाहर घरसे निकलकर देखो      
झुमेगी दुनीया फिर कङगन पायलकी धुनमे ——२
आइना नही अभी आखोमे मेरी देखो
जो कभी संझा नसकाथा तुझको मे माही
आज तुम पहेचानलोगी वही मन्जिल
Genre: Gazal
Theme: The Reflection || The Perceptions
Mystic Ink Plus
Written by
Mystic Ink Plus  M/Nepal
(M/Nepal)   
Please log in to view and add comments on poems