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Riddhi N Hirawat Apr 2018
अँधेरा काला
क्यूँ मेरे साथ ऐसा हो रहा है ?

क्यूँ खाली खाली सा लगता है?

कौनसे सपने चुनूँ| सबके धागे खुलने लगे हैं|

किन्हें पूरा करूँ| सब अधूरे से लग रहे हैं|

किसी को पता नहीं कितनी दुखी जकड़न है यह

मेरे आंसू भी न बता पाएंगें क्या घुटन है यह|

कुछ खाने का मन नहीं करता
कुछ पीने का नहीं| लगता है बस
शरीर की मांग है जो पूरी कर रहे हैं|

किसी को बता नहीं सकती
किसी से क्या कहूँ|

मुझे पता नहीं क्या करूँ|

मैं डर रही हूँ| मैं मर रही हूँ| मुझे जीना है
पर जीना नहीं| मुझे मरना है पर मरना नहीं|

मेरी आत्मा की पुकार सुन ले तू
भगवान

मुझ में ही है तू
फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान
फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान

ये किस मोड़ पर आ खड़ी हुई है ज़िंदगी|

मुझे घर जाना है|

वो गुलाबी रुई से बादलों से
बना
जहाँ गम में घुली ख़ुशी नहीं|
जहाँ हँसते हुए मैं दुखी नहीं|
जहाँ अकेलापन काटता नहीं|
जहाँ रोना कभी आता नहीं|
जहाँ दुनिया-जहाँ से शिकवा नहीं|
जहाँ...पराये रिश्ते नहीं
जहाँ कोई धोखा नहीं देता
गले लगा के मुह नहीं फेरता|

दिल दुखा लो तो अपना ना कहो|

— The End —