अँधेरा काला
क्यूँ मेरे साथ ऐसा हो रहा है ?
क्यूँ खाली खाली सा लगता है?
कौनसे सपने चुनूँ| सबके धागे खुलने लगे हैं|
किन्हें पूरा करूँ| सब अधूरे से लग रहे हैं|
किसी को पता नहीं कितनी दुखी जकड़न है यह
मेरे आंसू भी न बता पाएंगें क्या घुटन है यह|
कुछ खाने का मन नहीं करता
कुछ पीने का नहीं| लगता है बस
शरीर की मांग है जो पूरी कर रहे हैं|
किसी को बता नहीं सकती
किसी से क्या कहूँ|
मुझे पता नहीं क्या करूँ|
मैं डर रही हूँ| मैं मर रही हूँ| मुझे जीना है
पर जीना नहीं| मुझे मरना है पर मरना नहीं|
मेरी आत्मा की पुकार सुन ले तू
भगवान
मुझ में ही है तू
फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान
फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान
ये किस मोड़ पर आ खड़ी हुई है ज़िंदगी|
मुझे घर जाना है|
वो गुलाबी रुई से बादलों से
बना
जहाँ गम में घुली ख़ुशी नहीं|
जहाँ हँसते हुए मैं दुखी नहीं|
जहाँ अकेलापन काटता नहीं|
जहाँ रोना कभी आता नहीं|
जहाँ दुनिया-जहाँ से शिकवा नहीं|
जहाँ...पराये रिश्ते नहीं
जहाँ कोई धोखा नहीं देता
गले लगा के मुह नहीं फेरता|
दिल दुखा लो तो अपना ना कहो|