पंख तेरे हैं अग्नि के ताकत है चट्टान की अंग तेरे हैं शक्ति के सपने तेरे अंगार से क्षीरसागर से बड़ी जिज्ञासा तेरी इंसान―तू महान हैं।
तू रचना हैं किसीकी किसीका तू रचयता समुद्र को हैं थमा सकता बन तू विजेता ।
तू रुक मत, तू झुक मत बनाया तूने सब कुछ, शून्य से अनन्त तक तू कर्ताधर्ता हैं संसार का, तू ही तो महामहिम कर वही जो हैं सही।
तू विराट हैं,तू विशाल हैं रचता तू इतिहास हैं मन का मालिक तू,परंतु गुलाम भी बदलदे वसुंधरा।
तेरे प्रश्नों का हैं अंत नही उत्तरों से तू संतुष्ट नही तेरा मोक्ष तुझे खुद पता नही इंसान―तू महान हैं, दैत्य से तू बचा रहे।
अपने रचनाओं पे नाज़ कर हर जीव का तू सम्मान कर तेरी बनाई इंसानियत का तू मान रख तू खुद खुदका भगवान बन।
तू खुद खुदका भगवान बन तू रुक मत, तू झुक मत कर वही जो हैं सही क्योंकि पंख तेरे हैं अग्नि के ताकत है चट्टान की अंग तेरे हैं शक्ति के सपने तेरे अंगार से क्षीरसागर से बड़ी जिज्ञासा तेरी