औरों को दे महल बनाकर ख़ुद झोपड़ में रहता है बात करें हम आज श्रमिक की जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
भर के आँखों में सपने वो गाँव छोड़कर आता है शहर की चकाचौंध भरी दुनिया में ख़ुद को अनजाना पाता है सारे दर्द समेट के अंदर बाहर से मुस्कुराता है बात करें हम आज श्रमिक की जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
जेठ की जलती गर्मी हो या हो जाड़े की मार मुश्किल भरे हालातों में भी न माने कभी वो हार चंद मज़दूरी की ख़ातिर दिन रात वो मेहनत करता है बात करें हम आज श्रमिक की जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
परिश्रम करता सबसे ज्यादा फिर भी दुत्कारा जाता है करोड़ों कमाने वाले मालिक से ख़ुद समय पर पगार न पाता है फिर भी करता न उफ़ कभी चुप-चाप सब सहता जाता है बात करें हम आज श्रमिक की जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
मजबूर हो गए आज श्रमिक जब कोई मदद न करता है वापस अपनों से मिलने वो मीलों पैदल चलता है पैर में पड़ गए मोटे छाले फिर भी उसके कदम न हारे देख के ऐसी हिम्मत उसकी ख़ुद कहर भी दंग रह जाता है बात करें हम आज श्रमिक की जिसकी व्यथा न कोई समझता है।
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Labor agony
Make others a palace He lives in a hut Talk about labor today No one understands the agony .. Dreams in all eyes He leaves the village In the dazzling world of the city Finds himself a little unknown Inside all the pain Smiles from outside Talk about labor today No one understands the agony .. Hot summer Or be winter Even in difficult conditions Never believe that every For the sake of a few wages Day and night he works hard Talk about labor today No one understands the agony .. Works hard the most Is still rebuked From a boss who earns crores Do not pay on time Never does oops ever All is silent Talk about labor today No one understands the agony .. Today the workers were forced When no one helps To go back to the village He walks for miles Thick ulcers in the leg Still don't lose his steps Seeing this courage Amber also bends down Talk about labor today No one understands the agony of ...
दोस्तों इस कविता में हमने बात की है समाज के उस वर्ग की जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता अर्थात श्रमिक और मज़दूर वर्ग। ये ऐसा वर्ग है जो बहुत ही कठिन परिश्रम करके अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते हैं। यह कविता श्रमिक के जीवन और उसकी मन की व्यथा को को समझने का एक छोटा सा प्रयास है।
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