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नन्हे कदमों से जब तू मेरे जीवन में आई
मेरे आँगन की हर कली मुस्कुराई
जब तूने माँ कह के पहली बार पुकारा था
वो हसीन पल भूल जाऊँ कैसे ?

तेरी किलकारी से गूँज उठा मेरा जीवन
तेरे नर्म हाथों का स्पर्श, तेरी चंचल चितवन
रातों को जाग के जब तुझे सुलाया था
वो लोरी अब दोहराऊं कैसे ?

तेरी आँखों में ख़्वाब सजने लगे थे
भरने को उड़ान पंख बढ़ने लगे थे
तुझे ऊँचा उड़ता देख जब मन हर्षाया था
वो खुशी सबको दिखाऊँ कैसे ?

काम में जब जब तू मेरा हाथ बटाती
मेरी खुशियाँ दोगुनी हो जातीं
जब बना कर हलवा तूने पहली बार खिलाया था
वो क्षण आँखों हटाऊँ कैसे ?

एक दिन तुझे डोली में बैठ अपने घर जाना है
अपनी नयी दुनिया, नया संसार बसाना है
ये ख़याल जब जब मन में आया था
उन सिसकियों की आवाज़ छुपाऊँ कैसे ?

आज तू घर से निकल कर जाती है
मेरा चैन, मेरी नींद मानो उड़ जाती है
पढ़ती हूँ खबरें अख़बारों में
डरता है दिल, रूह काँप जाती है
एक ओर देवी की पूजा करते हैं लोग
और वहीं एक नारी की इज़्ज़त हरते हैं लोग
सबकी आँखों में बसी दरिंदगी मिटाऊँ कैसे ?
बे-रहम इस दुनिया से तुझे दूर ले जाऊँ कैसे ?
हर माँ का दिल रो रो के कहता है
अपनी लाडो की लाज बचाऊँ कैसे ?
ये दुःख, ये पीड़ा ज़ुबाँ तक लाऊँ कैसे ?
I don't know how it feels like to be a mother. But the seed of motherhood was sown when I was just 17. My love for my child is ineffable and she would be the most awaited gift of my life.
Seeing the lizard king move
and seeing him dance,
seeing his wicked laughter
followed, by another wicked laugh
it makes you feel sad;
The fact,
that in front of you stands
the avatar of sadness,
the king of the ******!

— The End —