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Ananya May 2021
The eerie calmness in the air
Called me foreward towards you,
The distinct voice of my scruples,
Holding me back.
I should have stopped,
I wished to stop,
I didn't stop.
Bringing the evil in the world
In contrition I was left alone,
The only thing I had,
Was what I trapped,
The sense of hope lying in the box.
What was going in Pandora's mind after she let the evil out?
Snow Selmon Apr 2021
I was the living god
I was in a bliss so pure
and I thought this is how the world felt
I was Cronus until my son
Zeus was born
and down came my
DEMISE
था ज्ञात कृष्ण को समक्ष महिषी कोई बीन बजाता है,
विषधर को गरल त्याग का जब कोई पाठ पढ़ाता है।
तब जड़ बुद्धि   मूढ़ महिषी  कैसा कृत्य रचाती है, 
पगुराना सैरिभी को प्रियकर वैसा दृश्य दिखाती है।

विषधर का मद कालकूट में विष परिहार करेगा क्या?
अभिमानी का मान दर्प में निज का दम्भ तजेगा क्या?
भीषण रण जब होने को था अंतिम एक प्रयास किया,
सदबुद्धि जड़मति को आये शायद पर विश्वास किया।

उस क्षण जो भी नीतितुल्य था गिरिधर ने वो काम किया,
निज बाहों से जो था सम्भव वो सबकुछ इन्तेजाम किया।
ये बात सत्य है अटल तथ्य दुष्काम फलित जब होता है,
नर का ना उसपे जोर चले दुर्भाग्य त्वरित  तब होता है।

पर अकाल से कब डर कर हलधर निज धर्म भुला देता,
शुष्क पाषाण बंजर मिट्टी में श्रम कर शस्य खिला देता।
कृष्ण संधि   की बात लिए  जा पहुंचे थे हस्तिनापुर,
शांति फलित करने को तत्पर प्रेम प्यार के वो आतुर।

पर मृदु प्रेम की बातों को दुर्योधन समझा कमजोरी,
वो अभिमानी समझ लिया कोई तो होगी मज़बूरी।
वन के नियमों का आदि वो शांति धर्म को जाने कैसे?
जो पशुवत जीवन जीता वो  प्रेम  मर्म पहचाने कैसे?

दुर्योधन  सामर्थ्य प्रबल  प्राबल्य शक्ति  का  व्यापारी,
उसकी नजरों में शक्तिपुंज ही मात्र राज्य का अधिकारी।
दुर्योधन की दुर्बुद्धि ने कभी ऐसा भी अभिमान किया,
साक्षात नारायण हर लेगा सोचा  ऐसा  दुष्काम किया।

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित
महाभारत के शुरू होने से पहले जब कृष्ण शांति का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास आये तो दुर्योधन ने अपने सैनिकों से उनको बन्दी बनाकर कारागृह में डालने का आदेश दिया। जिस कृष्ण से देवाधिपति इंद्र देव भी हार गए थे। जिनसे युद्ध करने की हिम्मत  देव, गंधर्व और यक्ष भी जुटा नहीं पाते थे, उन श्रीकृष्ण को कैद में डालने का साहस दुर्योधन जैसा दु:साहसी व्यक्ति हीं कर सकता था। ये बात सही है कि श्रीकृष्ण की अपरिमित शक्ति के सामने दुर्योधन कहीं नही टिकता फिर भी वो श्रीकृष्ण को कारागृह में डालने की बात सोच सका । ये घटना दुर्योधन के अति दु:साहसी चरित्र को परिलक्षित करती है । कविता के द्वितीय भाग में दुर्योधन के इसी दु:साहसी प्रवृति का चित्रण है। प्रस्तुत है कविता "दुर्योधन कब मिट पाया" का द्वितीय भाग।
its a tragedy, you know.
that he looks at you as if he's the sun
and you still burn him,
sending him with wax coated wings
beneath the seas.
21 avril 2021
17:41 pm
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