तू राम हैं,रहीम भी तू सर्वेंद्र हैं,जग-जुगान्तर का साक्षी।
विधिवत विविधता के वन का तू ही वनरक्षक हैं लक्ष लक्ष्यों की पूर्ति में तू ही तो सहायक हैं। अंधकार से प्रकाश तक पहुचने में तू ही सार्थी दुष्बिचारों के दलदल का विनाशक भी तू ही।
भोला बाबा तू बिन दोष हैं।
सर्वरक्षक तू तू सर्वोबड़ी तू ही तो अपार सुंदरी।
तेरी नीति चमत्कार हैं तेरे सीख निराकार हैं तेरी लीला अपरम्पार हैं सत्य ही तू महान है ।
सरोवर एकांत का तू हैं वृक्ष दान का तू गंगा ज्ञान की तू हैं पर्वत साधना की तू राजा कुदरत का तू हैं।
न भूखा तू प्रेम का न भोग का,न योग का न श्रध्दा का,न भक्ति का न रस का,न यश का।
तेरे नाम हज़ार उनपर लिखे गीत लाख परंतु एक तू परे वाद के।
तू कौन हैं? इस प्रश्न के कारण मरे कई तेरा कोनसा रूप पाक हैं इस पर लड़े गए युद्ध कई।
तू हैं परे संबंध के,परे आकार के परे मोह के,परे धर्म के परे रीति,परे इस विचित्र संस्कृति के परे समय के,परे सृष्टि।
अनादि तू,अनंत हैं तू रहा हैं सदैव के लिए परिवर्तन के परे परे।
तू मन की रचना हैं,तू स्वयंभू अस्तित्व मैं तू कुच्छ नही,आस्था में सब कुच्छ हैं तू।
तेरा अर्थ क्या किसे पता जानना असंभव है ।
तू आशा हैं, विश्वास हैं।
My first hindi poem I wrote 5 years ago.I am an atheist lol.