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Jul 2020
थोड़ी अलग सी हैं मेरी कहानी,
कुछ सुनाई हैं तुम्हें,
कुछ बाकी हैं सुनानी।
माना इसका कोई अन्त नहीं फिर भी मुकम्मल हैं मेरी कहानी,
जो जी रहीं हूँ वो मेरी हैं,
और जो भूला दी वो थीं अंजानी।
ना कोई मकसद हैं इसका ना कोई सीख हैं मेरी कहानी,
बस इतना जानती हूँ के कभी बेपरवाह,
तों कभी हैं ये रूहानी।
- मेघा ठाकुर
Written by
Megha Thakur  25/F
(25/F)   
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     Stardust to Unicorn, Indeed and Imran Islam
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