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Mar 2019
लिलामथा बाजारमे मेरी सारी दुनीया —२
बढ्कर भाऊ लगारहाथा सारी दुनीया

पहले मे समझ नसका ए क्या हो रहाथा
तमासा लग रहाथा हस् दिएँ फिर फजुलमे
लिलामथा बाजारमे मेरी भरी दुनीया

हमारी कामोका लगाथा पहेली बोली
सुन्कर आवाज बढी हो गया मे पसिना
तैला हमको किसिने रुपैया किसिले सोना
हाथ था शरिर मे मगर व विक्चुका था
साँस था जिस्म पर मगर मे एक लाश था
लिलामथा बजारमे मेरी भरी दुनीया

मनका लगाथा फिर दोस्री बोली —२
बढ् रहाथा भाउ मेरी उँची पर उँची
आधार मालुम कहाँ मुझको मेरा मनका
पल दो पलमे मन् नेभीे किया अलबीदा
साँसथा जिस्मपर मगर मे एक लाशथा
लिलामथा बाजारमे मेरीे भरी दुनीया

सपनोका लगाया फिर बाजारियोने बोली —२
दौलत निछावर हुवाथा मेरे उपर
खाबही देताथा मुझको जिनेकी चाहत
बगयर खाब हो गाया अब मे जानवर
साँसथा जिस्मपर, मगर मे एक लाशथा
लिलामथा बाजारमे मेरी भरी दुनीया
साँसथा जिस्मपर मगर मे एक लाशथा

लिलामथा बाजारमे  मेरी सारी दुनीया
Genre: Dark Gazal
Theme: Soul for sale || Dignity
Mystic Ink Plus
Written by
Mystic Ink Plus  M/Nepal
(M/Nepal)   
477
 
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