तेरी एक नजर को
तड़पुं में,
तेरी एक झलक
को तरसुं में,
सुबह दोपहर शाम को बस
तेरे दीदार को चाहूं मैं,
तेरी पायल की झंकार को
दूर तलक सुन पाऊं मैं,
तेरी आहट को
सुनने को बेताब रहूं मैं,
तेरी झलक की
आहें दिन भर भरूं में,
हर सुबह मैं तेरी जुल्फ से
ओस के मोती बिखरते देखूं,
हर दोपहर वह ज़िद्दी बाल को
तेरे चेहरे पे लुड़कता देखूं,
तेरी मासूम शक्ल हर शाम को
बेतरतीब होते देखूं मैं,
तेरी झलक पाने को
दिन भर का
सुकून ताक़
पर रख दूं मैं,
तेरे होने भर के एहसास
से खुद को
ज़िंदा रख पाऊं मैं।
Sparkle In Wisdom
14 Feb 2019