सच एक जानलो, जितेँ हे हम खाब मे
उठ्नेका लाख कोशिस, मगर, रहेते हे उल्झनोमे —२
वक्तने थामली, एक वार, फिर घडी —२
क्यू होता, हे एसा, हरदम मे बेखबर
समरनेको कास, नही लग्ता, कोइ देर पल
तस्विरमे, रंग समानेको ,बाकिहे देर अभी
मे यहाँ हँु ,पर साँसहे कही थमी
सच एक जानलो, जितेँ हे हम् खाब मे
उठ्नेका लाख कोशिस, मगर रहेते हे उल्झनोमे
सगँ किया जोगीका, दुनीया, कहे मुझे पागल
उठ्कर फिर गीर्नेका, आया, फिर बालापन
रंग नही गेरुँका लेकिन, चाहतँे मेरी जोगी —२
साथ नही साँयोका पर रहु मुस्कुराते जही —२
उम्मिद मरी , आशाए नही लो देखो खुस हु अभी
वक्तने थामली, एक वार, फिर घडी
क्यू होता, हे एसा हरदम मे बेखबर
सच एक जानलो, जितेँ हे हम खाब मे
उठ्नेका लाख कोशिस, मगर, रहेते हे उल्झनोमे —३
Genre: Gazal
Theme: Longings