Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Dec 2018
बहुत कोशिश करते है कि थोड़ा समझदार बन जाए,
पर ख़ुशी हमेशा पागलपन ही देता है जी !
कोशिश करे तो बन भी सकते है सेंसफुल्ल,
लेकिन ये मन है अब इसका क्या करे जी ?
दुनिया की बातें ये दिल सुनता ही नहीं है,
क्योंकि अभी भी “ दिल तो बच्चा है जी ”
इसमें बस नटखट, शरारती, बचकानी बातें ही भरी है,
बड़ी बड़ी बातें क्या होती है? इसे मालूम ही नहीं है !
बस छोटा सा सपना लिए हुए है,
आसमान में उड़ने की ख्वाहिश जगी है !
फिर भी उड़ान भरने के लिए अभी पंख कहा है जी ???
कुछ भी कहो अभी, “ दिल तो बच्चा है जी ”
बच्चों से ज्यादा पाक मन किसी और का नहीं है,
बड़ो में तो बस जलन और नफरत ही ज्यादा भरी है !
इस दुनिया में कौन अभी तक परफेक्ट हुआ है ?
किसी में कुछ तो, किसी में कुछ खामियां भरी है !
जीना है तो बचपन से सीखो,  बचपन बड़ा सच्चा है जी !
क्या करें ? बचपन से भी बस इसलिए नहीं सीख पाते,
क्योंकि अभी “ दिल तो खुद बच्चा है जी ”
Dedicated To Me From Myself...
Osheen Khan
Written by
Osheen Khan  23/F/Sagar
(23/F/Sagar)   
  1.5k
 
Please log in to view and add comments on poems