बहुत कोशिश करते है कि थोड़ा समझदार बन जाए, पर ख़ुशी हमेशा पागलपन ही देता है जी ! कोशिश करे तो बन भी सकते है सेंसफुल्ल, लेकिन ये मन है अब इसका क्या करे जी ? दुनिया की बातें ये दिल सुनता ही नहीं है, क्योंकि अभी भी “ दिल तो बच्चा है जी ” इसमें बस नटखट, शरारती, बचकानी बातें ही भरी है, बड़ी बड़ी बातें क्या होती है? इसे मालूम ही नहीं है ! बस छोटा सा सपना लिए हुए है, आसमान में उड़ने की ख्वाहिश जगी है ! फिर भी उड़ान भरने के लिए अभी पंख कहा है जी ??? कुछ भी कहो अभी, “ दिल तो बच्चा है जी ” बच्चों से ज्यादा पाक मन किसी और का नहीं है, बड़ो में तो बस जलन और नफरत ही ज्यादा भरी है ! इस दुनिया में कौन अभी तक परफेक्ट हुआ है ? किसी में कुछ तो, किसी में कुछ खामियां भरी है ! जीना है तो बचपन से सीखो, बचपन बड़ा सच्चा है जी ! क्या करें ? बचपन से भी बस इसलिए नहीं सीख पाते, क्योंकि अभी “ दिल तो खुद बच्चा है जी ”