कुछ खाने का मन नहीं करता कुछ पीने का नहीं| लगता है बस शरीर की मांग है जो पूरी कर रहे हैं|
किसी को बता नहीं सकती किसी से क्या कहूँ|
मुझे पता नहीं क्या करूँ|
मैं डर रही हूँ| मैं मर रही हूँ| मुझे जीना है पर जीना नहीं| मुझे मरना है पर मरना नहीं|
मेरी आत्मा की पुकार सुन ले तू भगवान
मुझ में ही है तू फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान फिर क्यूँ हूँ मैं परेशान
ये किस मोड़ पर आ खड़ी हुई है ज़िंदगी|
मुझे घर जाना है|
वो गुलाबी रुई से बादलों से बना जहाँ गम में घुली ख़ुशी नहीं| जहाँ हँसते हुए मैं दुखी नहीं| जहाँ अकेलापन काटता नहीं| जहाँ रोना कभी आता नहीं| जहाँ दुनिया-जहाँ से शिकवा नहीं| जहाँ...पराये रिश्ते नहीं जहाँ कोई धोखा नहीं देता गले लगा के मुह नहीं फेरता|