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Mohan Jaipuri Jan 2019
Today is world Hindi Day.
I devote a little thought on this topic with the beautiful Lines of Allama Iqbal "हिंदी हैं हम हिंदुस्तान हमारा"
And भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्ति " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल"।
The World Hindi Day is being celebrated on January 10th marking the anniversary of the first World Hindi conference which was celebrated on 10th January 1975 and Was chaired by the then PM Smt. Indira Gandhi. The purpose of World Hindi Day is to promote the Hindi on the world Arena.
Officially the World Hindi Day Was commenced on 10th January 2006 by the then PM Dr.Manmohan Singh.
I am writing some lines about the beauty and nature of the Hindi language on this auspicious occasion.

हिंदी में वही लिखा जाता ,
जो जुबान से बोला जाता।
हिंदी में भाव है भारतीयता का
जैसे पट्टी- बरते का
या साड़ी - पगड़ी का
या फिर सब्जी- रोटी का।
हिंदी में भाव है खेलों का
जैसे होकी-छड़ी का
या चील-झपट्टे का
या फिर रस्सा-कशी का।
हिंदी में भाव है संगीत का
जैसे ढोल - ताशे का
या तबले- बाजे का
या फिर बीन-बांसुरी का।
हिंदी में भाव है रिश्तों का
जैसे छोटे - बड़े का
या मर्द -लुगाई का
या फिर आप- अपनत्व का।
हिंदी में भाव है सच्ची सीख का
जैसे ज्ञान -विज्ञान का
या अखबार - किताब का
या फिर आचार -विचार का।
हिंदी में भाव है मौसम का
जैसी सर्दी- गर्मी का
या बारिस- सूखे का
या फिर अकाल- जमाने का।
हिंदी में भाव है नैतिकता का
जैसे साधु- संत का
या राजा- रंक का
या फिर ज्ञानी- मूर्ख का।
हिंदी में भाव है सहजता का
जैसे सीधे- सरल का
या मीठे - खट्टे का
या फिर लंबे- नाटे का।
Mohan Jaipuri Sep 2020
World of poetry
Based on imagery
Improved by
art of speakry
Does not need
mamoth dictionary
But words
should carry
some etiquette
necessary
Mohan Jaipuri Jul 2019
Before thirty years
We were five thousand million
Today we are seven thousand
Seven hundred million
Senior citizen are more than
Five year children
By next thirty years
Senior citizens will get
Doubled to children
What a bizzare scene we will see
Where grand fathers will be
More than grand children

Today north is shallow
While south is dense
Blonde and brunette stable
while browns are rising
Indian marriages losing
Caste & religion clutching
,
X
Mohan Jaipuri Oct 2024
X
Blue bird to Black X
Twitter owes to Elen Musk
Tweets are now  posts
But same are the tastes.
Mohan Jaipuri Sep 2021
ना खुजाई जा सके तो
खुजली भी तकलीफदेह होती है
प्यास तो बहुत दूर की बात है
अकेलापन अपने आप में एक संताप है।।
Mohan Jaipuri May 2022
आखा तीज से अक्षय  बने
शिक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि
आखा तीज का कलंक मिटे
बाल विवाह से नाता छूटे।।
Mohan Jaipuri Mar 2024
अजीब इत्तेफाक है
बांटने से‌ खुशियां बढ़ती हैं
दर्द कम होता‌ है
दिल इसलिए ही
एक हमदर्द चाहता है।।
Mohan Jaipuri Aug 2019
पहले कभी लंबी बातें
कभी सेल्फी आती थी
अब सिर्फ gm आता है
सच है औरत खुश हो
तभी बोलती है
वरना कहां
मन की गांठ खोलती है
जमाना यूं ही
व्यंग्य करता है
औरत ज्यादा बोलती है
सुनो अपने मन की आवाज
करो फैसला
क्या जितना बोलती है
उससे ज्यादा तोलती नहीं है?
gm - good morning
ये आपकी अदायें
ये अनकही सदायें
हमें बहुत सतायें
ज्यों बादल घिर आयें
हम मयूर होकर भी
नाच ना पायें।।
Mohan Jaipuri Apr 2019
भगवान की धरती पर
प्रजातंत्र की शक्ति का
विश्व का सबसे बड़ा पर्व
भारतीय होने का बड़ा गर्व
फूलों का ताज
फूलों की तलवार
शब्दों का वार
शशि थरूर का प्रचार
मिले जनता का प्यार
तो हो जाए बेड़ा पार
अभी करते हैं 23 मई का इंतजार
तब तक ढेरों शुभकामनाएं हमार।
Mohan Jaipuri Jan 2019
सन् 2000 ,साल अट्ठारह,
मई माह , तपत पठारी आंचल,
ईश्वर कृपा यों हुई,
देखा मराठवाड़ा प्रांचल ।

अजन्ता की बौद्ध गुफायें,
जिनकी पेन्टिंग कहीं न पायें,
मूर्तियां मुंह यों बोलें,
 जैसे जीवनसार बतायें।
यू- आकृति मे बनी गुफायें,
जीवन व्याधि का कारण बतायें।।
एलोरा का कैलाश मंदिर,
आर्किटेक्चर का गुरूशिखर।

शिव की स्थली ऐसी भाई,

  नजरें बारम्बार दौड़ाई ।
खेतों में  बैल जोते देखे,

 कोटन, कोर्नसीड बोते देखे ,

छोटे- छोटे पानी के ह़ोद देखे,

कम पानी मे खेती के कमाल देखे।

लोग काफी व्यस्त देखे,

फिर भी बहुत शालीन दिखे ।।

धन्य मराठवाड़ा, धन्य लोग,
जिनके सुन्दर हैं उद्योग।
जगह का यह  असर रहा,

 बेमिशाल सफर रहा।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
अध्यात्म के गांधी का ही
दूसरा नाम कबीर है
जिनकी रचनाएं पढ़कर
जागता आज भी जमीर है।।
Kabir Jayanti
Mohan Jaipuri Oct 2021
अजीब है उनका असर मुझ पर
सामने हों तो जुबान मेरी खुलती नहीं
चेहरे से नजर मेरी हटती नहीं
मुस्कुराहट मेरी फिर रूकती नहीं
खुली हों यदि जुल्फें तो उस
चांद की चर्चा कई दिन रूकती नहीं।।
Mohan Jaipuri Jun 2019
कभी अनजानो से भी
यों ही मिल लिया करो
जानकार बहुत हिसाब
रख कर बोलते हैं
अनजान बड़ी स्वाभाविक
अभिव्यक्ति देते हैं।

चाहे हो स्टेशन
या हो होटल
अनजान लोग
जगह को अपना
अंदाज देते हैं
आंखों को पयाम देते हैं
सपनों को आयाम देते हैं
दिल को नई ऊर्जा और
विचारों को नई दिशा देते हैं।

हो ना हो प्यार मोहब्बत
फिर भी सिखाते हैं एक सोहबत
गुजर जाए अगर एक अरसा
मिल लो किसी अनजान से सहसा
फिजा में फिर से खुशबू पा लो
अपना क्या है यहां दो पल जी लो ।
Mohan Jaipuri Jul 2019
व्हाट्सएप पर मैसेज पढ़ा
फिर जाना करके ट्रिन
आज नया रोल निभाया
सुखद है आज का दिन
अनन्या एग्जोमी करती है
असम बाढ़ के लिए काम
ना रुपए ,ना गहने
इकट्ठा करती सामान आम
चार किलो कपड़े भेजे
पाया खुशी का मुकाम
मनुष्य वही है
जो मुश्किल को समझे
और झटपट दे अंजाम
थोड़ा सा दूर रख दो
सिर्फ अपने लिए जीना
फिर देखो मुश्किल नहीं
खुशियों को ढूंढना
रोज-रोज नहीं आते
ऐसे कुदरती तूफान
रख लो‌ थोड़ा सा
मानवता का भी ध्यान।
Ananya Axomi (Assamese ladies association) is a womens group is collecting clothes, medicines, soaps, surf, senetary pads, odomos etc for assam flood hit persons at gurgaon.
Mohan Jaipuri Aug 2019
पांच अगस्त
दो हजार उन्नीस
सरकार वही
काम उत्साही
भारत जनमानस की
आशा पूरित भयी
बेहतरीन तैयारी
सब पर भारी
मिट गया नासूर
घाटी की फिजा में
आया नया शुरूर
आतंक का मगर सदमे में
आंसू दिखाए किसे
जो थी आवाज
वह पड़े थे घिसे
अब खिसियानी बिल्ली
खंबा नोचे
नया इतिहास
नया नक्शा
एक हुआ झंडा
एक सा डण्डा
नए निवेश की
खुल गयी राह
अब कश्मीरी लौटेंगे
अपने पुरातन गृह
नये चिराग
नये छिनार
करें सुविचार
एक स्वर में बोलें
धन्य हो भारत सरकार।।
Mohan Jaipuri Dec 2021
यह है राजस्थान रंगीला
आकर यहां तू बन गई
चटख रंगों की खान
मैं बना रंगरेज हठीला
तुझ पर अब हूं मैं कुर्बान
और तुम हो गई मेरी शान।

जुबान की अब नहीं जरूरत
आंखों से ही हो रही बात
दो जिस्म एक जान हुए हम
अनुपम है यह वक्त की सौगात।।
# katrina vicky marriage
Mohan Jaipuri Aug 2020
जब जीवन में झंझावत आएं
किसी बुजुर्ग की शरण में जाएं
पढ़ विवेक और धीरज का पाठ
मुश्किल हल कर लेवें
जब जीवन में अच्छे अवसर आएं
किसी बुजुर्ग की शरण में जाएं
ले उनके अनुभव का सार
सही चुनाव अपनाएं
जब जीवन में खुशियां आएं
किसी बुजुर्ग संग बांटे
ले उनका आशीष
सच्चे सुख का आनंद पाएं
जीवन को जब सामाजिक बनाएं
किसी बुजुर्ग का चुनाव करें
उनके आशीर्वाद से
समुदाय को स्वर्ग बनाएं।
बुजुर्ग अनुभवों का अनमोल खजाना है ।
इस खजाने को बेहतर सजाना है।
विश्व बुजुर्ग दिवस पर सभी बुजुर्गों को सादर समर्पित।
Mohan Jaipuri Jan 2020
जब आंख किसी से लगती है
तब आंख में छवि उसी की बसती है
बातें सारी उसकी कानों में गूंजती है
खिलखिलाहट हरदम सुनाई देती है
अनुराग की आग दिल में ऐसी दहकती है
सारे दरिया उसे मिटाने में असमर्थ होते हैं
किसी को कही नहीं जाती मनोदशा
क्योंकि पशोपेश में ऐसे फंसा
मन नहीं रहता खुद के पास
तन नहीं जा पाता उसके पास
नींद अब आती नहीं पल भर
बस प्यास बन जाती है नींद हर।
Mohan Jaipuri Feb 2023
होगा सितारों का खूबसूरत जहां
एक जूगनू चमक रहा है यहां
तोड़ दो‌ सोच का सिलसिला
सबसे न्यारा होगा अपना जहां।।
Mohan Jaipuri Feb 2021
कुछ लोग आज 'डेट' पर हैं
कुछ बीवी के राडार पर
कुछ बच्चे हैं, कुछ ज्यादा बड़े हैं
वो वैलेंटाइन से परे हैं
बाकी बचे किस्मत के मारे हैं
वो मधुशाला के द्वार पर
और टूट के कगार पर
जिंदगी की जंग में
जीत उन्हीं की होती है
जिन की डोर है
बीवी के ही हाथ में।।
Mohan Jaipuri Jun 2019
संवेदनाएं सब जगह एक सी होती हैं
अभाव के जख्म भी एक जैसे होते हैं
लोग जड़ों को छोड़ खुश रहने की कामना करते हैं
जड़ों के बिना नहीं फलता - फूलता कोई

फिर चाहे एल - साल्वाडोर के अल्बर्टो
बेटी वालेरिया संग ही क्यों ना होई
और आशा अमेरिका में पहुंचकर
अच्छी जिंदगी जीने की ही क्यों ना होई
बिन रास्ते का सफर नहीं होता फलदाई
जड़ों के बिना नहीं फलता - फूलता कोई


यह परिणाम है कल्पना और दुस्साहस के मेल का
जिसका ना कोई अस्तित्व, ना कोई तहलका
आज यह नजारा देख मानवता रोई
जब टी - शर्ट में बाप की बेटी फंसी मरी पाई
जड़ों के बिना नहीं फलता - फूलता कोई

कल्पनाओं के पास ठिकाने का रास्ता नहीं होता दुस्साहस के पास वजूद का हिसाब नहीं होता
काश! अनुभवी मां की बात मानी होती
संस्कारों और जड़ों को तवज्जो दी होती
मानवता यों ना निराश हुई होती
दो जिंदगियां यों ना सोई होती
सही रास्ते के बिना ना‌ सफल हो सके कोई
जड़ों के बिना नहीं फलता - फूलता कोई
Mohan Jaipuri Feb 2023
अभिभावक तो हमेशा ही
कुछ बड़प्पन‌ दिखा जाते हैं
जाते समय सिर मुंडवा कर
एक रूप नया दे जाते हैं।
Mohan Jaipuri Sep 2020
एक अभियंता
होता है ऐसा
सृजनशील
मानव
जो पृथ्वी के
खजाने से
खनिज लेकर
बना सकता है
देव और दानव।।
Mohan Jaipuri Sep 2022
अभियांत्रिकी में नवाचार
यही है वक्त की पुकार
जितना ज्यादा ‌नवाचार
उतना बेहतर होगा संसार।।
Mohan Jaipuri Sep 2024
अभियंताओं का यह स्वर्णिम काल
धरती पर रहकर आकाश में धमाल।
यात्रा तो बस एक हवाई छलांग
समुद्र हो गये मानो चोड़े एक फर्लांग।
सूरज की रोशनी के ऊर्जा प्लांट
कम्प्यूटर ही करते अंग ट्रांसप्लांट।
धरती से आकाश ,आकाश से धरती
सिग्नल के द्वारा रोज बातें करती।
युद्ध के सामान इतने हल्के फिर भी
पलक‌ झपकते शहरों को मिटाते।
मोटर, कारें, रेलें अपने आप चलते
हम सौ मंजिल ऊंचे घरों में रहते ।
मोबाइल से हम सारे काम करते
कुछ तो इससे विदेशी दुल्हन लाते।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
कभी तो ऐसा दिन आए
तुम मेरे लिए चाय बनाओ
मैं तुम्हारे लिए कविता लिखूं
तू पढ़ कर मंद मंद मुस्काए
मैं तेरे चेहरे के भाव पढूं।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
हमारे शब्द
हमारी छाया हैं
हमारे आचरण
हमारी काया हैं
बस इतनी सी
अभिव्यक्ति की
माया है।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
फूलों के साथ
यह जो भेजा‌ है दिल
मिलकर‌ ही‌‌ अब चैन ‌मिले
अरमानों की अग्नि हो चिल।।
Mohan Jaipuri Feb 2023
किस्मत किस्मत करने वाले
किस्मत फिजाओं में घुली है
बाहर निकल महसूस तो कर
मिट जायेगा मन का अंधेरा
कभी अरूणोदय से बात तो कर।।
Mohan Jaipuri Mar 2020
कभी जंगल काटता
कभी ग्लेशियर काटता
अब जानवरों तक
पहुंच गया
आदमी

खतरे में पड़ गया पर्यावरण
ऋतुओं का बिगड़ गया आचरण
क्यों नहीं सोचा
जो होगा पर्यावरण के साथ
वही तो पाएगा
यह पर्यावरण की उपज
आदमी

सताया जब चिंपांजी
पाया एड्स
सूअर से ले लिया
स्वाइन फ्लू
चमगादड़ तक पहुंचते-पहुंचते
खुद ही उल्टा लटक गया
आदमी

संक्रमित होने लगा
सारा जग
बचने की कोशिश में अलग-थलग
अब पड़ने लगा
आदमी
Mohan Jaipuri Sep 2021
तुम्हें खो कर ही हमें तुम्हारे
होने का आशय समझ में आया है
गुफ्तगू जब भी खुद से करते हैं
उन लफ्जों में तुम्हें ही‌ पाया‌‌ है।।
#6 years without you
Mohan Jaipuri May 2024
आंखों से जाम लिया
होठों पर थाम लिया
उसने फोन काट‌ दिया
ये कैसा‌ सितम किया ?
सपने नहीं पूरे हुए
अधूरे भी कैसे कहें?
उसने तो मुझे पढ़ लिया
मैं  ही असफल रहा।।
Mohan Jaipuri Nov 2021
मैं पुरुष हूं
हां मुझ में पौरुष है
जब किसी के पौरुष
से समाज कलंकित होता है
तब मुझे पुरुष होने पर
शर्मिंदगी होती है।
मैं आज के दिन को
बेहतर‌ स्त्री-पुरुष संबंध
के द्वारा सुंदर संसार के
निर्माण में लगाने का
दृढ़ निश्चय करने के
अवसर के रूप में
लेता हूं।।
Mohan Jaipuri Oct 2024
जाना‌ तो कवियों को भी पड़ता है
यह राह वरना बनी रहेगी कैसे?
माना चले जायेंगे कवि भी एक रोज
अंदाज-ए-बयां उनके मिटने से रहे ।।
Mohan Jaipuri Oct 2022
यूं तो मैं उम्र के उस पड़ाव पर हूं जहां
सूरत से ज्यादा सीरत पर गौर करता हूं
सामना जब तुझसे हुआ बर-अक्स
दिल पुराने दिनों में कुलांचे भरने लगा
कौतूहल पैदा इस कदर हुआ
तू झीलों का समूह लगे और
मेरा दिल शहर उदयपुर हुआ।।
Mohan Jaipuri Jul 2020
लोग कहते हैं
जिंदगी आइसक्रीम की तरह है
टेस्ट करो तो पिघलती है
वेस्ट करो तो भी पिघलती है
कौन यहां मनमाफिक जिंदगी
जी पाता है
यह तो किसी और की
पहले से लिखी हुई पटकथा है
परंतु आज इस उमसभरी दुपहरी में
आइसक्रीम को थोड़ा चखा है
इस कोरोना के काल में‌ फिर से
मन बचपन में जरूर लौटा है।
Mohan Jaipuri Jun 2024
आज उन्नतीस जून है
जीने का वही जूनून है
तुझ बिन बेनूर जिंदगी
ईश्वर तेरा कैसा कानून है।

कभी घबराता था
आत्मविश्वास देख तेरा
आज बन‌ गया‌‌ है देखो
तुम बिन सवेरा यहां अंधेरा।।

आय कम थी
जरूरतें ज्यादा थी
फिर भी विश्वास था क्योंकि
तू हरदम जीत को आमादा थी।

ढलती उम्र के साथ
यादें ज्यादा ताजा हो रही हैं
जीवन का तजूर्बा है
सत्य गांधी,तो आईना कस्तूरबा है।।
Mohan Jaipuri May 2024
म्हारी आखातीज
घी‌-खीचड़े रो भोग
जे सागै खाटो मिलज्या
रैवां बारों मिनहां निरोग।
खेत में सोनचिड़ी दिखज्या
फोगड़ां गां सीटा
रामजी छांट करदे
सुगन मानां मोटा।
के तो घरै बीनणी आसी
के भरसी कोठ्या मोटा
बारों मिनहां धीणो रैसी
पीसां रो नीं होसी टोटा।।
Mohan Jaipuri Jan 2021
अभी तो सिर पर बाल हैं
यही एक सुकून है
हेयर डाई करना तो
कम से कम एक जुनून है।

आईने से डर लगता है
पुराना एल्बम निपोरता है
सूखे पत्तों की तरह बाल गिरते हैं
जिंदगी की पतझड़ का
आभास कराते हैं।

अब जोश से ज्यादा
होश से काम लेता हूं
तजुर्बे से सभी को
कायल करता हूं
परेशानी कोई भी हो
समझना अब आसान है
पर युवाओं के हाथ में थमाना
कमान ही अब मेरा काम है।

अब लोगों की गलतियों पर
खिन्न नहीं होता हूं
बल्कि थोड़ा सा मुस्कुरा देता हूं
और अगर खुद से हो जाए गलती
तो नम्रता से स्वीकार करता हूं।

कहनी हो बात कोई
जो कह नहीं पाता हूं
अब सीधी नहीं कह कर
शायरी का सहारा लेता हूं
अब यह छप्पन हो गई है साहब
यहां आकर पिछले से ज्यादा
अगला किनारा काफी
नजदीक महसूस करता हूं ।।
Mohan Jaipuri Dec 2024
पढ़ाई करो और शादी करो
बच्चों से फिर वही कराओ
पत्थरों की मूर्ति बनाओ
उनको पूजो और मन्नत मांगो
सच में बड़ा मुश्किल है
नहीं तो फिर जंगल में जाओ
पत्थर भिड़ाओ , आग जलाओ
पत्तों का लंगोट बनाओ
झिंगा ला ला हू हू गाओ
सस्ती मस्ती में घास खाओ
खुद से खूंखार जीव मिले तो
उसका निवाला बन जाओ
ज्ञान पढ़ लिया  हो तो
अपने काम लग जाओ।।
😀😀😀😀😀
Mohan Jaipuri Jul 2022
सावन में लगी झड़ी
उठाया बाल्टी-फावड़ा
साथियों को साथ लेकर
हरियाली में हिस्सा जोड़ा।।
Mohan Jaipuri Apr 2020
सच कहते हैं
छोटों के सपने छोटे
और बड़ों के मोटे
देखना था शहर लखनऊ
पर हम आपके
पुराने 'नोट्स' देखकर लौटे
ना सपने को धार मिली
ना लखनवी व्यंजन चटपटे
बस तुम्हारा दीदार हुआ
और  तुरन्त सरपटे ।
Mohan Jaipuri Apr 2019
अब सच्चा प्यार कहां मिलता है
अब तो समझौते करने की
मंडी सजी है
जो जितना भाव- तोल करने में माहिर हो
रिश्ता उतना ही टिकाऊ है
नहीं किसी के पास सेहत
अब तो बस कपड़े ही भड़काऊ हैं
नहीं किसी के पास वचन
अब तो लफ्फाजी ही टिकाऊ है
संस्कार अब कहां बचे
सोशल साइट के स्टेटस कामचलाऊ हैं
नहीं बचा अब धैर्य व चैन
बस जाहिल शोर उबाऊ‌ है
सच्चाई बस एक बची है
लोभ-लालच ही बिकाऊ है।
Mohan Jaipuri Oct 2021
आज की कमाई
मूली के पत्तों की सब्जी खाई
और दूसरी मेरी बातों से
दो चेहरों पर मुस्कान आई।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
मशीनी रिश्ते, संस्कार छूटते
शिक्षा दिखती बेरोजगारी बांटते
सोशल मीडिया समय खाते
और नफरत उगलते
प्रेस लगती बिक कर छपते
खेती दिखती लुप्त होते
डांस खाते 'थैक' पर गोते
खेलों को अब सट्टे लीलते
खाने को रसायन मिलते
खबरों में पढ़ने को
'रेप ' के समाचार मिलते
कपड़े आजकल छोटे ही सिलते
फूल अब ज्यादा कृत्रिम ही मिलते
जिम्मेदार दिखते झांसा ही देते
इस कोलाहल में यदि राम होते
ना धनुष ना बाण उठा पाते
देख देख सिर्फ माथा पीटते।
Today is Dussehra,"the festival of the win of truth over evil " in India.
Mohan Jaipuri Jul 2021
इमली का बूटा
बेरी के बेर
इमली खट्टी
मीठे बेर
आज जंगल में
नहीं रहा शेर
इमली खट्टी
आज खट्टे हुए बेर
इस दुनिया में आकर
रहता नहीं कोई अमर
पर जाना शरीर का
मिटा सकता नहीं
आपकी सिनेमा जगत को
दी गई अमूल्य धरोहर
पीढ़ियां दोहराएंगी
आप की कहानियां
जन्नत तक पहुंचती रहेंगी
जिनकी प्रतिध्वनियां।।

RIP Dileep Kumar sahab
Mohan Jaipuri Aug 2024
आज राखी है
बहन - भाई के अटूट
स्नेह की साक्षी है।

भाई रक्षा सूत्र बंधवाकर
बहन को रक्षा का संकल्प देता है
यह रस्म पीढ़ियों से
चलती आ रही है ।

घर से बाहर निकाल कर
शायद भाई यह संकल्प भूल जाते हैं
तभी कार्यालय हो, सफर हो ,
या हो अस्पताल बहनें लूटी जाती हैं ।

उसने भी बांधी होगी
किसी को राखी, दिया होगा संकल्प
फिर भी खत्म कर दिया गया
उसके जीने का हर विकल्प ।

कोलकाता, मेरठ या हो जोधपुर
हर जगह राखी तोड़ी गई
एक बहन की गर्दन
नृशंस रूप से मरोड़ी गई ।

आज हर एक राखी
रो कर कह रही होगी
बंद करो यह उपहास
नहीं होता रक्षा संकल्प पर विश्वास ।

राखी में भी आज स्वार्थ की बू आती है
सरकारें मुफ्त यात्राएं करवा कर
बहनों के वोट लेती हैं
जब बारी आती इंसाफ की
वही सरकारें एक दूसरे को दोष देती हैं
पर इंसाफ करने से कतराती हैं ।

क्यों राखी के धागों को
अब बदनाम करते हो
मन के धागों को
क्यों नहीं मजबूत करते हो?
Mohan Jaipuri Aug 2024
गैरों से आजादी
तब तक ही‌ सुरक्षित है
जब तक अपने इसका
मतलब समझते रहें।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
आजादी से बढ़कर कोई उत्सव नहीं
मातृभूमि से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं
आजाद हूं मैं आजादी उत्सव मनाता हूं
मातृभूमि के यश‌‌ में वृद्धि के गीत गाता हूं
मेरे इस सौभाग्य पर मैं नित्य मोद मनाता हूं।।
Happy independence day to all Indians
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