मैं पुरुष हूं हां मुझ में पौरुष है जब किसी के पौरुष से समाज कलंकित होता है तब मुझे पुरुष होने पर शर्मिंदगी होती है। मैं आज के दिन को बेहतर स्त्री-पुरुष संबंध के द्वारा सुंदर संसार के निर्माण में लगाने का दृढ़ निश्चय करने के अवसर के रूप में लेता हूं।।