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Apr 2019
अब सच्चा प्यार कहां मिलता है
अब तो समझौते करने की
मंडी सजी है
जो जितना भाव- तोल करने में माहिर हो
रिश्ता उतना ही टिकाऊ है
नहीं किसी के पास सेहत
अब तो बस कपड़े ही भड़काऊ हैं
नहीं किसी के पास वचन
अब तो लफ्फाजी ही टिकाऊ है
संस्कार अब कहां बचे
सोशल साइट के स्टेटस कामचलाऊ हैं
नहीं बचा अब धैर्य व चैन
बस जाहिल शोर उबाऊ‌ है
सच्चाई बस एक बची है
लोभ-लालच ही बिकाऊ है।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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     Jayantee Khare and ymmiJ
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