सरकारों के झोल
मेरा सिर झुक गया शर्म से ,
देखकर भूख से तड़पता इंसान को ,
ज़ुबान बाहर आ गई मेरे हलक से ,
ग़रीबी के हालात में देख निकलती जान को
सरकार कहती है खज़ाना ख़ाली है ,
ये कहना जनता के मुँह पे गाली है ,
मैंने तो हर चीज़ पे कर चुकाया है ,
साबुन , तेल या मेरी कमाई माया है ,
फिर भी खज़ाना इनका ख़ाली पाया है ,
कैसी समस्या घेरे है हिंदुस्तान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से
सरकारी तनख़्वाह समय पर आती ,
मज़दूर की मज़दूरी घटती ही जाती ,
क्या बताऊं मिट्टी में मिल गई जवानी ,
सरकारें कर रही हैं अपनी मनमानी ,
जनता को मूर्ख समझे जनता है ज्ञानी ,
भूल गए आज़ादी के उस वरदान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से
फ़िल्मी सितारे करोड़ों में कमाते भाई ,
हवाई जहाज़ों में घूमें इतनी है कमाई ,
वो बच्चा भला किसे सुनाए अपना दुखड़ा ,
चुराता पकड़ा जाये जो रोटी का टुकड़ा ,
देखने वाला होता है उसका मासूम मुखड़ा ,
कोई तो हल बता मौला यशु जान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से
यशु जान ( प्रसिद्द लेखक और असाधारण विशेषज्ञ )
संपर्क : - 9115921994
यशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं । उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं। उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं | उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पे हैं |उनकी एक पुस्तक 'उत्तम ग़ज़लें और कविताएं' के नाम से प्रकाशित हो चुकी है | आप जे . आर . डी . एम् . नामक कंपनी में बतौर स्टेट हैड काम कर रहे है और एक असाधारण विशेषज्ञ हैं |उनको अलग बनाता है उनका अजीब शौंक जो है भूत-प्रेत से संबंदित खोजें करना,लोगों को भूत-प्रेतों से बचाना,अदृश्य शक्तियों को खोजना और भी बहुत कुछ | उन्होंने ऐसी ज्ञान साखियों को कविता में पिरोया है जिनके बारे में कभी किसी लेखक ने नहीं सोचा,सूफ़ी फ़क़ीर बाबा शेख़ फ़रीद ( गंजशकर ), राजा जनक,इन महात्माओं के ऊपर उन्होंने कविताएं लिखी हैं |
यशु जान ( प्रसिद्द लेखक और असाधारण विशेषज्ञ )
संपर्क : - 9115921994