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Nalinee
Poems
Sep 2020
ख़रीद लो मैडम
फटे होंठ की लकीरें
या कपड़ों में पैबंद ज़्यादा थे?
फिर भी, लाल बत्ती सी चमक आंखों में थी।
बोली में तेज़ी, " ख़रीद लो मैडम "
या मजबूरी ज़्यादा थी?
फ़िर भी, बेचने की कला बड़ी अद्भुत थी।
बेरंग दिनों को बदलने की कोशिश थी,
सामने रंगीन पर्दे सी ज़िन्दगी थी,
पर टिकट उसके लिए, महंगी थी।
#hindi
#poor
#poverty
#hardwork
Written by
Nalinee
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