काश उस दिन उसका भी कोई भाई होता, आज वो सितारा हमारे बीच ज़िंदा होता। काश कोई उसे जाकर बचा लेता, कम से कम उसका तो ख़ून न बहता।
नरभक्षी भेड़ियों ने ली थी उसकी जान, छोड़ा था उसे वहीं तड़पता, लहूलुहान। चिल्लाती रही वो उसी जगह पर, न जाने कितने ही जुल्म हुए थे उस पर।
नारी को निर्वस्त्र करने का परिणाम – इस भूमि ने महाभारत देखा था। धिक्कार है ऐसे समाज पर – उसी भूमि ने आज यह अपराध देखा था।
जल रही हैं मोमबत्तियां शोक व्यक्त करने, आंदोलन कर रहे हैं लोग और दे रहे हैं धरने। क्या इस बार होगा उन दरिंदों पर कठिन शासन, या फिर एक बार उभरेगा एक नया दुःशासन?