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Poems
Mar 2019
अजब गजबका जादुसी दुनीया
अजब गजबका जादुसी दुनीया ——२
जाने रब कहाँ खो गया । रंग बहुत देखिँ हँे मैने यहाँ
मे सतके खोजमे निक्ला ——२
हे छत बेगरके दिवारेँ ——२
कही काली धनकी हेँ महेफिल । हे नङगा शिर कही खाली
कही नङगा बन्ताहे खुवाइसे । अजब गजबका जादुसी दुनीया
हे खाली पेटेके दिन दुःखी ——२
कही दान लेतँे हँे फजुलमे । हे प्यासी गला कही सुकी
कही सराबकी हे बारिसे । अजब गजबका जादुसी दुनीया
हे नन्हा उठाता बोझ भारी ——२
कही बढे सब बेकाम हे । देखा प्यारका हँे साजिसे
कही दिवाने पहेनते हँे हडकडी । अजब गजबका जादुसी दुनीया
हे गुमराह जन यहाँ ——२
कहीँ लिन हेँ कोइ तपमे । देखा काडोका बनी सिमाए
कहीँ फुल्ता गुलाब वागमे । अजब गजबका जादुसी दुनीया
देखा एकताके कइँ नारे ——२
कही मारा मारी हँे भाइयोमे । लगा चेतना हे यहा कमी ——२
अजब गजबका जादुसी दुनीया । मे सत के खोजमे निक्ला
अजब गजबका जादुसी दुनीया ——३
Genre: Gazal
Theme: The Perception || The Examined Life | The Experience
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Written by
Mystic Ink Plus
M/Nepal
(M/Nepal)
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