आज़ादी तोह हमें मिल गयी है अंग्रेज़ो से, अब अपनो से बगावत का वक़्त आ चला हैं, मुख पे झूठी हँसी और आँसू पीके घटकने का आज अंतिम क्षण आ गया हैं, चोटें बोहत हैं शरीर पे, पर दिल पे लगी इस चोट पे मल्हम लगाने का समय अब आया हैं, चूँ ना निकलती मेरे मुँह से, पर अब अपने लिए खड़े होने और इंसाफ की लड़ाई लड़ने का युग आगया हैं, चूड़ियों में बंधी बेड़ियो को तोड़ने का ऐतिहासिक कल अब शुरू हो चुका हैं ।।