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Jul 2019
नए रंग
नए संग
नई तरंग
नई  उमंग
कभी रुलाये
कभी  हंसाये
कभी छलावा
कभी भुलावा
कभी दिखावा
कभी मिलावा
कई छोड़ जाते
जोड़ तोड़ आते
कहीँ मोड़ आते
गठजोड़ हो जाते
कहीं मिलते धोखे
कहीँ  यार अनोखे
कभी गुलज़ार होती
कभी ख़ार ख़ार होती
जरा सी सुलझ जाती
फिर और उलझ जाती
कभी हम मोहताज़ होते
कभी फिर सरताज़ होते
जिंदगी कभी लगती पहेली
ये जिंदगी कितनी है अलबेली
Jayantee Khare
Written by
Jayantee Khare  45/F/Pune, India
(45/F/Pune, India)   
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