तुम्हारे गीत को आवाज़ दूँ या खुद को तुम्हारा गीत बना लूँ मैं जो तेरे होठों से होते हुए सीधे दिल में उतर जाऊं कैसे कह दूँ वो सब अभी जो वैसे कभी न कह पाऊं कैसे बताऊँ तुम्हें कितना तुम्हे मैं चाहूँ धमनियों में जो रक्त प्रवाल्लित स्वर हैं तुम्हे कैसे मैं सुनाऊँ धड़कते दिल की धड़कन में तेरा नाम तुम्हे कैसे मैं सुनाऊँ हर इक सांस में तेरा अहसास तुम्हे कैसे मैं जताऊँ मेरे हर एक अश्क में भी तेरा ही अक्स तुम्हे कैसे मैं दिखाऊँ कैसे बताऊँ तुम्हें कितना तुम्हे मैं चाहूँ कैसे बताऊँ तुम्हें कितना तुम्हे मैं चाहूँ