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Oct 2015
तुम्हारे गीत को आवाज़ दूँ
या खुद को तुम्हारा
गीत बना लूँ मैं
जो तेरे होठों से होते हुए सीधे दिल में उतर जाऊं
कैसे कह दूँ वो सब अभी
जो वैसे कभी न कह पाऊं
कैसे बताऊँ तुम्हें
कितना तुम्हे मैं चाहूँ
धमनियों में जो रक्त प्रवाल्लित स्वर हैं
तुम्हे कैसे मैं सुनाऊँ
धड़कते दिल की धड़कन में तेरा नाम
तुम्हे कैसे मैं सुनाऊँ
हर इक सांस में तेरा अहसास
तुम्हे कैसे मैं जताऊँ
मेरे हर एक अश्क में भी तेरा ही अक्स
तुम्हे कैसे मैं दिखाऊँ
कैसे बताऊँ तुम्हें
कितना तुम्हे मैं चाहूँ
कैसे बताऊँ तुम्हें
कितना तुम्हे मैं चाहूँ
Its about the unexpressed love ..
Written by
Ananya Nagar  Pune
(Pune)   
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     ---, anonymous, Mahadin, Monika, Sourodeep and 2 others
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