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Jun 2020 · 106
घुटन
Rashmi Jun 2020
क्या हो रहा है
न जान पा रहा है कोई
क्यों खो रहे है सब
ये अजीब सोच जाग रही है
घुटन सी होती है इन दीवारों में
अपने ही घर मै बन्द नहीं रह पाते
तो उन जानवरो का क्या होता होगा
जो अपने घर मै भी नहीं
बस किसी अनजान सी जगह मै नजर बन्द है
जिसे वो जानते भी नहीं
ओर लोग उन्हें यूं देखते है
जैसे वो कोई सामान हो
उनके भी हाल हमारे जैसे ही होंगे
शायद हमसे बत्तर
हम कुछ दिन नहीं झेल पा रहे
वो सालों साल कैसे जीते है
शायद घुटन से ही वो मर जाते है।
Rashmi Apr 2020
मानवता जैसे खत्म हो रही थी
अपने आप मै ही सब नस्ट हो रहे थे
गीता मै कृष्ण ने कहा था...
कलयुग सबसे बड़ा युग होगा
जिसके उपरांत संशार का अंत होगा
पर शायद अभी कलयुग का अंत करीब नहीं
अभी एक जीवाणु से बचने की कोशिश में
लोगो को भावनाए समझ मै आने लगी है
लोग इस बनावटी दुनिया मै पहली बार
शायद अपनों के करीब आ रहे है
अपने आप को शायद पहचान रहे है
शायद सुकून की नींद सो रहे है
पहली बार शायद
पुजारियों या मंदिरों मै रखी पत्थर की मूर्ति की जगह अपने आस पास रहने वाले लोगों पर
अपने साथ रहने वाले लोगों पर भरोसा कर रहे है
इस शंकट की घड़ी मै
आखिरकार लोगो को
एक दूसरे मै ही भगवान देखना चाहिए,
ऐवम एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए
ये बात समझ मै आ जाए
शायद इस जीवाणु की वजह से ही लोग अपने आप को ओर अपनी इस प्रकृति को.....
एवं मानवता को फिर से समझ जाए।
Apr 2020 · 370
Man ki vyaakulta
Rashmi Apr 2020
Kahi kho se gayi hu
Khud ko hi dhundh rahi hu
Bechaini se chaa gayi hai man Mai
Shayad Mai kuch galat Kar rahi hu
Ya shayad sahi karne ki chah hai
Ya kahi ye to nahi sahi ko jaanti hi nahi
Man vichar raha hai
Man ki shaanti kahi kho si gayi hai
N jaane kyo ** raha hai ye
Apne aap par hi dhyaan nahi
N jaane kaha kho Diya hai Maine khud ko hi
Kya ** raha hai ,Kya hona cahiye
Kya sochti hu ,Kya karna cahti hu
Uljhan hi uljhan hai
Kuch samjhne ke kosis Kar rahi hi shayad
Ya shayad khud ko or uljhan Mai daal rahi hu
Kya ** raha hai Kya chah rahi hu
Kuch man vichran karne Mai laga hai
Kuch vyaakul para hai,kuch hissa to iska Jalan sheel ** rakah hai
Kuch apne aap se hi Lara hai
Kuch chin bhinn hone ko taoyaar nahi
Kuch khud ko phir se paane ki aash lagaye baitha hai
Man bas vyaakul ** rakha hai.
Apr 2020 · 77
Pata नहीं
Rashmi Apr 2020
न जाने क्या हुआ
किसके साथ हुआ
कुछ समझ नहीं आता
मै हूं या मेरा शरीर
जो मुझे युं कचोट रहा
कुछ ख्वाहिशें है
कुछ सपने है
जो शायद कहीं खो गए है
उन सपनों को वापस पाने की आशा मै
उन पुराने खंदरो को साफ करने चली हूं
कर के रहूंगी करना है तो
बस दुबारा ध्यान n भटके
करना ही बस खान तो  लिया है
बस ध्यान n भटके ये देखना है।
Rashmi Jan 2020
क्या चाहती हूं,
खुद को समझ नहीं पा रही,
न जाने ये राहे मुझे कहा ले जा रही
भटक सी गई हूं,
खो सी गई हूं,दुनिया की इन अनजान राहो में
खुद से खुद का राबता करने के लिए
बेचैन सी हो गई हूं
खुद से ही उदाश हूं ,खुद की ही खाश हूं
खुद पर भरोसा है भी,पर खुद पर सख़ भी है,
किसी से प्यार करती भी हूं
पर खुद को उसके काबिल बनाने से डरती भी ही
डरती ही की ,कहीं खुद को ना खो दू,...
खुदको उसके काबिल बनाने मै
उसे छोड़ने की भी हिम्मत नहीं
पर शायद हिम्मत आ गई है अब
बस सही रास्ता मिलने की देर है
बस खुद को पाने की आस है।
Dec 2019 · 81
❤️
Rashmi Dec 2019
My heart temperature is dropping,
What's going on with my heart,
It seems like it just has frozen
What to do...?
Is it that my heart has stopped pumping blood
Or it has given the work to someone else
But at last
I discovered
It had started feeling more..
It should stop
How could it be so feeling full...
In this practical world how could it be
So emotional..
I would stop it
It should be stopped
Right now,
STOP!
STOP!
STOP!
being foolosh,
Feeling many things
It's too much
Just STOP!!
Rashmi Dec 2019
डर का एहसास हो रहा है
कुछ तो खोता जा रहा है
समझ नहीं आ रहा क्या पर कुछ तो
कैसे ढूंढू उस चीज को
कैसे खोने से रोकूं उस चीज या एहसास को
जो कया है मै जानती ही नहीं
कुछ तो छूट रहा है कुछ तो खो रहा है
न जाने क्या है
कैसा है,क्यों है
पर कुछ तो
क्यों कुछ खो सा रहा है
न जाने क्या है को मुझे रुआशा कर रहा है।
Rashmi Dec 2019
इतना सब होने के बावजूद भी...
कैसे हीमत करती हो किसी को अपना मानने की
किसी को अच्छा समझने की...
किसी पर भरोसा करने की
इन्सानियत का सरे आम खून होने पर...
आखिर कैसे....
कैसे खुद को समझाती हो..की दुनिया अच्छी है
यहां के लोग अच्छे है...
वापस कैसे दूसरो से प्यार कर पाती हो...
उन्हें प्यार दे पाती हो
एक बार तुम सोचो तो घीन तुम्हे भी आयी थी न..
इस दुनिया के लोगो से...इनके मन मै पल रहे सडयंतरो से....फिर कैसे...
आखिर कैसे तुम....
प्यार करने की उन्हें छूने तक की हिम्मत रखती हो..
माना कि तुम एक मा हो....
अपने बच्चे को बिना छुए...बिना पुचकारे रहना भी मुश्किल है...
पर तुम एक औरत भी तो हो
उसका क्या...आखिर कैसे....
माना कि एक पत्नी हो....
तुम्हारे पति से तुम्हे मोहब्बत हो सकती है....
पर क्या तुम्हे उसे देखकर डर नहीं लगता...
उसे देखकर तुम्हारा दिल नहीं दहेलता...
क्या ये याद नहीं आता कि वो भी एक मर्द है....
आखिर कर तुम एक औरत हो....
कैसे इतना सब्र,इतना इंतज़ार,इतना भरोसा लाती हो..
कैसे तुम अपने आप को संभालती हो....
आखिर कैसे....
माना कि एक बेटी हो तुम...
अपने अब्बू से लगाव है तुम्हे...
जान छिड़कती हो उनपे
पर क्या ...तुम्हे अनपर इतना भरोसा करना सही है!
जिस तरह औरतों को नोचा, चिथोरा जा रहा है...
आखिर कैसे तुम....
कैसे तुम किसी आदमी पर इतना भरोसा रखती हो...
भरोसे का जहा रोज़ खून हो रहा है...
वहां आखिर कैसे तुम इतना भरोसा दिखाती हो....
कैसे इतना प्यार बरसाती हो...
कुछ भी कहो.....
पर आखिर तुम भी एक औरत हो...
इतना भरोसा ओर प्यार कहा से लाती हो....
आखिर कैसे इस दुनिया मै रोज़ उठकर
भरोसा ओर प्यार डालने की हिम्मत लाती हो.....
औरत क्या तुम सच मै इतनी बलशाली हो!।
अपने आप को हथियार बनाओ।
Rashmi Nov 2019
कुछ परेशान सी हूं....
बताना चाहती हूं ये अपने करीबी लोगों को
अपने आप से परेशान हूं .....
जहन मै बस ये ख्याल आता है
आखिर क्यों हूं
क्या कर रही हूं यहां
क्या सिर्फ वायु बर्बाद कर रही हूं
या दूसरो पे बोझ बनी हूं
पूछना चाहती हूं सब से
क्या बोझ लगती हूं आपको
न जाने कहां खो सी गई हूं
कभी कभी लगता है
गलत जगह पर आकर फस गई हूं
मन करता है मां को बिठाऊं
ओर पुछु ... क्यों हूं मै
जब किसी लायक नहीं तो क्यों
भगवान जी को आप नहीं कहती कि उठा ले इसे
भगवान ही ही सच बात दे शायद
क्या हूं ओर क्यों खो गई हूं
न जाने क्या चलता है दिमाग मै
क्यों इतना सोचने के बाद भी
एक फैसले के लिए सबकी राए लेनी पड़ती है
खुद का क्या कुछ नहीं है मेरा
खुद की कोई पसंद या अष्टित्व नहीं है क्या
खुद क्या हूं....
सच मै मां बहुत खोई सी हूं मै
लगता है बस मर रही हूं
डर लगता है अपने आप से
दुनिया को तो छोड़ो...उससे तो नहीं डरती
पर अपने आप से डर लगता है
ओर मा जब तुम ओर पापा भी साथ नहीं देते न
तो बस यही सवाल आता है
क्या मै इतनी गलत हूं
कुछ सही नहीं कर सकती
क्या इतनी बुरी हूं मै
हमेशा अपने आप को ही कोष्टी हूं
पर क्या करू
आप से भी कभी कह नहीं पाती
क्योंकि डरती हूं आपके डर से
ओर आप समझ नहीं पाती या शायद मै समझा नहीं पाती
जो भी है बस मै आपको अपने दिल की बात नहीं बता पाती
दुख होता है मा रोना आता है
पर नहीं रोती,बस थोड़ी हिम्मत जुटाई है
कुछ दिन ओर जुटा कर बस
सबसे दूर चली जाऊंगी
चिंता मत कर मां
तुझे तकलीफ ना पहुंचाऊंगी
Oct 2019 · 213
दर्दे दिल
Rashmi Oct 2019
हमने ये आज जान लिया
दुनिया मै कोई न देगा हमारा साथ,
हमने तो सोचा था,है हमारे को खास
जिन्हे करना चाहते थे अपने साथ
चाहते थे हर सुबह जिनका दीदार
करना चाहते थे जिनसे ऐतवार
जिनको देना चाहते थे दिल अपना
जिनसे की थी वाफा हमने
सहेलियां जानती थी जिन्हे
हम चाहते थे जिन्हे
सोचते थे है वो हमारे साथी
और क्या ही प्रशंसा करे उनकी
जिनके नाम से सारे मंत्र सुरु होते है
ऐसी बेवफाई के उन्होंने
गए थे किसी गलती के माफ़ी मांगने
उन्होंने कुछ और ही समझ लिया
थमा दिया किसी और के हाथो मै
समझ कर हमारी माफ़ी को कुछ और
फशा दिया एक धर्मसंकट मै
फिर भी हमारा दिल है क्या
माना नहीं बिना आपके
बिना आपकी आवाज़ सुने
आप पे फिद्दा ऐसे हुए की
गाली भी अगर आपको दे
तो दर्द हमारे दिल को होता है।
Rashmi Oct 2019
हम देना चाहते है उन्हें,सब कुछ
उनके मांगने से पहले
चाहते है की दुनिया की हर खुशी लाकर
रख दे उनके चरणों में
क्या करे हम इतने अनजान थे
दुनिया क्या है इसमें जीना कितना मुश्किल है
ये तो हमने आज जाना
मेहनत किस परिंदे का नाम है
ये आज पहचाना
सोचते है कैसे करे मेहनत
कैसे रखें दुनिया के खुशियां उनके चरणों मै
हमे खुश देखकर जो हो जाते है खुश
कैसे हम उन्हें खुश करे
जो हम चाहते है वो हमेशा होता नहीं है
हम क्या करे ऐसे निकम्मे बने परे है
हमारी जीत देखकर जो होते है खुश
हमारी इज्जत कोई करे तो उन्हें होता है गर्व
हम चाहे जो करे उनका कर्ज कभी न चुका पाएंगे
ऐसा कर्ज जो एक फूल के सुगंध का होता है
ऐसी ध्वनी का कर्ज जो एक बासुरी का होता है
हम दबे है कर्जो तले कोई तो हमे उठा लो
बक्ष दी हमे या दे दो थोड़ी हिम्मत
जो चाहे वो पा ले हम,
उनकी खुशी दिलादे हम
इसलिए मौला से दुआ करते है
इतनी से रहमत कर दे
दिल कि ये इतनी सी हसरत पूरी कर दे।
Rashmi Oct 2019
कैसे करे आपको ये बाया
कितनी चाहत है दिल मै
सबसे दूर भागते है
फिर न जाने क्यों
आपके अजीज बनना चाहते है
जवाने को ये भी दिखाना चाहते है
दिल हमारा कोई खिलौना या तमका नहीं
जो कोई चुरा ले ,या चकनाचूर कर दे
हमारा दिल इतना भी नाज़ुक नहीं
फिर क्यों ये तुम्हारे सामने झुकता है
हर बार तुम्हारी सिर्फ एक आवाज़ से
अपना सारा धेर्य खो देता है
हर बार अपने आप से एक वादा करती हुं
अब नहीं जाऊंगी
उस दिलतोर,अहसानफरामोश इंसान की गली
पर क्या करे
ये दिल इतना कमबख्त है
खुद से वायदा कर खुद है तोड़ता है
उस इंसान के बातो के
मोषिकी मे डूब कर बहता चला जाता है....
Oct 2019 · 179
सब या मैं
Rashmi Oct 2019
सभी व्यस्त है अपने कामों मै
या अपने दोस्तो मै
मै है क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हूं
इन गैर सोच मै
शायद मुझे भी अपनी ओर रूख मोरना चाहिए
लोगो को छोर अपने आप को देखना चाहिए
क्यों लोगो की सुनू
खुद की सुनने की एक कोशिश भी ना करू
पता नहीं  क्या हो गई हूं
खुद मै हि खो गई हूं
क्या चाहती हूं खुद से
ये भी ना जानू
हर रोज़ तय करती हूं
अपने ऊपर ध्यान दूंगी
लोगो को छोड़ो उनका क्या है
आज ये कहेंगे तो कल कुछ और
तो अच्छा है न खुद मै खो जाऊं
इस फरबी दुनिया की भीड़ मै खोने से
ज्यादा बेहतर है खुद खुद मै खो जाऊं
रोजाना कोशिश करती हूं
खुद मै रहूं,खुद से रहूं
पर नहीं होता
क्या करू
पर कोई ना कोशिश जारी रखी है
देखती हूं कब तक खुद से हारती हूं
खुद से जीतने के ज़िद्द
बस कायम रखनी है।
Oct 2019 · 144
एक कोशिश
Rashmi Oct 2019
लग रहा है खो सी गई हूं
कुछ समझ ही नहीं आ रहा
बस लग रहा है सबकुछ खत्म है
क्यों हूं फिर मै यहां समझ नहीं आ रहा है
तनहा हूं सच मै
या भीड़ मै खो गई हूं
डर लग रहा है यहां
ये बात किस्से कहूं
जो बचपन मै डर निकलते थे
आज उन्हें पता है नहीं है
किस हाल में हूं मै
सच मै कहीं खो गई हूं
समझ नई आता क्यों हूं यहां....
पर कोई तो वजह होगी न
बेवजह तो नहीं हूं यहां
अब बहुत जगहों पर पढ़ा है
बेवजह तो कुछ नहीं होता
तो क्या करू
छोर दू सबकुछ वक्त के हाथो
ताकि वक़्त खेल जाए मेरे साथ
या फिर खोजी खुद को....
पर कहीं ये भी पढ़ा था
की जिंदगी अपने आप को बनाने का नाम है
ना के खोजने का नाम....
अब तो बस ये सोच रही हूं
करती हूं यार इन सब
लिखी हुई पढ़ी हुई बातो को
थोड़ा खुद सोचकर देखती हूं
शायद जिंदगी थोड़ी और आसान हो जाए
कोशिश करती हूं फिर
शायद खुदा ने कुछ सोचा है
इसीलिए सांस की डोर अभी तक काटी नहीं है
चल रही है ये सांसे
तो खुदा के इस मेहरबानी में दी गई
इन सांसों को इस्तेमाल करते है
क्या पता कब ये सांसे छूट जाए
और हम हमेशा के लिए खो जाए
तो संसो के खोने से पहले खुद को पाने की
एक कोशिश तो बनती है न
चलो एक ही करते है
पर कुछ तो करे बिना कुछ किए जाने से बेहतर है।
बेहतर सलाह है
लिखी पढ़ी बातो पे ना सोचे
खुद के मस्तिष्क का प्रयोग करे।
Sep 2019 · 255
भाग-२
Rashmi Sep 2019
मुझे ये पता है हम कभी साथ नहीं हो सकते
पर दूर जाने के ज़िद भी ना थी मेरी
चाहती थी तुझे अपनी जिंदगी में
क्योंकि इस झूठी दुनिया मे
सच्चा सा अपना सा लगता था तू,
पर मै इतनी खुदगर्ज नहीं होना चाहती
कि मेरी खुशी के लिए
तू अपने आप को रोके
तुझे दुखी करू अपने लिए
कभी नहीं चाहूंगी ऐसा
बस इसलिए दूर करती हूं
तुझे अपने आप से
तुझे दुखी करने का
कोई इरादा नहीं होता मेरा
बस और दर्द ना दू यही कोशिश करती हूं
इसलिए तो तुझसे गैरो सा
बर्ताव करती हूं
Sep 2019 · 103
पसंद है -१
Rashmi Sep 2019
मुझे न तेरी बातें सुनना पसंद है
मै कभी कहती नहीं
पर तेरा ओरो से ज्यादा
मुझमें दिलचस्पी दिखाना मुझे पसंद है
किसी और के अगर तारीफ भी करू
' तो भी तुझे फर्क नई परता'
ये तेरा ऐसा स्वभाव मुझे पसंद है
किसी चीज में गलती चाहे मेरी हो
पर फिर भी तू झुकता है
वापस मुझसे बात करता  है
ये तेरा अहंकार मेरे सामने न रहना
मुझे पसंद है....
मुझसे झगड़ना तुझे पसंद है
फिर जब गुस्सा जाऊ तो
तेरा वापस मनाना मुझे पसंद है
तू जो झूठ बोलते हुए
सारि सच्चाई मेरे सामने बोल देता है न
तेरी ये बात मुझे पसंद है
तू सबके सामने तो समझदार बनता है
पर मेरे सामने जब तू
छोटा सा बच्चा बनकर
सबकुछ सच सच उगल देता है न
तो तेरे अंदर का वो बच्चा मुझे पसंद है।
Sep 2019 · 154
भ्रमित
Rashmi Sep 2019
खो सी गई हूं कहीं
अपने आप को ज़ाहिर नहीं करना चाहती
पर ज़ाहिर किए जा रही हूं
खुद का संयम जैसे खो सा दिया है
खुद से हि खफा रहती हूं
ऐसा नहीं कि पहले खफा न थी खुद से
पर अब तो कभी दील्फेक,तो कभी उग्र
तो कभी क्या ही  होके घूम रही हूं
समझ रही हूं
ठोकर लग सकती है,इसलिए तो
थोड़ा संभालने की कोशिश भी कर रही हूं
दूसरो का सहारा और लत दोनों
छोड़ने की हीमाकत करती हूं
चलो एक कोशिश ही करती हूं
खुद को सुधारने की
खुद से खुद को मिलाने की
कुछ लोगो कि उम्मीदो पर खड़ा उतरने की
और कुछ की उम्मीद तोड़ने की...
Rashmi Sep 2019
खुद को पाना है
तुम्हे पाने से पहले
पर तुम्हे पाकर खुद को खोना नहि है
क्योंकि जानती हूं
दिमाग कितना ज्यादा लगाया है
खुद को हासिल करने में
तो इतनी मेहनत के बाद खुद को खो दू...
ना,कभी नहीं
तुम्हे पाने की चाह है
पर खुद को ना खोने कि ज़िद भी है
आखिर इतनी मेहनत लगी है जनाब...
इसे ऐसे व्यर्थ तो नहीं जाने दूंगी
तो अगर तुम्हे कुछ कष्ट हो
मुझे मेरे जैसा रहते हुए चाहने में
तो जनाब तुम आजाद हो
नहीं पूछूंगी तुमसे क्यों नहीं हो साथ मेरे
क्योंकि गुरूर होगा मुझे खुद के साथ रहने में
तुम भी खुश रहना मै भी मज़े में रहूंगी
अकेली मत समझना
क्योंकि मै खुद के साथ रहूंगी
अपनी पहचान के साथ रहूंगी...
अपने आप को खो कर,तुम्हे पाना
ना, ये मेरे दिल को नहीं है गवारा।
Sep 2019 · 143
संदेह
Rashmi Sep 2019
चुप सी क्यों हूं?
ये पूछना अब बेफिजुल सा लगता है
शब्दों को ना समझने वाली दुनिया के आगे
अपने शब्दो को रखना भी बिफिजुल लगता है
लोग कहते है बिखर जाओगी अकेले....
तो सोचा चलो
मेरे शब्दो को ना समझ पाने वाली दुनिया को दिखाए
अकेले ही निखर पाऊंगी मैं
फिर सोचा के इस दुनिया को क्यों दिखाए
खुद को देखते है और दखते है जो देखना दिखाना है
ये दुनिया ना पहले समझी थी और ना शायद समझेगी
तो क्यों ही अपना समय इन पर खराब करे
वैसे भी समय खराब करने के लिए बहुत कुछ है
इस उबाऊ सी दुनिया पे क्यों खराब करे अपना समय
इससे अच्छा कुछ मस्ती भरे पल ही बना ले
अकेले है रहा कर।
Rashmi Sep 2019
भीड़ में ऐसी खोई हूं
खुद कि पहचान खोती जा रही हूं
रातों को जागना राहत देता है
अकेलापन कुछ ज्यादा ही करीब आ रहा है
शायद"अकेले रहना है मुझे"
मेरी इस ज़िद ने अकेला रखा है मुझे
फिर भी बहुत कुछ अधूरा सा लगता है
अभी बहुत से सपने है इस दिल मै
उन्हें पूरा करने के हीमत हर बार जुटाती हूं
फिर न जाने जवाने की या अपनी ही
ठोकर से उस हिम्मत के पहाड़ को गिरा देती हूं
दिखाती  हूं सबको की बहुत हिम्मत है मुझमें
न जाने किस्से ये झूठ कहती हूं
सब से,दूसरो से या फिर सब मै शामिल खुद से
न जाने क्या चाहती हूं
खुद से ही खुद को खोती जा रही हूं
अपने आप को खुद ही नई समझ रही हूं
ऑरो से फिर कैसी उम्मीद रखू
जब खुद मेरा मन ही नई जनता क्या चाहता है वो
थक चुकी हूं दुनिया से
पर अब शायद खुद से हार रही हूं मै
फिर भी हर रोज़ उठती हूं
सबसे पहले खुद से मुक़ाबला करने की हिम्मत लाती हूं
फिर बस अपने बिस्तर को छोरकर
दुनिया का रोज़ सामना करती हूं
पर जिस दिन खुद से हारू न
उस दिन हार जाती हूं सब से
तो हर रोज़ अपने आप को हराने मै वक्त बिताती हूं
इसलिए भी शायद खुद को कहीं खोती जा रही हूं।
Sep 2019 · 87
चाह
Rashmi Sep 2019
तुझे भूलने की जो तलब लगानी थी
वो पूरी तरह लग न पाई
तुझे याद करने की जो आदत थी
वो कब सबसे बड़ी तलब बन गई
उसके आगे कुछ सूझा ही नहीं
क्या करू कुछ बुझा भी नहीं
कहना तो था बहुत कुछ तुझसे
पर तूने सुनने का मौका कभी ढूंढा ही नहीं
ऐसे कैसे हो गई हूं इतनी लापरवाह
तेरी चाह ने ऐसा क्या किया
तू तो मुझे चाहता भी नहीं
फिर क्यों ये चाह जगी है मुझमें
जो बुझती ही नहीं।

— The End —