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Rashmi Jun 2020
क्या हो रहा है
न जान पा रहा है कोई
क्यों खो रहे है सब
ये अजीब सोच जाग रही है
घुटन सी होती है इन दीवारों में
अपने ही घर मै बन्द नहीं रह पाते
तो उन जानवरो का क्या होता होगा
जो अपने घर मै भी नहीं
बस किसी अनजान सी जगह मै नजर बन्द है
जिसे वो जानते भी नहीं
ओर लोग उन्हें यूं देखते है
जैसे वो कोई सामान हो
उनके भी हाल हमारे जैसे ही होंगे
शायद हमसे बत्तर
हम कुछ दिन नहीं झेल पा रहे
वो सालों साल कैसे जीते है
शायद घुटन से ही वो मर जाते है।
Rashmi Apr 2020
मानवता जैसे खत्म हो रही थी
अपने आप मै ही सब नस्ट हो रहे थे
गीता मै कृष्ण ने कहा था...
कलयुग सबसे बड़ा युग होगा
जिसके उपरांत संशार का अंत होगा
पर शायद अभी कलयुग का अंत करीब नहीं
अभी एक जीवाणु से बचने की कोशिश में
लोगो को भावनाए समझ मै आने लगी है
लोग इस बनावटी दुनिया मै पहली बार
शायद अपनों के करीब आ रहे है
अपने आप को शायद पहचान रहे है
शायद सुकून की नींद सो रहे है
पहली बार शायद
पुजारियों या मंदिरों मै रखी पत्थर की मूर्ति की जगह अपने आस पास रहने वाले लोगों पर
अपने साथ रहने वाले लोगों पर भरोसा कर रहे है
इस शंकट की घड़ी मै
आखिरकार लोगो को
एक दूसरे मै ही भगवान देखना चाहिए,
ऐवम एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए
ये बात समझ मै आ जाए
शायद इस जीवाणु की वजह से ही लोग अपने आप को ओर अपनी इस प्रकृति को.....
एवं मानवता को फिर से समझ जाए।
Rashmi Apr 2020
Kahi kho se gayi hu
Khud ko hi dhundh rahi hu
Bechaini se chaa gayi hai man Mai
Shayad Mai kuch galat Kar rahi hu
Ya shayad sahi karne ki chah hai
Ya kahi ye to nahi sahi ko jaanti hi nahi
Man vichar raha hai
Man ki shaanti kahi kho si gayi hai
N jaane kyo ** raha hai ye
Apne aap par hi dhyaan nahi
N jaane kaha kho Diya hai Maine khud ko hi
Kya ** raha hai ,Kya hona cahiye
Kya sochti hu ,Kya karna cahti hu
Uljhan hi uljhan hai
Kuch samjhne ke kosis Kar rahi hi shayad
Ya shayad khud ko or uljhan Mai daal rahi hu
Kya ** raha hai Kya chah rahi hu
Kuch man vichran karne Mai laga hai
Kuch vyaakul para hai,kuch hissa to iska Jalan sheel ** rakah hai
Kuch apne aap se hi Lara hai
Kuch chin bhinn hone ko taoyaar nahi
Kuch khud ko phir se paane ki aash lagaye baitha hai
Man bas vyaakul ** rakha hai.
Rashmi Apr 2020
न जाने क्या हुआ
किसके साथ हुआ
कुछ समझ नहीं आता
मै हूं या मेरा शरीर
जो मुझे युं कचोट रहा
कुछ ख्वाहिशें है
कुछ सपने है
जो शायद कहीं खो गए है
उन सपनों को वापस पाने की आशा मै
उन पुराने खंदरो को साफ करने चली हूं
कर के रहूंगी करना है तो
बस दुबारा ध्यान n भटके
करना ही बस खान तो  लिया है
बस ध्यान n भटके ये देखना है।
Rashmi Jan 2020
क्या चाहती हूं,
खुद को समझ नहीं पा रही,
न जाने ये राहे मुझे कहा ले जा रही
भटक सी गई हूं,
खो सी गई हूं,दुनिया की इन अनजान राहो में
खुद से खुद का राबता करने के लिए
बेचैन सी हो गई हूं
खुद से ही उदाश हूं ,खुद की ही खाश हूं
खुद पर भरोसा है भी,पर खुद पर सख़ भी है,
किसी से प्यार करती भी हूं
पर खुद को उसके काबिल बनाने से डरती भी ही
डरती ही की ,कहीं खुद को ना खो दू,...
खुदको उसके काबिल बनाने मै
उसे छोड़ने की भी हिम्मत नहीं
पर शायद हिम्मत आ गई है अब
बस सही रास्ता मिलने की देर है
बस खुद को पाने की आस है।
Rashmi Dec 2019
My heart temperature is dropping,
What's going on with my heart,
It seems like it just has frozen
What to do...?
Is it that my heart has stopped pumping blood
Or it has given the work to someone else
But at last
I discovered
It had started feeling more..
It should stop
How could it be so feeling full...
In this practical world how could it be
So emotional..
I would stop it
It should be stopped
Right now,
STOP!
STOP!
STOP!
being foolosh,
Feeling many things
It's too much
Just STOP!!
Rashmi Dec 2019
डर का एहसास हो रहा है
कुछ तो खोता जा रहा है
समझ नहीं आ रहा क्या पर कुछ तो
कैसे ढूंढू उस चीज को
कैसे खोने से रोकूं उस चीज या एहसास को
जो कया है मै जानती ही नहीं
कुछ तो छूट रहा है कुछ तो खो रहा है
न जाने क्या है
कैसा है,क्यों है
पर कुछ तो
क्यों कुछ खो सा रहा है
न जाने क्या है को मुझे रुआशा कर रहा है।
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