Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Rashmi Oct 2019
कैसे करे आपको ये बाया
कितनी चाहत है दिल मै
सबसे दूर भागते है
फिर न जाने क्यों
आपके अजीज बनना चाहते है
जवाने को ये भी दिखाना चाहते है
दिल हमारा कोई खिलौना या तमका नहीं
जो कोई चुरा ले ,या चकनाचूर कर दे
हमारा दिल इतना भी नाज़ुक नहीं
फिर क्यों ये तुम्हारे सामने झुकता है
हर बार तुम्हारी सिर्फ एक आवाज़ से
अपना सारा धेर्य खो देता है
हर बार अपने आप से एक वादा करती हुं
अब नहीं जाऊंगी
उस दिलतोर,अहसानफरामोश इंसान की गली
पर क्या करे
ये दिल इतना कमबख्त है
खुद से वायदा कर खुद है तोड़ता है
उस इंसान के बातो के
मोषिकी मे डूब कर बहता चला जाता है....
Rashmi Oct 2019
सभी व्यस्त है अपने कामों मै
या अपने दोस्तो मै
मै है क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हूं
इन गैर सोच मै
शायद मुझे भी अपनी ओर रूख मोरना चाहिए
लोगो को छोर अपने आप को देखना चाहिए
क्यों लोगो की सुनू
खुद की सुनने की एक कोशिश भी ना करू
पता नहीं  क्या हो गई हूं
खुद मै हि खो गई हूं
क्या चाहती हूं खुद से
ये भी ना जानू
हर रोज़ तय करती हूं
अपने ऊपर ध्यान दूंगी
लोगो को छोड़ो उनका क्या है
आज ये कहेंगे तो कल कुछ और
तो अच्छा है न खुद मै खो जाऊं
इस फरबी दुनिया की भीड़ मै खोने से
ज्यादा बेहतर है खुद खुद मै खो जाऊं
रोजाना कोशिश करती हूं
खुद मै रहूं,खुद से रहूं
पर नहीं होता
क्या करू
पर कोई ना कोशिश जारी रखी है
देखती हूं कब तक खुद से हारती हूं
खुद से जीतने के ज़िद्द
बस कायम रखनी है।
Rashmi Oct 2019
लग रहा है खो सी गई हूं
कुछ समझ ही नहीं आ रहा
बस लग रहा है सबकुछ खत्म है
क्यों हूं फिर मै यहां समझ नहीं आ रहा है
तनहा हूं सच मै
या भीड़ मै खो गई हूं
डर लग रहा है यहां
ये बात किस्से कहूं
जो बचपन मै डर निकलते थे
आज उन्हें पता है नहीं है
किस हाल में हूं मै
सच मै कहीं खो गई हूं
समझ नई आता क्यों हूं यहां....
पर कोई तो वजह होगी न
बेवजह तो नहीं हूं यहां
अब बहुत जगहों पर पढ़ा है
बेवजह तो कुछ नहीं होता
तो क्या करू
छोर दू सबकुछ वक्त के हाथो
ताकि वक़्त खेल जाए मेरे साथ
या फिर खोजी खुद को....
पर कहीं ये भी पढ़ा था
की जिंदगी अपने आप को बनाने का नाम है
ना के खोजने का नाम....
अब तो बस ये सोच रही हूं
करती हूं यार इन सब
लिखी हुई पढ़ी हुई बातो को
थोड़ा खुद सोचकर देखती हूं
शायद जिंदगी थोड़ी और आसान हो जाए
कोशिश करती हूं फिर
शायद खुदा ने कुछ सोचा है
इसीलिए सांस की डोर अभी तक काटी नहीं है
चल रही है ये सांसे
तो खुदा के इस मेहरबानी में दी गई
इन सांसों को इस्तेमाल करते है
क्या पता कब ये सांसे छूट जाए
और हम हमेशा के लिए खो जाए
तो संसो के खोने से पहले खुद को पाने की
एक कोशिश तो बनती है न
चलो एक ही करते है
पर कुछ तो करे बिना कुछ किए जाने से बेहतर है।
बेहतर सलाह है
लिखी पढ़ी बातो पे ना सोचे
खुद के मस्तिष्क का प्रयोग करे।
Rashmi Sep 2019
मुझे ये पता है हम कभी साथ नहीं हो सकते
पर दूर जाने के ज़िद भी ना थी मेरी
चाहती थी तुझे अपनी जिंदगी में
क्योंकि इस झूठी दुनिया मे
सच्चा सा अपना सा लगता था तू,
पर मै इतनी खुदगर्ज नहीं होना चाहती
कि मेरी खुशी के लिए
तू अपने आप को रोके
तुझे दुखी करू अपने लिए
कभी नहीं चाहूंगी ऐसा
बस इसलिए दूर करती हूं
तुझे अपने आप से
तुझे दुखी करने का
कोई इरादा नहीं होता मेरा
बस और दर्द ना दू यही कोशिश करती हूं
इसलिए तो तुझसे गैरो सा
बर्ताव करती हूं
Rashmi Sep 2019
मुझे न तेरी बातें सुनना पसंद है
मै कभी कहती नहीं
पर तेरा ओरो से ज्यादा
मुझमें दिलचस्पी दिखाना मुझे पसंद है
किसी और के अगर तारीफ भी करू
' तो भी तुझे फर्क नई परता'
ये तेरा ऐसा स्वभाव मुझे पसंद है
किसी चीज में गलती चाहे मेरी हो
पर फिर भी तू झुकता है
वापस मुझसे बात करता  है
ये तेरा अहंकार मेरे सामने न रहना
मुझे पसंद है....
मुझसे झगड़ना तुझे पसंद है
फिर जब गुस्सा जाऊ तो
तेरा वापस मनाना मुझे पसंद है
तू जो झूठ बोलते हुए
सारि सच्चाई मेरे सामने बोल देता है न
तेरी ये बात मुझे पसंद है
तू सबके सामने तो समझदार बनता है
पर मेरे सामने जब तू
छोटा सा बच्चा बनकर
सबकुछ सच सच उगल देता है न
तो तेरे अंदर का वो बच्चा मुझे पसंद है।
Rashmi Sep 2019
खो सी गई हूं कहीं
अपने आप को ज़ाहिर नहीं करना चाहती
पर ज़ाहिर किए जा रही हूं
खुद का संयम जैसे खो सा दिया है
खुद से हि खफा रहती हूं
ऐसा नहीं कि पहले खफा न थी खुद से
पर अब तो कभी दील्फेक,तो कभी उग्र
तो कभी क्या ही  होके घूम रही हूं
समझ रही हूं
ठोकर लग सकती है,इसलिए तो
थोड़ा संभालने की कोशिश भी कर रही हूं
दूसरो का सहारा और लत दोनों
छोड़ने की हीमाकत करती हूं
चलो एक कोशिश ही करती हूं
खुद को सुधारने की
खुद से खुद को मिलाने की
कुछ लोगो कि उम्मीदो पर खड़ा उतरने की
और कुछ की उम्मीद तोड़ने की...
Rashmi Sep 2019
खुद को पाना है
तुम्हे पाने से पहले
पर तुम्हे पाकर खुद को खोना नहि है
क्योंकि जानती हूं
दिमाग कितना ज्यादा लगाया है
खुद को हासिल करने में
तो इतनी मेहनत के बाद खुद को खो दू...
ना,कभी नहीं
तुम्हे पाने की चाह है
पर खुद को ना खोने कि ज़िद भी है
आखिर इतनी मेहनत लगी है जनाब...
इसे ऐसे व्यर्थ तो नहीं जाने दूंगी
तो अगर तुम्हे कुछ कष्ट हो
मुझे मेरे जैसा रहते हुए चाहने में
तो जनाब तुम आजाद हो
नहीं पूछूंगी तुमसे क्यों नहीं हो साथ मेरे
क्योंकि गुरूर होगा मुझे खुद के साथ रहने में
तुम भी खुश रहना मै भी मज़े में रहूंगी
अकेली मत समझना
क्योंकि मै खुद के साथ रहूंगी
अपनी पहचान के साथ रहूंगी...
अपने आप को खो कर,तुम्हे पाना
ना, ये मेरे दिल को नहीं है गवारा।
Next page