कितनी मिन्नतों का ये प्यार, काश! सदा रहती वो साथ,
कसमो से इसके खेल हजार, कुछ अस्क गिरे थे कई बार
मेरे लिए एक ढलता आवाम, मुझपर ये तेरा प्यार,
महरूमियत से सजी एक शाम, मेहेक में तेरे स्पर्श हजार,
ना जानी मैंने तेरी संगति, नयनों से तेरे, मेरा साथ,
नसीब की ये बातें, नटखट अदाओं से तेरी पहचान, .
चली थी तुम कभी साथ, चंचल नूपुर की झंकार,
चाहत में तेरी चहकता एहसास, चेहरे को चूमती तेरी हर बात,
हाथो में सरकता हुआ हाथ, तेरी हसी की वो यादाश्शत,
हमसफ़र नहीं, ना रही हमदम, हसरतों की वो अधूरी प्यास,
जज्बात गिरफ्तार हुए आज, जबरदस्ती की धड़कन से आती आवाज़,
जब होगी रात फरमाइशो की, जकरन से तेरी रुकसत होगा मेरा प्यार।।