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कभी ऐसा भी वक्त आता है जब रुकता है सब काम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

जो अब बंद है, वह चल पड़ेगा
अंदर जो भी है, वह निकल पड़ेगा
बढ़ती हुई रफ्तार को मिल गया आराम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

अटकते हैं कम ताकि सांस ले पाए
पीछे छूटे वक्त को हम पास ले पाए
देर होगी हमको छूने के लिए मुकाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

वापिस काम शुरू हो तो शायद बदल सकता है रास्ता
वक्त और अवसर है, तो करे प्रभु की आस्था
तगड़े समय में न चले डॉलर, न दिर्हाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम
अर्जित करेंगे धन-दौलत, अर्जित करेंगे ज्ञान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

लेने वाला है आम आदमी, लेने वाला है फरिश्ता
लेने वाला दे तुझे पहचान और प्रतिष्ठा
इसका भोगी है सभी, जानवर या इनसान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

कोई कहकर आता है, कोई आता है अनकहा
कोई दाले फर्क न खास, कोई पहुंचाए कहां-कहां
यह जांचे योग्यता आपकी, यह जांचे ईमान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान

कभी लगे यह सीधी चाल, कभी लगे यह दांव
साथ में लाए उत्साह नई, साथ में लाए तनाव
"मुझसे ज़रूर होगा", इससे भर लो अपने कान
अर्जित करेंगे सब कुछ, जब मुट्ठी में हो इम्तिहान
भाव का मैंने फल एक लाया
उसका मैंने रस है निकाला
रस से मैंने स्याही बनाई
उसी से एक कविता लिख डाला

तुकबंदी का मिर्च मसाला
अच्छी तरह से इसे कुटा मेरे भाया
महक जो उसका कमाल पाया
अंदर तक मैंने उसको है मिलाया

कल्पना में जो रंग भरा है
उसी रंग से रंग दे पन्नों को
स्वाद है डाला इसने ऐसा
जलन हो जाए मीठे गन्नों को

ये सब लेकर तुम भी एक दिन
लिखो रचनाएं बहुत सारे
कविता कैसे बनती है यह
समझाया मैंने तुम्हे प्यारे
तेरे दिल में मैं आऊं बन कर मेहमान
तू मेरी चांद और मैं तेरा चंद्रयान
Girlfriend के सामने मेरी बजाए मेरे दोस्त
आंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्त

दुश्मनो के सामने अपने भाई बन जाते हैं
मेरे मां-बाप के सामने वे गाय बन जाते हैं
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे गाए मेरे दोस्त
आंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्त

जन्मदिन के अवसर पर तशरीफ सूझा देते हैं
मन की सारी ज्वाला एक आलिंगन से बुझा देते हैं
पीकर टल्ली हुआ तो घर पहुंचाए मेरे दोस्त
आंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्त
नहीं बन रही कविता, पता न चले मांजरा
लगाई चाबियां सारी, पर खुले न दिमाग का पिंजरा

जिसमें रहतीं रचनाएं सारी, वह होने लगा था वीरान
सूना लगने लगा अभी मेरे काव्यों का यह मकान

पहले सूझते थे पलकों में, वैसे न सूझे आज
समझने लगा हूं खुदको अभी, लफ्ज़ - लफ्ज़ का मोहताज

तारीफें बटोरे कई मैंने, तब दिखाया था अपने कमाल
"क्या अब भी वह बात है मुझमें?", मन में गूंजने लगा यह सवाल

पर वापिस आऊंगा मैं ज़रूर, मैं नहीं मानूंगा हार
पिछली कोशिश बेकार गई, तो एक कोशिश एक और बार

और तैयार रहो कागज़ - कलम, मेरे मन में भर गई जोश
मैं ऐसी कविता लाऊंगा, कि उड़ेंगे सबके होश
हम लाए नए जीवन को और कराए स्तनपान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम किसी आदमी से अब डरना नहीं चाहते
हम अपनी मां के गर्भ में अब मरना नहीं चाहते
हम भी करना चाहेंगे अपने खर्चों का भुगतान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम भी आगे बढ़ेंगे तो काम आगे बढ़ेगा
हम आपके साथ मिल जाए तो देश का नाम आगे बढ़ेगा
हम थाम सकते हैं और थामते हैं घर - बार की कमान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

हम हैं अंदर से सख़्त, और बाहर से नरम
हमको कलेशकर्णी समझना है आपका सबसे बड़ा भरम
हम उड़ना चाहते हैं, हम चाहे आधा आसमान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान

सरस्वती लक्ष्मी न मानो, न मानो हमको काली
आपकी घर में रहकर न डरे, आपकी अपनी घरवाली
न हमको हीन समझो, न हमको समझो महान
हम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समान
दिनभर के थकान को एक झटके में खोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

आंखे हुई बंद तो अलग सा एहसास हुआ
बिस्तर होता आम है, पर उस समय वह खास हुआ
सपनों के ठेले को मुझे खुद ढोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

हैं पैसे हराम के, तो यह आपके साथ नहीं
आती है यह सबको, ऐसी यह बात नहीं
मैं इसे चाहता हूं, मुझे ईमान बोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो

कोई जाता नौ को, कोई बारह को जाता है
किसी को आए पल में, तो किसी को वक़्त लगाता है
अगर जागता हुआ नहीं, तो मुझे नींद में तो रोने दो
हो गई है रात, अब यार मुझे सोने दो
बर्दाश्त करने की अब आयी यह सीमा है
क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है

यह १.५ जी बी भी अब खत्म होता नहीं
रात हो गई है, लेकिन कोई सोता नहीं

गति हूई धीमी, जब छाई घोर घटा
मिलना हुआ यह बंद, जब बादल ज़ोर से फटा

मक्सद है तेज़ी, पर आ गई मंदी
भैया तेरी यह चाल, लगी है बहुत गंदी

बिजली जाए तो यारा, एक तेरा सहारा है
जब चाहे तेरी जीत, तू तब भी हारा है

तेरा भरोसा नहीं, तेरा करना बीमा है
और क्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा है
पूरा कर पढ़ाई अपनी, लिया मैंने अपना पहला काम
थी नौकरी मेरी पहली, इसलिए नहीं थी मेरे लिए यह बात आम

काम करता था मैं दम लगाकर, मेरे साहब को यह बात अच्छा लगा
लेकिन था मैं एकदम नया नवेला, इसलिए काम मेरा कच्चा लगा

बीत गया एक महिना, आज पहली तारीख आई है
सभी उत्साहित थे, मैं भी, क्योंकि तंख्वा लाई है

आया खाता मैं पहला पगार, एहसास हुआ ज़िम्मेदारी की
याद आया परिवार मेरा, याद आई मुझे यारी की

तो सोचा मैंने आज अभी, क्यों न एक महफ़िल हो जाए
पुराने बुरे दिन याद रखना, एक चुटकी में मुश्किल हो जाए

तो रखी मैंने एक छोटी महफ़िल, आए दोस्त परिवार मेरे
खुश था मैं बहुत तो, लुटाया मैंने हज़ार मेरे

तो आगे का पगार जब मिलेगा, उसको अच्छी तरह बचाऊंगा
इज़्ज़त होगी जब मेरी, तब एक सुंदर सी बहू लाऊंगा
वह थी अंदर और मैं था बाहर, कर रहा था मैं सबर
बाहर आए फिर डॉक्टर साहब, दिया बाप बनने की खबर

सुनकर यह बात मैं दौड़कर अंदर आया
बीवी के हाथों में उसको मैंने रोता हुआ पाया

पत्नी बोली मुझे कि बच्चा मुझ पर गया है
मैंने कहा उसको कि नाक तुझ पर गया है

लाऊं मैं पेड़े या लाऊं लड्डू, कौनसी लाऊं मैं मिठाई
लगा जैसे हुआ पुनर्जन्म मेरा, सारे दुखों की हुई बिदाई

पहला पोता था मां-बाप का, जब उन्होंने लिया इसे हाथों में
खिल उठा उनका चेहरा, जैसे खिले रजनीगंधा रातों में

यह नाम करेगा बड़ा, यह काम करेगा बड़ा
पूरी हमारी अभिलाषा तमाम करेगा बड़ा

दुआ यह उसने सभी से पाया, कि हमेशा सलामत उसकी जान हो
लेकिन मैंने सोचा केवल यही, कि यह नेक और सच्चा इंसान हो
है नहीं मेरी कोई सगी बहन, फिर भी लिखता हूं यह कविता
रिश्ता है बहन का, बहती हुई एक सरिता

मैं नहीं समझा पाऊंगा भाईयो, क्या होता है रिश्ता बहन का
कैसी स्थिति थी हिरण्यक्यपु की, जब दिन था होलिका दहन का

क्या होती है बहन? कैसा होता है यह रिश्ता?
इसमें होता है कोई स्वार्थ, या होती है सच्ची निष्ठा?

सुने बहुत सारे गाने, जो बहन के बारे में आते हैं
जिनकी नहीं है कोई बहन, वे कैसे ये बाते समझते हैं

छोटी कहलाती छुटकी थी, बड़ी कहलाती है दीदी
पहली थी अपनी घर की लक्ष्मी, अब होगी किसी और की निधि

तो क्या है ऐसी कोई कुमारी, जो बनाएगी मुझे भाई
बांधेगी मुझे राखी, आज सूनी है मेरी कलाई
पहले ज़रुरत थी आदमी को, केवल रोटी- कपड़ा - मकान
आज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान '

क्रांति लाई है इसने, आया युग जानकारी का
घर बैठे काम हो गए, नहीं इंतजार अब बारी का
ई - कॉमर्स से घर पहुंचते हैं छोटे - बड़े सामान
आज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान '

बना यह घर का सदस्य, बसा यह सबके दिल में
आने लगा यह मैयत में, आने लगा यह महफ़िल में
आज इसने है संभाली सुख - दुःख की कमान
आज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान '

चाहे पास हो या दूर, पल में संपर्क बनता है
जग बना एक छोटा गांव, जिसके बने हम जनता हैं
हुआ यह इतनी तेज़ी से, कि सब हो गए हैरान
आज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान '

एक रात में हुए कई का इतना बड़ा नाम
एक रात में फैला दुनिया में, उनका छोटा - बड़ा नाम
बनी यह तेरी - मेरी, कभी चढ़ाव, कभी ढलान
आज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान '
श्याम को राधा चाहे, राधा को चाहे श्याम
राधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शाम

कान्हा बजाए बांसुरी और राधा गाए गीत
देव और दैत्य बैठें देखे उनकी प्रीत
दूर रखकर बंधन और दूर रखकर रीत
प्रेम यह पाप नहीं, करो सरेआम
राधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शाम

दिन को चले लीला और रात को चले रास
तन से भले दूर रहे, मन से रहे पास
एक ही दिल है उनका, एक ही है सांस
छोड़ दीजिए दुश्मनी की सारी ताम-झाम
राधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शाम
हे शिव शंभू, आपकी महिमा अपरम्पार है
हमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैं

आपकी जटा से तो गंगा बहती है
आप जैसा वर मिले, यह हर लड़की कहती है
आपसे मिलने बद्रीनाथ, सभी तैयार हैं
हमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैं

आपके गले उतरने से ज़हर भी रुक जाता है
अपके सामने आकर पूरा संसार झुक जाता है
भक्तों के कष्ट दूर करने आप नंदी पर सवार हैं
हमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैं

प्रथम पूज्य देवता आप ही का तो अंश है
आपकी उनकी कृपा से चल रहा सभी का वंश है
मां जदम्बा जगजननी आप ही का प्यार हैं
हमारे तो हैं दो हाथ, आपके हज़ार हैं
कभी मत रहो आश्रित किस्मत पर केवल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

पहले तुम्हारे काम अटकते हुए दिखेंगे
पहले तुम्हारे मार्ग भटकते हुए दिखेंगे
कुछ समझ में न आए तभी जब तुम्हें
मन से ताकत खिसकते हुए दिखेंगे
धीरे - धीरे बाद में तुम जाओगे संभल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

छांव धूप से तुम्हे डराती हुई आयेगी
सुस्ती तुम्हे आलस्य सिखाती हुई आयेगी
जब इन सभी से काम नहीं बने तो
किसी और की गिरावट दिखाती हुई आयेगी
इन सब को पीछे छोड़कर तुम आओगे अव्वल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

जब काम बाजू रखकर तुम सोने वाले हो
तब काम रुक जाएगा, तुम रोने वाले हो
वक़्त पर तुम अगर नहीं जागे तो
अपने हाथों से सबकुछ खोने वाले हो
तन - मन से निकलो बदबूदार यह तरल
करो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफल

— The End —