Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2020
कभी ऐसा भी वक्त आता है जब रुकता है सब काम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

जो अब बंद है, वह चल पड़ेगा
अंदर जो भी है, वह निकल पड़ेगा
बढ़ती हुई रफ्तार को मिल गया आराम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

अटकते हैं कम ताकि सांस ले पाए
पीछे छूटे वक्त को हम पास ले पाए
देर होगी हमको छूने के लिए मुकाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम

वापिस काम शुरू हो तो शायद बदल सकता है रास्ता
वक्त और अवसर है, तो करे प्रभु की आस्था
तगड़े समय में न चले डॉलर, न दिर्हाम
बस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविराम
Sohamkumar Chauhan
Written by
Sohamkumar Chauhan  23/M/Vasco da Gama, Goa
(23/M/Vasco da Gama, Goa)   
46
 
Please log in to view and add comments on poems