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Oct 2020
है बेहद्द  शायराना इश्क़ मुझे |
तुम करोगे न शर्मसार मुझे ||

है पलके बिछाई बैठी हुई |
तेरा ही है बस दीदार मुझे ||

है कुछ आम सी बातें मेरी |
पर इनमे है खुशबू कुछ तुम्हारी सी ||

है लहलहाती बहार सा ख्याल तुम्हारा |
कब से है तुम्हारा इंतज़ार मुझे ||

है ग़ज़ल का हर शब्द मेरा |
पर तुम्हारी सुनने का है ऐतबार मुझे ||

है अहमियत का मंज़र तुम्हारा मेरी ज़िन्दगी में |
तेरे न होने पर, ज़िन्दगी कुछ है बेह्जान सी ||

है अब एक ही इंसान पर सारी गज़ले |
बूढ़े होने पर भी, पुकारेंगे धीमे अल्फाज़ो में तुम्हे ||


- सिमरन
Simran pawar
Written by
Simran pawar  20/F/Delhi
(20/F/Delhi)   
  325
     MS Anjaan and jdmaraccini
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