दुनिया में रहते हैं दुनिया वाले फिर भी यह कहते हैं लालसाओं के पीछे भागने से कमर झुक जाती है जिस्म बूढ़ा हो जाता है बाल पक जाते हैं झुरिया इनाम में मिलती हैं तो फिर पशु जिनकी कोई लालसा नहीं होती है वो क्यों नहीं समय के प्रहार से बच पाते हैं सच तो यह है कि इस प्रकृति में हम तब तक ही सामयिक है जब तक हम इसमें रोज कुछ नया करने की लालसा मन में रखते हैं यह जीवन पर्यंत बनी रहनी चाहिए यही सकारात्मकता भी कहलाती है।